Israel Palestine Attack : बीते 7 अक्टूबर 2023 को हमास के लड़ाकों ने इजरायल पर अचानक हमला कर दिया. इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, इजराइल के कई शहरों में सायरन बजने लगें. हमास ने गाजा से इजरायली धरती पर अचानक जमीन, समुद्र और हवाई हमले के साथ लगभग 5000 रॉकेट लॉन्च किए. जिससे दहशत फ़ैल गई. सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें वायरल हुईं, वे बेहद ही भयावह थी. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इजरायल की सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रहीं थी, क्यों उन्हें इतनी बड़ी प्लानिंग की भनक तक नहीं लगी. जिस टेक्नालजी से दुनिया भर में इजराइल का दबदबा था वही उसकी कमजोरी निकली.
दरअसल, मोसाद, सिन बेट और मिलिट्री इंटेलीजेंस डायरेक्ट्रेट को दुनिया में सबसे ज्यादा शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों में गिना जाता है. लेकिन इनके रहते भी इजरायल पर इतना बड़ा हमला हो सकता है. लोग इस बात पर हैरानी जता रहे हैं. बता दें कि 1973 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब इस तरह का हमला किया गया है. हमास ने अपने पूरे प्लान को बेहद खुफिया तरीके से बनाया. उसने इजरायल के सामने ये पेश किया कि अब वो जंग लड़ नहीं सकता. इसी बात पर इजरायल ने भरोसा कर लिया.
हमास लगातार इजरायल को बनाता रहा बेवकूफ
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से हमास लगातार इजरायल के खुफिया तंत्र को बेवकूफ बनाता आ रहा था. जबकि, चुपके से अपनी पूरी तैयारी करता रहा. हमास के लड़ाकों ने इजरायल पर हमला करने से पहले गाजा में सेट्स बनाए. मिलिट्री लैंडिंग की प्रैक्टिस की. ट्रेनिंग की. इसके बाद पूरी तैयारी के साथ इजरायल में गए. हालांकि ये तो बात हुई हमास की तैयारी की लेकिन मध्य पूर्व की सबसे व्यापक और ताकतवर इंटेलिजेंस एजेंसियों से कहां चूक हुई. इजरायली खुफिया एजेंसियों ने पहले भी आतंकवादी संगठनों की सभी गतिविधियों की जानकारी रखते हुए उनके नेताओं की सटीक समय पर हत्याएं की हैं. लेकिन इस बात उन्हें इतने बड़े हमले की भनक कैसे नहीं लगी, यह सवाल आने वाले वर्षों में भी पूछा जाता रहेगा.
आखिर कहां हुई चूक
फलिस्तीनी हमलावरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रमुख संचार चैनलों की निगरानी करने में इजरायली ख़ुफ़िया एजेंसियां फेल रहीं. इसके साथ ही सीमा निगरानी उपकरणों पर इजरायली सुरक्षा एजेंसियां कुछ ज्यादा ही निर्भर थीं, जिसे हमलावरों में आसानी से बंद कर दिया गया था. न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में दो इजरायली अधिकारियों ने कहा कि इजरायली सीमा निगरानी प्रणाली लगभग पूरी तरह से कैमरों, सेंसर और मशीनगनों पर निर्भर थी, जो दूर से संचालित होती हैं. ऐसे में हमास के लड़ाकों ने इसी का फायदा उठाया.
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