Israel: इजरायल अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सामने संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. वैसे तो पीएम बेंजामिन ने अपने राजनीतिक करियर में कई चुनौतियों को निपटाया है लेकिन इस बार मुश्किलों से पार पाना आसान नहीं होगा.
दरअसल, प्रधानमंत्री कार्यालय में लौटने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू अपने राजनीतिक करियर को पटरी पर लाने में जुटे हुए हैं. इसी बीच उनके रास्ते में कुछ नई मुसीबतें आ गई हैं. बता दें कि देश के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेतन्याहू को साल 2021 में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. इससे उनका राजनीतिक जीवन खतरे में आ गया था लेकिन उन्होंने पुनः सब कुछ ठीक किया.
द कन्वर्सेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल नवंबर के चुनावों के बाद गठबंधन सरकार बनाने के लिए नेतन्याहू ने पर्याप्त समर्थन जुटाया. गठबंधन ऐसा, जिसे देख लोग हैरत में पड़ गए. दरअसल, नेतन्याहू की सेंटर-राइट लिकुड पार्टी के साथ-साथ दूर-दराज और अति-रूढ़िवादी धार्मिक पार्टियों के एक समूह से बना है. इसे इजरायल के इतिहास की सबसे कट्टर दक्षिणपंथी सरकार माना जाता है.
ऐतिहासिक आंदोलन बन सकता है सर दर्द
इजरायल में पिछले कुछ दिनों से न्यायपालिका में सुधार को लेकर प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार काम कर रही है. उनकी सरकार द्वारा प्रस्तावित सुधार से वहां के सुप्रीम कोर्ट की शक्ति लगभग समाप्त हो जाएगी और इजरायल में नाम मात्र के लिए लोकतंत्र रह जाएगा. इसी बात से इजरायल की जनता नाराज है. लोग सड़कों पर उतर प्रदर्शन कर रहे हैं. राष्ट्रपति से लेकर वहां के मुख्य न्यायाधीश व आम शहरी तक सरकार के प्रस्तावित कानून का विरोध कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह आंदोलन इजरायल के इतिहास के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक बताया जा रहा है.
गौरतलब है कि नेतन्याहू को सत्ता में आए तीन महीने भी नहीं हुए हैं और ऐसे में उनकी सरकार के खिलाफ इस तरह का प्रदर्शन उनके लिए सिर दर्द बन सकता है. इस तरह के आंदोलन पहले से ही बटे हुए इजरायली समाज को और ध्रुवीकरण की ओर ले जाएगा.
चरमराई अर्थव्यवस्था
ऐतिहासिक आंदोलन के साथ ही इजरायल के आर्थिक हालात भी ठीक नहीं लग रहे. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के मुख्य निवेशकों ने समझौतावादी अदालत प्रणाली और कानून के शासन के डर से अपने धन को इजरायल से बाहर निकाल लिया है. शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने सुधार प्रस्तावों के दायरे और गति के बारे में गहरा संदेह व्यक्त किया है.
बढ़ती हिंसा
फिलिस्तीनी बंदूकधारियों द्वारा तीन इजरायलियों की हत्या के जवाब में हाल के दिनों में हिंसा फिर से बढ़ गई है. आए दिन हिंसा की ख़बरें आना नेतन्याहू के लिए नई चुनौती है.