Protests All Over World: कोरोना के बाद से ही दुनिया भर में प्रदर्शनों का सिलसिला देखने को मिल रहा है. कहीं आर्थिक मंदी के चलते लोग सड़कों पर उतरे हैं तो कहीं जनता सरकार से नाराज दिख रही है. इजरायल (Israel) से लेकर फ्रांस (France) तक जनता का गुस्सा सड़कों पर दिखाई दे रहा है जिसे पानी की बौछारों से शांत करने की कोशिश की जा रही है.


इजरायल में पिछले करीब 10 हफ्तों से आम जनता सड़कों पर उतरकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के खिलाफ विरोध जता रही है. इजरायल का ये विरोध प्रदर्शन पिछले 70 साल का सबसे प्रदर्शन बनते दिख रहा है. जनता का कहना है कि पीएम नेतन्याहू के कथित न्यायिक सुधार इजरायल के लोकतंत्र के लिए खतरा है. इजरायल में सड़कों से लेकर गलियों में लोग पीएम के खिलाफ रैली कर रहे हैं. वहीं, राष्ट्रपति हर्जोंग (isaac herzog) ने भी प्रस्तावित कानून को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. उन्होंने कहा, ये कौन सा सुधार है जिसके चलते लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. 


प्रधानमंत्री को करना पड़ा एयरलिफ्ट


दरअसल, जनवरी महीने में इजरायल के न्याय मंत्री यारिव लेविन ने देश की कानून प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए सरकार की इस योजना को जनता के सामने रखा. इसके मुताबिक, अभी न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली समिति में सरकार की भूमिका बढ़ जाएगी. अभी तक न्यायाधीशों की चयन समिति में नेता, वकील और जज शामिल हुआ करते थे. नई प्रणाली, सांसदों को समिति में बहुमत देगी जिनमें से ज्यादातर दक्षिणपंथी और धार्मिक रूप से रूढ़िवादी सत्तारूढ़ गठबंधन से होंगे.


इस नई प्रणाली के चलते जनता में गुस्सा देखने को मिल रहा है. बीते दिनों, प्रदर्शनकारियों ने देश के मुख्य इंटरनेशनल एयरपोर्ट का रास्ता कारों से ब्लॉक कर दिया था जिसके बाद नेतन्याहू को विदेश यात्रा पर जाने के लिए एयरलिफ्ट करना पड़ा. 


पेरिस में विरोध प्रदर्शन


वहीं, फ्रांस में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. ये प्रदर्शन भी सरकार के खिलाफ है जो राजधानी पेरिस की सड़कों पर साफ देखने को मिल रहा है. लोग, आगजनी से लेकर पथरान, नारेबाजी करते दिख रहे हैं. लोगों का ये प्रदर्शन सरकार के एक फैसले की वजह से हो रहा है. दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने रिटायरमेंट उम्र 62 साल से बढ़ाकर 64 कर दी है. सरकार ने तर्क दिया है कि फ्रांस के पेंशन सिस्टम को कंगाल होने से बचाने के लिए सरकार ये कदम उठा रही है.


16 मार्च को संसद में इसको लेकर वोटिंग होनी थी लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति ने संवैधानिक प्रावधान का इस्तेमाल कर बिना वोटिंग के नया कानून लागू कर दिया. राष्ट्रपति के इस कदम से लोगों में गुस्सा देखने को मिला और उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया.
कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं तो वहीं छात्र भी विरोध जता रहे हैं. लोगों की मांग है कि सरकार विधेयक को वापस ले. 


लंदन में सरकार के इस फैसले के खिलाफ...


वहीं लंदन में ब्रिटेन सरकार के अवैध माइग्रेशन बिल के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनाकारियों ने सरकार के अवैध माइग्रेशन बिल के खिलाफ मार्च निकाला और शरणार्थियों के समर्थन में नारे लगाए. दरअसल, ब्रिटेन सरकार के इस बिल के तहत यूके में उन लोगों को हटाने के संबंध में प्रावधान करता है जो आप्रवासन नियंत्रण के उल्लंघन कर के प्रवेश कर चुके हैं. सरकार कानून बना कर छोटी नावों के जरिए ब्रिटेन में घुसने वाले लोगों पर रोक लगाने की तैयारी में है.


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