Israel-Iran War: ईरान ने मंगलवार (3 अक्टूबर 2024) को इजरायल पर 200 मिसाइलों से हमला कर मिडिल ईस्ट में एक और जंग की सुगबुगाहट तेज हो गई है. इजरायली पीएम ने ईरान को तबाह करने की कसम खाई है. ऐसे में सवाल है कि जब ईरान ने इतने घातक हमले किए तो इजरायल में भयंकर तबाही क्यों नहीं हुई?


इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम उनके देश की सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. उसी नतीजा है कि इजरायल ने ईरान की मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर दिया. सिर्फ कुछ मिसाइलें ही यहूदी देश के इस सुरक्षा कवच को भेद पाईं, जिसकी वजह से मामूली का नुकसान ही हुआ. 


ईरान का दावा- हमला 90 फीसदी कामयाब


ईरान का दावा है कि उसके हमले में इजरायल के मोसाद का हेडक्वार्टर तबाह हो गया है जबकि फाइटर जेट को भी भारी नुकसान हुआ है. वहीं इजरायल ने बयान दिया है कि ईरान की मिसाइलें फुस्स साबित हुई. मंगलवार को इजरायल में सायरन की आवाजों को सुनकर सिर्फ इजरायल नहीं बल्कि पूरा विश्व चौकन्ना हो गया था. वहां रात के पौने आठ बजे थे, जबकि हिंदुस्तान में सवा दस बज चुके थे और इसी वक्त ईरान ने इजरायल पर एक साथ लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइल दागी थीं. आसमान में तैर रहा ईरान का  बारूद था मध्य पूर्व के देश इजरायल को तबाह कर सकता था. इस हमले के बाद ईरान के रक्षा मंत्री ने दावा किया कि कि इजरायल पर ईरान का हमला 90 फीसदी से ज्यादा कामयाब हुआ है.


इजरायल पर अटैक के बाद ईरान की संसद से जश्न मनाने की तस्वीरें भी सामने आई थी. ईरान ने यहां तक दावा किया कि उसने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के हेडक्वार्टर तक को हमले में तबाह कर दिया है, लेकिन इजरायल ईरान के किसी भी दावे से इत्तेफाक नहीं रखता. इजरायल डंके की चोट पर कह रहा है कि दुनिया जिस एयर डिफेंस सिस्टम का लोहा मानती है, उसी के दम पर उसने ईरान के हमले को विफल कर दिया है.


इजरायली डिफेंस सिस्टम ने हमले को किया विफल


इजरायल के उस एयर डिफेंस सिस्टम का नाम आयरन डोम है. यह वो रक्षा कवच है, जो ना सिर्फ पूरे देश को महफूज रखता है, बल्कि हमले के लिए दागे गए रॉकेट और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर देता था. अब सवाल ये है कि क्या इजरायल के आयरन डोम सिस्टम ने ईरान के सैकड़ों मिसाइलों को जमीन पर गिरने से पहले ही मार गिराया? करीब एक साल पहले जब गाजा पट्टी से इजरायल की तरफ रॉकेट दागे गए थे तो हमले के फौरन बाद इजरायल का एंटी मिसाइल सिस्टम एक्टिवेट हो गया था और सायरन की आवाज सुनाई देने लगी थी, लेकिन इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम ने बारी-बारी तमाम रॉकेट को वार करने से पहले ही हवा में नष्ट कर दिया था.


कैसे काम करता है इजरायली डिफेंस सिस्टम?


ऐसे में यह समझना भी जरूरी है कि  हवा में ही हमले करने वाले रॉकेट और मिसाइल को रोकने के लिए आयरन डोम किस तकनीक पर काम करता है. जैसे ही इजरायल की धरती की तरफ दुश्मन देश से कोई रॉकेट या मिसाइल हमले के लिए बढ़ती है तो सबसे पहले रडार सिस्टम एक्टिवेट होता है, जो ये पता लगता है कि रॉकेट कितनी रफ्तार से आ रहा है और किस दिशा की तरफ बढ़ रहा है. रडार सिस्टम ये जानकारी आगे कंट्रोल सेंटर को देता है. कंट्रोल सेंटर की टीम ये पता लगाती है कि दागे गए रॉकेट या फिर मिसाइल से इजरायल को नुकसान हो रहा है या नहीं. मतलब वो आबादी वाले इलाके में गिरने वाला है या फिर कहीं और.. अगर आबादी वाले इलाके में नहीं गिर रहा तो उसे गिरने दिया जाता है.


आयरन डोम के साथ काम कर रहा था एरो 3


जैसे ही पता चलता है कि हमला इजरायल के आबादी वाले इलाके में होने वाला है तो इसके बाद तीसरे नंबर की मिसाइल फायरिंग यूनिट एक्टिवेट होती है जो हमले वाले रॉकेट को गिराने के लिए मिसाइल फायर करती है. करीब 3 मीटर लंबी और 90 किलो वजन वाली तामिर इंटरसेप्टर मिसाइल टारगेट की तरफ बढ़ती है और हमले वाले रॉकेट को हवा में ही खत्म कर देती है और ये सब मिलकर ही आयरन डोम बनता है.
 
ईरान के हमले में सिर्फ आयरन डोम अकेले काम नहीं कर रहा था, बल्कि उसके साथ सबसे ताकतवर कवच एंटी बैलिस्टिक मिसाइल एरो 3 काम कर रहा था. एरो 3 की खासियत ये है कि वो लंबी दूरी के खतरे से निपटता है. इसकी रेंज बहुत ज्यादा होती है. इजरायल का एरो 3 सिस्टम 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर खतरे को रोकने की ताकत रखता है.


एरो-3 कितना ताकतवर


एरो-3 इजरायल की जमीन से करीब 2 हजार 400 किलोमीटर दूर तक खतरे को खत्म कर सकती है. ऐसे में सवाल है कि अगर ईरान हमले में एरो-3 का इस्तेमाल हुआ तो फिर आयरन डोम कब काम आता है. दरअसल इजरायल खतरे को आंककर अपने अलग-अलग हथियार का इस्तेमाल करता है. इजरायल के डिफेंस सिस्टम में सबसे पहले नंबर पर आयरन डोम आता है, जो कम दूरी से आने वाले रॉकेट को निशाना बनाता है. इसकी रेंज 70 किलोमीटर है यानि ये 70 किलोमीटर दूर तक के खतरे को रोक सकता है. यह 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक काम करता है. इसका सक्सेस रेट 90 फीसदी तक होता है, यानि ये हमले वाले 90 फीसदी रॉकेट को रोकने में कामयाब रहता है.


इजरायली एयर डिफेंस की क्षमता


इसके बाद दूसरे नंबर पर डेविड स्लिंग है, जो मध्यम से लंबी दूरी के लिए काम करता है. इसकी रेंज 40 से 300 किलोमीटर के बीच है और ये करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर खतरों को रोक सकता है. इसका सक्सेस रेट 92 फीसदी माना जाता है. इसके बाद आखिरी में आता है एरो-3, जिसे इजरायल का तुरुप का इक्का भी कहा जाता है. यह 100 किलोमीटर की ऊंचाई और 2400 किलोमीटर की दूरी तक अपने मुल्क पर आने वाले खतरे को भांपकर हवा में ही खत्म कर देता है. इजरायल के मुताबिक उनसे एरो 3 सिस्टम का इस्तेमाल करके ईरान की तमाम मिसाइलों को फुस्स कर दिया.


इजरायल का 10 फिसदी नुकसान हुआ 


अब इजरायल ने बेहद कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि ईरान हमले की कीमत चुकाने के लिए तैयार रहे वो सही वक्त पर जवाब देंगे. हालांकि ऐसा नहीं है कि ईरान के हमले में इजरायल में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है. इजरायल के शहर तेल अवीव में ईरान के मिसाइल अटैक में स्कूल मलबे का ढेर बन गया. मिसाइल अटैक के कई घंटों बाद भी हमले वाली जगह से धुआं उठता हुआ दिखाई दे रहा था. दरअसल इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम का सक्सेस रेट 90 फीसदी है यानि कम से कम 10 फीसदी मिसाइल ने तो इजरायल को नुकसान पहुंचाया होगा.


ईरान की आर्मी ने कहा है कि इजरायल के खिलाफ उसने पहली बार हाइपरसोनिक फतेह मिसाइलों का इस्तेमाल किया था. ईरान ने इजरायल को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर ईरान पर हमला हुआ तो वो इजरायल के पूरे बुनियादी ढांचे को तबाह कर देंगे, जबकि दूसरी तरफ ईरान के हमले के बावजूद इजरायल ने बुधवार (2 अक्टूबर 2024) की सुबह लेबनान की राजधानी बेरूत पर भीषण बम बरसाए हैं. इस हमले में हिजबुल्लाह के दर्जनों ठिकानों को निशाना बनाया गया. कहा जा रहा है कि ईरानी हमले के बाद इजरायल हिजबुल्लाह के खिलाफ ऑपरेशन को और तेज कर सकता है.


ये भी पढ़ें: UN किसी भी युद्ध को रोकने में नाकाम! क्या संयुक्त राष्ट्र की भूमिका खत्म हो गई?