Ismail Haniyeh Death: हमास के सरगना इस्माइल हनिया की हत्या के बाद पूरी दुनिया में बवाल मच गया है. दुनिया की मीडिया में इस्माइल हनिया की खबरें तैर रही हैं. हमास सरगना ईरान की राजधानी तेहरान में एक अपार्टमेंट ठहरा था. इजरायली हमले में इस्माइल हनिया के साथ उसका बॉडी गार्ड भी मारा गया है. फिलहाल, इस हमले कि किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन पूरी दुनिया को शक है कि इसके पीछे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद है. इजरायल ने 7 अक्टूबर को हुए हमले के बाद इस्माइल हनिया समेत पूरे हमास को खत्म करने की धमकी दी थी. अब हमास ने धमकी दी है कि वह इस हमले का इजरायल से बदला लेगा, लेकिन ऐसे में यह समझना जरूरी हो गया है कि आखिर हनिया की हत्या ईरान में क्यों की गई.
ईरान से आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस्माइल हनिया ईरान में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तेहरान गया था. इस यात्रा के दौरान हनिया ने ईरान के नए राष्ट्रपति के अलावा ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई से भी मुलाकात की थी. खामेनेई से उसकी मुलाकात की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई हैं. बताया जा रहा है कि इस्माइल हनिया को ईरान ने राजकीय अतिथि का दर्जा दिया था. ईरानी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में कई देशों के नेता तेहरान पहुंचे हैं.
मोसाद पर लग रहा आरोप
सूत्रों के मुताबिक, इस्माइल हनिया के तेहरान पहुंचने की खबर पहले ही इजरायल को लग गई थी. इजरायली खुफिया एजेंसियों ने पहले हनिया की सटीक लोकेशन के बारे में पता लगाया और इसकी जानकारी इजरायली सेना को दी. जानकारी मिलने के बाद सटीक गाइडेड मिशाइलों से इजरायल ने इस्माइल हनिया के ठिकाने पर हमला किया. इस हमले में हमास के प्रमुख और उसके बॉडी गार्ड की तेहरान में मौत हो गई.
गाइडेड मिशाइल से हुआ हमला
ईरान की फार्स न्यूज ने बताया कि इस्माइल हनिया की मौत उत्तरी तेहरान में उनके आवास पर रात 2 बजे (स्थानीय समयानुसार) एक 'एरियल प्रोजेक्टाइल' लगने से हुई. फिलहाल, इस प्रोजेक्टाइल के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी गई है. हिजबुल्लाह से जुडे़ अल-मायादीन ने भी एक ईरानी अधिकारी के हवाले से बताया कि हनिया की हत्या विदेश से दागी गई मिशाइल से हुई है. रिपोर्ट में इस हमले को ईरान के खिलाफ कृत्य बताया गया है और इसके खिलाफ प्रतिक्रिया देने की बात कही गई है.
हमास प्रमुख को ईरान में क्यों बनाया गया निशाना
दरअसल, इस्माइल हनिया अपना ज्याद समय कतर में बिताता था, वब लंबे समय से गाजा नहीं जा रहा था, लेकिन विदेश में बैठकर हमास का संचालन कर रहा था. कतर के दोहा में हमास का राजनीतिक कार्यालय भी है. लेकिन इजरायल कतर में हनिया पर हमला नहीं कर सकता था, क्योंकि खाड़ी देशों में कतर अमेरिका का करीबी है. इसके अलावा कतर में हमला करने के लिए इजरायल को अधिक मेहनत करनी पड़ती और इसका खामियाजा भी अधिक भुगतना पड़ता. कतर हमले के मामले में अमेरिका भी इजरायल का साथ नहीं देता. इसके अलावा यह तुर्की भी जाता था, लेकिन तुर्की नाटो सदस्य है, ऐसे में तुर्की में हमला इजरायल के लिए और भी खतरनाक होता. इन स्थितियों को देखते हुए हनिया पर हमला के लिए ईरान की धरती सबसे मुफीद जगह थी.
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