Israel-Syria Conflict: इजरायल का सीरिया पर दबदबा! एक पूरे प्रांत पर कर लिया कब्जा, सेना को किया तैनात
Israel-Syria: इजरायल ने सीरिया के गोलान हाइट्स क्षेत्र में सबसे ऊंची चोटी माउंट हरमोन पर भी कब्जा कर लिया है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में इस क्षेत्र का दौरा किया.
Israel-Syria Conflict: रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक के अनुसार, इजरायली सेना ने सीरिया के कुनेत्रा प्रांत की अधिकतर रणनीतिक पहाड़ियों और सैन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया है. 8 दिसंबर को दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे के तुरंत बाद इजरायल ने सैन्य अभियान शुरू किया. इजरायली सेना ने बॉर्डर पर अल्फा लाइन को पार करते हुए बफर जोन में प्रवेश किया और इसे अपने नियंत्रण में ले लिया. इसके बाद इजरायल ने सीरिया में लगातार हवाई हमले किए.
स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सेना ने प्रांत के लगभग 95 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है. लेबनानी मीडिया आउटलेट अल-मायादीन ने दावा किया कि इजरायली सेना ने सीरिया के लगभग 440 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा किया है. हालांकि, कुनेत्रा पर कब्जे के संबंध में इजरायली सेना ने अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है.
Prime Minister Netanyahu at Mount Hermon: “We will stay here as long as it takes to guarantee Israel’s security.”
— Hananya Naftali (@HananyaNaftali) December 18, 2024
With Syria on edge, he praised the IDF’s strength and vowed to protect Israel at all costs. pic.twitter.com/WQapZWPl3U
माउंट हरमोन पर नियंत्रण
इजरायल ने सीरिया के गोलान हाइट्स क्षेत्र में सबसे ऊंची चोटी माउंट हरमोन पर भी कब्जा कर लिया है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में इस क्षेत्र का दौरा किया. उन्होंने कहा कि जब तक इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई अन्य व्यवस्था लागू नहीं होती, तब तक हरमोन क्षेत्र में इजरायली सेना तैनात रहेगी. नेतन्याहू ने सेना को 2025 तक इस क्षेत्र में तैनाती के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं.
गोलान हाइट्स को लेकर क्या है प्लान?
बेंजामिन नेतन्याहू ने गोलान हाइट्स में बस्तियों को दोगुना करने की योजना को मंजूरी दी है. इसका मकसद है इजरायली आबादी को बढ़ाना. इसके लिए नेतन्याहू 4 करोड़ शेकेल (करीब 95 करोड़ रुपये) का बजट पास किया है. इस पर मुस्लिम देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. इस पर सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इजरायल के इस फैसले की निंदा की है. सऊदी अरब फैसले को अवैध ठहराया है.
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