Israel Palestine Conflict: हमास के खिलाफ गाजा पर इजरायली सैन्य कार्रवाई के खिलाफ हाल में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन का संयुक्त शिखर सम्मेलन हुआ, जिसमें अरब और मुस्लिम नेताओं ने इजरायली सेना के एक्शन की निंदा तो की लेकिन उसके खिलाफ दंडात्मक आर्थिक और राजनीतिक कदमों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. इस शिखर सम्मेलन में 57 देशों ने हिस्सा लिया था. 


अल्जीरिया और लेबनान समेत कुछ देश इजरायल और उसके सहयोगियों के खिलाफ तेल आपूर्ति रोकने और उनके साथ आर्थिक और राजनयिक संबंध तोड़ने के प्रस्ताव लाए थे जो पास नहीं हो सके. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन समेत तीन देशों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया.


उभरकर सामने आए क्षेत्रीय मतभेद


सम्मेलन के नतीजे में क्षेत्रीय मतदभेद नजर आए. एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (11 नवंबर) को शिखर सम्मेलन के फाइनल डेक्लेरेशन में इजरायल के इस दावे को खारिज किया गया कि वह आत्मरक्षा में कार्रवाई कर रहा है. इसमें मांग की गई कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इजरायल की आक्रामकता को रोकने के लिए एक निर्णायक और बाध्यकारी प्रस्ताव अपनाए.


डिक्लेरेशन के मुताबिक, इजरायल को होने वाली हथियारों की बिक्री को समाप्त करने का भी आह्वान किया गया और भविष्य में संघर्ष के किसी भी राजनीतिक समाधान को खारिज कर दिया गया जो गाजा को इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक से अलग रखेगा.


रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान की सदस्यता वाले 57 सदस्यीय ब्लॉक में शामिल अरब लीग और ओआईसी मूल रूप से अलग-अलग मिलने वाले थे. अरब राजनयिकों एएफपी को बताया कि अंतिम बयान को लेकर एक समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहने के बाद बैठकों के विलय का निर्णय आया.


अल्जीरिया और लेबनान समेत कुछ देशों का प्रस्ताव नहीं हुआ पास


राजनयिकों ने कहा कि अल्जीरिया और लेबनान समेत कुछ देशों ने इजरायल और उसके सहयोगियों को तेल आपूर्ति बाधित करने का प्रस्ताव रखा, साथ ही उन्होंने प्रस्ताव रखा कि अरब लीग के कुछ देश इजरायल के साथ आर्थिक और राजनयिक संबंध तोड़ लें. नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर राजनयिकों ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन समेत कम से कम तीन देशों ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. इन देशों ने 2020 में इजरायल के साथ संबंध सामान्य किए थे.


हमास ने शिखर सम्मेलन से किया था ये आह्वान


गाजा से जारी एक बयान में हमास ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों से आह्वान किया था कि वे इजरायली राजदूतों को निष्कासित करें, इजरायली युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए एक कानूनी आयोग बनाएं और क्षेत्र के लिए एक पुनर्निर्माण कोष बनाएं.


सीरिया के राष्ट्रपति ये बोले
 
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने कहा कि इजराइल के खिलाफ ठोस दंडात्मक उपायों की कमी शिखर सम्मेलन को बेकार कर देगी. असद ने कहा, ''अगर हमारे पास (इजरायल पर) दबाव बनाने के लिए वास्तविक टूल्स नहीं हैं तो हम जो भी कदम उठाएंगे या जो भाषण देंगे उसका कोई मतलब नहीं होगा.''


उन्होंने कहा कि जब तक कि स्थायी युद्धविराम नहीं हो जाता तब तक किसी भी मध्य पूर्वी देश को इजरायल के साथ किसी भी राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहिए, जिसमें आर्थिक संबंध विकसित करना भी शामिल है.


सर्वसम्मति की कमी कोई बड़ा आश्चर्य नहीं- विशेषज्ञ


वहीं, काहिरा सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज में मध्य पूर्वी मामलों के विशेषज्ञ राभा सैफ अल्लम ने कहा कि सर्वसम्मति की कमी कोई बड़ा आश्चर्य नहीं है. उन्होंने कहा कि वाशिंगटन के अरब सहयोगियों और ईरान के करीबी देशों के बीच मतभेद रातोंरात नहीं मिटाए जा सकते.


यह शर्म की बात है कि पश्चिमी देश...- रेसेप तैयप एर्दोगन


तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा, ''यह शर्म की बात है कि पश्चिमी देश, जो हमेशा मानवाधिकारों और स्वतंत्रता की बात करते हैं, वे फिलिस्तीन में चल रहे नरसंहार के सामने चुप हैं.'' वहींं, सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने कहा कि इजरायल को अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन की छूट मिल रही है.


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