इस्लामिक देश सऊदी अरब में अब बुलेट ट्रेन चलाएंगी महिलाएं, पूरा प्लान तैयार, यहां जानिए सबकुछ
Saudi News : सऊदी के क्राउन प्रिंस का सपना धीरे धीरे साकार होते दिख रहा है. पिछले 4 सालों में 13 फीसदी नौकरी करने वाली महिलाओं के आंकड़े में बढ़ोतरी हुई है.
Women Of Saudi Will Run Bullet Train : इस्लामिक देश सऊदी अरब के प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस मो. बिन सलमान का एक और सपना पूरा होने जा रहा है. उनके विजन 2030 के तहत वहां कि महिलाएं अब बुलेट ट्रेन चलाती हुई नजर आएंगी. बता दें कि सऊदी में महिलाओं को 4 साल पहले ही ड्राइविंग करने की अनुमति मिली थी. सऊदी अरब रेलवेज ने सोशल मीडिया पर इसकी वीडियो शेयर करते हुए इस बात की जानकारी दी है कि अब महिलाएं बुलेट ट्रेन भी चलाएंगी.
दरअसल, सऊदी में 32 महिलाओं का पहले बैच की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है. जल्द ही वह सभी मक्का से मदीना तक तेज रफ्तार में बुलेट ट्रेन चलाते हुए नजर आएंगी. वीडियो में महिला चालकों के साथ उनके पुरुष सहयोगी भी साथ में थे. रेलवे ने यह वीडियो नए साल के पहले दिन ही जारी किया था.
महिला ड्राइवर ने क्या कहा
एक महिला ड्राइवर ने कहा है कि हम इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनकर काफी खुश हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमें फख्र है कि हमें यह मौका मिला. इस बैच की सभी महिलाएं लगभग 453 किलोमीटर की लंबी हाई स्पीड लाइन पर ट्रेन चलाएंगी. मौजूदा वक्त में महिलाओं ने सऊदी की इकोनॉमी को मजबूत करने में काफी अहम रोल निभाया है. बता दें कि 2018 तक महिलाओं को ड्राइविंग की भी इजाजत नहीं थी.
साल 2016 में देखा था सपना
सऊदी के क्राउन प्रिंस ने साल 2016 में एक सपना देखा था. उनका सपना था कि सऊदी की इकोनॉमी को ऑयल डिपेंडेंसी को कम किया जाए. उन्होंने कई ऐसे प्रोजेक्ट चलाए, जिसमें महिलाओं की भूमिका काफी अहम है. सरकारी दफ्तर के अलावा महिलाएं अब प्राइवेट सेक्टर में भी जमकर काम कर रही हैं. साल 2022 में केवल 30 ही महिला ड्राइवर के लिए वैकेंसी निकली थी, बाद में इसे बढ़ाकर 32 कर दिया गया था.
4 साल में बढ़ा नौकरी करने वाली महिलाओं का आंकड़ा
पिछले साल सऊदी अरब में ऊंटों की 'शिप्स ऑफ द डेजर्ट' में प्रतियोगिता में पहली बार महिलाओं ने हिस्सा लिया था. रियाद में आयोजित इस प्रतियोगिता में करोड़ों रुपए का इनाम रखा गया था. इस आयोजन में करीब 40 महिलाओं ने हिस्सा लिया था. बता दें कि साल 2018 में केवल 20 फीसदी महिलाएं ही नौकरी करती थी, साल 2023 में यह आंकड़ा 33 फीसदी हो गया.