हमास से समझौता पड़ा नेतन्याहू पर भारी, क्या गिर जाएगी सरकार, जानिए लेटेस्ट अपडेट
PM Netanyahu Government : हमास के साथ युद्ध विराम समझौता होने के बाद इजरायल के पीएम नेतन्याहू की सरकार खतरे में दिखाई दे रही है. पार्टी के नेता खुलकर इस समझौते का विरोध कर रहे हैं.
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Israel-Hamas Ceasefire : इजरायल-हमास के बीच सीजफायर समझौते के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. दरअसल, हमास के साथ युद्ध विराम समझौते से नेतन्याहू सरकार के कई मंत्री नाखुश हैं और वह खुलकर इस समझौते के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. यहां तक कि कई मंत्रियों ने भी सरकार के अपना इस्तीफा भी दे दिया है. इस युद्ध विराम समझौते का असर नेतन्याहू के सिंहासन पर पड़ सकता है.
नेताओं ने दिया इस्तीफा, गठबंधन पार्टी ने वापस लिया समर्थन
उल्लेखनीय है कि इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्विर ने हमास और इजरायली सरकार के युद्ध विराम समझौते के विरोध में नेतन्याहू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा बेन-ग्विर की राष्ट्रवादी-धार्मिक पार्टी ओत्जमा येहुदित के दो अन्य मंत्रियों ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है. वहीं, ओत्जमा येहुदित पार्टी ने नेतन्याहू की गठबंधन सरकार से अपना समर्थन भी वापस ले लिया है.
इन इस्तीफों के बाद प्रधानमंत्री नेतन्याहू की गठबंधन सरकार पर तनाव बढ़ गया है और यदि इसी तरह अन्य मंत्री सरकार से अपना समर्थन वापस लेते हैं तो इससे नेतन्याहू की सत्ता खतरे में पड़ जाएगी.
ओत्जमा येहुदित पार्टी ने समझौते की आलोचना की
बता दें कि ओत्जमा येहुदित पार्टी ने युद्ध विराम समझौते की हमास के प्रति समर्पण के रूप में आलोचना की. पार्टी ने इसे सैकड़ों हत्यारों की रिहाई करार दिया है. पार्टी ने दावा किया कि इससे गाजा में इजरायली सेना की उपलब्धियां कम हो गईं हैं. हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री के इस्तीफे के बाद भी नेतन्याहू के पास इजरायली संसद में बहुमत बरकरार है. वहीं, सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस लेने के बाद ओत्जमा येहुति पार्टी ने कहा कि वह नेतन्याहू की सरकार को गिराने की कोशिश नहीं करेगी.
नेतन्याहू सरकार की और बढ़ सकती है मुश्किल
इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन ग्विर के मंत्रिमंडल से इस्तीफे ने नेतन्याहू की गठंबधन सरकार को कमजोर कर दिया है. हालांकि नेतन्याहू की पार्टी इजरायली संसद में अभी मामूली बहुमत के साथ बनी हुई है. लेकिन अगर अन्य दक्षिणपंथी सांसद भी सरकार से समर्थन वापस लेते हैं तो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार संसद में अपना बहुमत खो सकते हैं.
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