Iraq Violence: शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल सदर (Muqtada Al Sadar) के इस्तीफे के बाद इराक की राजधानी बगदाद (Baghdad) सोमवार को धधक उठी. उनके सैकड़ों समर्थक सरकारी महल में पहुंच गए. इस दौरान अल सदर के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें कम से कम 15 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. हिंसा (Violence) के बाद इलाके में कर्फ्यू (Curfew) लगा दिया गया. यहां तक कि इराक (Iraq) की कैबिनेट ने सरकारी कार्यालयों (Government Offices) को भी बंद कर दिया.
इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुस्तफा अल कदीमी ने कैबिनेट का सत्र निलंबित कर दिया. उन्होंने सरकारी काम काज को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं. तो वहीं इराक में फैली हिंसा के बीच प्रधानमंत्री मुस्तफा अल कदीमी ने अपील की है कि सईद मोक्तदा अल सदर मान होना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने हज हादी अल-अमीरी के आह्वान को भी महत्व दिया है.
उन्होंने कहा कि वो सभी जिन्होंने शांति और आगे की हिंसा को रोकने में योगदान दिया उनके प्रयास कारगर होना चाहिए. मैं सभी से इराकी खून को बचाने की राष्ट्रीय जिम्मेदारी संभालने का आह्वान करता हूं.
एक सप्ताह से चल रहा था प्रदर्शन
शिया धर्मगुरु के समर्थक बगदाद के ग्रीन जोन में स्थित संसद के बाहर एक सप्ताह से धरना दे रहे थे. जैसे ही इन लोगों को मुक्तदा अल सदर के राजनीतिक सन्यास के फैसले का पता चला, ये लोग भड़क गए. इसके बाद सेना और पुलिस ने ही वहां मोर्चा संभाला और प्रदर्शनकारियों से ग्रीन जोन छोड़ने की अपील की. बता दें कि ऐसा ही कुछ हाल श्रीलंका में भी हुआ था जब प्रदर्शनकारी वहां के राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे और संसद को ही बंधक बना लिया था.
किस चीज को लेकर हो रहा गतिरोध
दरअसल, इराक (Iraq) में नई सरकार बनाने को लेकर पिछले एक महीने से गतिरोध चल रहा है. शिया धर्मगुरु के समर्थक इराक में दशकों के संघर्ष और भ्रष्टाचार (Corruption) से निपटने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. शिया धर्मगुरु इराक की राजनीति पर अमेरिका (America) और ईरान (Iran) का प्रभाव खत्म करने के पक्ष में थे. वो संसद (Parliament) को भंग करके जल्द चुनाव (Election) कराने की मांग के पक्ष में थे. इस बीच उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया.
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