एक्सप्लोरर

Israel Gaza Attack: गाजा पर तो था इजरायल का कब्जा, फिर छोड़ क्यों दिया?

Israel Palestine Attack: अब एक बार फिर से इजरायल को उसी गाजा पर कब्जा करने की जंग लड़नी है, जिसे उसने अपनी मर्जी से खाली किया था, लेकिन इस बार कब्जा मुश्किल है.

Israel Palestine War: हमास के हमले के बाद से ही इजरायल का इकलौता मकसद है बदला. और बदला पूरा होगा तब, जब हमास का खात्मा होगा. हमास का खात्मा होगा तब, जब हमास के कब्जे वाले गाजा पट्टी पर इजरायल का कब्जा होगा, लेकिन इजरायल का तो इस गाजा पट्टी पर पहले भी कब्जा रहा है.

पहले भी इजरायल गाजा पट्टी में अपनी बस्तियां तक बसा चुका है. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि इजरायल ने गाजा पट्टी पर अपना दावा छोड़ दिया और अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो फिर से उसी गाजा पट्टी पर कब्जे के लिए इतना खून बहा रहा है कि पूरी दुनिया ही इस जंग की आग से तप रही है, आज बात करेंगे इसी मुद्दे पर.

सिक्स डे वॉर ने बदला दुनिया का नक्शा
अपने गठन के बाद से ही इजरायल को अरब देशों का आक्रमण झेलना पड़ रहा था. कई लड़ाइयां लड़ने के बाद 1967 में इजरायल ने अरब देशों से एक और जंग लड़ी और वो जंग निर्णायक थी, जिसने दुनिया का नक्शा ही बदल दिया. इस जंग को सिक्स डे वॉर या जून वॉर कहा जाता है, जिसके खात्मे के बाद इजरायल ने इजिप्ट (मिस्त्र) के कब्जे वाले गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और यरुशलम और सीरिया से गोलान हाईट्स तक जीत लिया.

आसान शब्दों में कहें तो इजरायल ने 1967 में ही गाजा पर अपना कब्जा जमा लिया था. अब गाजा पट्टी पर शासन तो इजरायल का था, लेकिन लोग तो वहां फिलिस्तीन के ही थे, जिनपर इस जंग से पहले इजिप्ट का शासन था तो इजरायल को इस गाजा पट्टी में अपनी हुकूमत चलाने के लिए मुश्किलें हो रही थीं. 

समझौते की मेज पर आया मिस्त्र
इस बीच अरब लीग ने इजरायल को हराने की एक और कोशिश की, ताकि 1967 में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. 1973 में हुई इस जंग में इजरायल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ, बल्कि हर बार की तरह इस बार भी अरब देशों को ही मुंह की खानी पड़ी. सबसे ज्यादा नुकसान इजिप्ट का हुआ, जिससे पहले भी इजरायल गाजा पट्टी छीन चुका था. 

इजिप्ट को जंग के खात्मे के बाद समझ आ गया कि बार-बार इजरायल से लड़ने में उसका फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही है. इजरायल को भी समझ में आ गया कि अरब देशों को हराकर उनकी जमीन पर वो कब्जा भले ही कर ले, लेकिन वहां हुकूमत करना आसान नहीं है. ऐसे में इजिप्ट और इजरायल समझौते की टेबल पर आने को राजी हो गए, जिसमें अमेरिका ने भी मदद की.

मिस्त्र और इजरायल के राष्ट्राध्यक्षों को मिला नोबेल पुरस्कार
अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर की पहल पर इजिप्ट के राष्ट्रपति अनवर सादात ने इजरायल के प्रधानमंत्री मेनाकेम बेगिन से अमेरिका के कैंप डेविड में मुलाकात की. बात हुई और समझौता हो गया. हमेशा एक-दूसरे से लड़ने वाले अलग-अलग मुल्कों के दो राष्ट्राध्यक्ष इस कदर शांति पर सहमत हुए कि उस साल दोनों को ही शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कर दिया गया. 

दरअसल इजरायल और फलस्तीन दोनों ही इस बात पर राजी हो गए थे कि गाजा पट्टी को स्वतंत्रता दी जाएगी और वहां का शासन गाजा पट्टी के ही लोग चलाएंगे, जिसमें न तो इजरायल का दखल होगा और न ही इजिप्ट का, लेकिन इस समझौते पर पूरी तरह से अमल हो नहीं पाया, क्योंकि पहले शेख अहमद यासीन के बनाए मुजम्मा अल इस्लामिया और फिर उसी के हथियारबंद संगठन हमास के जरिए इजरायल ने गाजा पट्टी पर अपना कब्जा बरकरार ही रखा.

इजरायल के खिलाफ बागी हुआ हमास
जब हमास इजरायल के खिलाफ बागी हो गया और उसने अपने ही आका को चुनौती दे दी तो इजरायल ने वेस्ट बैंक के राजनीतिक संगठन फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन और उसके मुखिया यासिर अराफात से समझौता किया. साल 1993 में पीएलओ ने इजरायल को मान्यता दी और अलग देश माना तो वहीं इजरायल ने भी पीएलओ को मान्यता दे दी. 

इन दोनों के बीच का समझौता भी अमेरिका की पहल पर ही हुआ, जिसमें खुद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन मौजूद थे. इसके बाद भी कई और समझौते हुए, जिसमें इजरायल और पीएलओ के बीच बातचीत हुई, जो पूरे फलस्तीन में शांति स्थापित करती हुई नजर आ रही थी.

2004 में इजरायल ने छोड़ा गाजा पट्टी पर अपना अधिकार
हालांकि, 2004 आते-आते इजरायल को ये समझ में आ गया कि अब गाजा पट्टी से निकलने में ही उसकी भलाई है, क्योंकि एक तो गाजा पट्टी की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसपर नियंत्रण रखने के लिए इज़रायल को पैसे और संसाधन सब खर्च करने पड़ रहे हैं. बीच-बीच में उसे हमास से भी चुनौती मिल ही रही थी, जिसकी वजह से इजरायल की मुसीबतें कम होने की बजाय बढ़ती जा रही थीं. 

नतीजा ये हुआ कि साल 2004 में इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने गाजा पट्टी से बाहर निकलने का फैसला कर लिया. उन्होंने गाजा को फलस्तीनियन अथॉरिटी के जिम्मे छोड़ दिया और कहा- ''ये एक ऐसा फैसला है जो इजरायल की सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय स्थिति, अर्थव्यवस्था और इजरायल में रहने वाले यहूदी लोगों के लिए अच्छा है.''

जिस वक्त एरियल शेरोन ने ये फैसला लिया, उस वक्त गाजा पट्टी में करीब 13 लाख लोग रहते थे. इनमें से भी करीब 99.06 फीसदी ऐसे लोग थे, जो फलस्तीनी थे और महज 0.04 फीसदी लोग ही यहूदी मूल के थे. लिहाजा इजरायल को गाजा खाली करने में कोई दिक्कत नहीं हुई. उसके जो लोग थे, उनकी आबादी 10 हजार से भी कम थी और इजरायल ने उन सभी लोगों को गाजा से निकालकर अपने देश में अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट कर दिया. 

आखिरकार 15 सितंबर, 2005 को इजरायल ने गाजा को पूरी तरह से खाली कर दिया. उस तारीख को इजरायली डिफेंस फोर्स का एक भी जवान गाजा में मौजूद नहीं था.

अब फिर शुरू हुई गाजा पट्टी पर कब्जे की लड़ाई
इस बात को 18 साल का वक्त बीत गया है. 18 साल पहले इजरायल ने जिस गाजा की सत्ता फलस्तीनियन अथॉरिटी को सौंपी थी. हमास ने दो साल के अंदर ही साल 2007 में वो छीन ली और खुद उसपर कब्जा कर लिया. इस बात को भी 16 साल बीत गए हैं और इस दरमियान हमास ने अपनी ताकत इस कदर बढ़ा ली है कि उसने इजरायल पर ही हमला कर दिया है. 

अब एक बार फिर से इजरायल को उसी गाजा पर कब्जा करने की जंग लड़नी है, जिसे उसने अपनी मर्जी से खाली किया था, लेकिन इस बार कब्जा मुश्किल है, क्योंकि गाजा पर कब्जे की राह में हमास खड़ा है, जिसे ईरान से लेकर मलेशिया तक के तमाम इस्लामिक मुल्क पैसे और हथियार दोनों से मदद कर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें:

Death of David Reimer: कैसे एक क्रूर और अनैतिक एक्सपेरिमेंट ने आज के ट्रांस आंदोलन को जन्म दिया, कहानी डॉ. जॉन मनी और डेविड रीमर की

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
FIR Against Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
Bihar News: 'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Tax Rule Changes:Income Tax, STT, TDS Rates, आधार कार्ड को लेकर 1 अक्टूबर 2024 से बदल जाएंगे ये नियमबिना Bank Account के भी निकालें पैसे! NCMC कार्ड की पूरी जानकारी |UP Politics : यूपी टू बिहार...बैंड बाजा नाम विवाद | 24 Ghante 24 ReporterRajasthan News: राजस्थान के डिप्टी CM का 'रीलबाज' बेटा ! Sanasni | Prem Chand Bairwa

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
FIR Against Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज होगी FIR, बेंगलुरु कोर्ट ने इस मामले में दिया आदेश
Bihar News: 'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
'कभी भी बज सकती है खतरे की घंटी', कोसी बैराज को लेकर सीमांचल में चेतावनी, अलर्ट मोड पर प्रशासन
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
IPL 2025: रिटेंशन अनाउंसमेंट पर बड़ा अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद आज हो सकती है घोषणा
IPL रिटेंशन अनाउंसमेंट पर अपडेट, बेंगलुरु में मीटिंग के बाद होगी घोषणा
Bhagat Singh Jayanti 2024: खून से सनी मिट्टी को घर पर क्यों रखते थे भगत सिंह? जो बन गई अंग्रेजों का काल
खून से सनी मिट्टी को घर पर क्यों रखते थे भगत सिंह? जो बन गई अंग्रेजों का काल
नॉर्थ-ईस्ट में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध! प्रदर्शन करने वाले बोले- बीफ हमारे खाने का हिस्सा
नॉर्थ-ईस्ट में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का विरोध! प्रदर्शन करने वाले बोले- बीफ हमारे खाने का हिस्सा
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
चाय के साथ सुट्टा खूब पीते हैं लोग, जान लीजिए कितना खतरनाक है ये कॉम्बिनेशन
Embed widget