Israel Hamas War Media Coverage: इजरायल हमास युद्ध के बीच दुनिया भर की मीडिया की कवरेज इससे जुड़ी घटनाक्रमों पर रही है. अमेरिका, ब्रिटेन, फलस्तीन और इजरायल की मीडिया में हमास और इजरायल की व्यापक कवरेज हुई है.


इस बीच ब्रितानी मीडिया संस्थान बीबीसी न्यूज़ की कवरेज को लेकर सवाल उठने लगे. बीबीसी पर आरोप लगे कि उसने इजरायल-हमास युद्ध की कवरेज ‘पक्षपातपूर्ण’ तरीके से की है. ब्रिटेन की नेशनल ज्यूयिश एसेंबली (एनजेए) यहूदी जीवन की वकालत और बचाव करने की एक संस्था है. संस्था ने बीबीसी पर आरोप लगाया है कि वे आंतकवादियों को मिलिटेंट्स या चरमपंथी कहते हैं. एनजेए ने एक ट्वीट में लिखा, "बस करो बीबीसी, हमास को वो ही कहो जो वो है…आंतकवादी." 


एनजेए लिखता है, “इजरायल के मामले में बीबीसी लगातार बहाने बनाता आ रहा है, लेकिन अब बहुत हुआ, हमास को आंतकवादी कहो.”






बीबीसी पर लगे आरोपों को लेकर ब्रितानी न्यूज चैनल जीबी न्यूज ने एक डिबेट कराया, जिसमें बीबीसी के पूर्व राजनीतिक संवाददाता जॉन सरजेंट से कुछ सवाल पूछे गए. इस कार्यक्रम में ब्रिटेन की नेशनल ज्यूयिश एसेंबली का अध्यक्ष भी शामिल थे. 


डिबेट में जॉन सरजेंट से पूछा गया कि बीबीसी इजरायल-हमाल युद्ध में हमास के आंतकियों को आंतकवादी कहने से क्यों बच रहा है? जॉन सरजेंट ने कहा, "लोगों (मीडिया के संदर्भ में) को ये समझ नहीं आता कि वह क्या कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि ये सामान्य है. अगर अमेरिकी सरकार हमास को आतंकी कहती है तो सारे लोग उसे आंतकी कह रहे हैं. लेकिन बीबीसी ऑपरेशन, समाचार ऑपरेशन, एक सरकार की तरह काम नहीं करती है. मुझे नहीं पता कि लोग इसका पालन क्यों नहीं करते हैं. यदि आप इस संघर्ष में शामिल हैं तो आप इसे समझ नहीं पाएंगे. हो सकता है हमास के लोग आंतकवादी हों."


इस बीच कार्यक्रम के मेजबान ने सरजेंट को बीच में टोकते हुए कहा, क्या आपको नहीं लगता कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने एक बच्चे का गला काट दिया?" जॉन सरजेंट कहते हैं, "अगर आप मुझसे पूछें कि मैं इसके बारे में क्या सोचता हूं तो मैं कहूंगा कि यह एक आतंकवादी कृत्य है. यह बिल्कुल स्पष्ट है. मुझसे पूछें कि क्या मैं बीबीसी संवाददाता के रूप यह कहूं तो परिस्थिति बदल जाएगी."


उन्होंने कहा, "बीबीसी के पास कोई एजेंडा नहीं है. बीबीसी यह तय करने की कोशिश नहीं कर रहा है कि मध्य पूर्व में किसने अच्छा या बुरा किया है और फिर लोगों को बताएं कि उन्हें क्या सोचना चाहिए." 


बीबीसी ने बताई वजह?


दरअसल बीबीसी किसी भी आंतकी संगठन और आंतकवादी को चरमपंथी लिखता है. बीबीसी ने ‘बीबीसी हमास के आतंकवादियों को 'आतंकवादी' क्यों नहीं कहता’ शीर्षक के साथ एक खबर प्रकाशित किया है. इस खबर को वर्ल्ड अफेयर्स के संपादक जॉन सिंपसन ने लिखा है. 


इस खबर के जरिए जॉन सिंपसन बताते हैं कि बीबीसी की संस्थापक सिद्धांतों की वजह से ऐसा किया जाता है.  वह लिखते हैं, "आंतकवाद एक भारी-भरकम शब्द है, जिसका इस्तेमाल लोग उस संगठन के बारे में करते हैं जिसे वे नैतिक रूप से खारिज करते हैं. लोगों को यह बताना बीबीसी का काम नहीं है कि किसका समर्थन करें और किसकी निंदा करें, कौन लोग अच्छे हैं और कौन लोग बुरे." 


जॉन सिंपसन लिखते हैं, “हम नियमित रूप से बताते हैं कि ब्रिटिश या कई सरकारों ने एक आतंकवादी संगठन के रूप में हमास की निंदा की है, लेकिन यह उनका काम है. हम उन लोगों का इंटरव्यू भी चलाते हैं जो हमास को आतंकवादी कहते हैं. सबसे अहम बात ये है कि यह है कि हम इसे अपनी आवाज में नहीं कहते हैं. हमारा व्यवसाय अपने दर्शकों को तथ्य प्रस्तुत करना है, और उन्हें अपना मन खुद बनाने देना है.” 


उन्होंने लिखा, आतंकवादी शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने की वजह से हम पर निशाना साधने वाले कई लोगों कई लोगों ने हमारी रिपोर्टिंग देखी है. हम किसी से कोई सत्य छुपा नहीं रहे हैं. 


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