Israel-Hamas War: इजरायल-हमास युद्ध ने बढ़ाई मध्य पूर्व एशिया की चिंता, इस तरह पूरी दुनिया में फैल सकती है इस संघर्ष की चिंगारी
Hamas Attack in Israel: गाजा में हमास को निशाना बनाने के लिए इजरायल का हमला जारी है. इसके बाद कई मुस्लिम देशों ने इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इससे युद्ध का दायरा बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है.
Israel-Hamas Crisis: हमास के आतंकियों के हमले के बाद इजरायल ने 7 अक्टूबर को ही फिलिस्तीन के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था. इसके बाद से इजयाल की सेना लगातार गाजा पट्टी में हमले कर रही है. इस युद्ध ने मध्य पूर्व एशिया को अब बारूद के ढेर पर बैठा दिया है. दरअसल, इस युद्ध के बाद से दूसरे इस्लामी देश और आतंकी संगठन भी इसमें कूद सकते हैं और एक आतंकी चक्र विश्व स्तर पर चल सकता है.
यही वजह है कि इस संकट पर भारत भी लगातार नजर बनाए हुए है. अगर यह युद्ध लंबा खिंचता है तो इसका असर न सिर्फ मध्य पूर्व एशिया के देशों पर बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा. आइए जानते हैं कि कैसे यह युद्ध वैश्विक अस्थिरता का खतरा भी पैदा कर सकता है.
इस तरह बढ़ सकता है युद्ध का दायरा
बेशक अभी यह युद्ध इजरायल और हमास के बीच चल रहा हो, लेकिन इसका दायरा कई परिस्थितियों में बढ़ भी सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ईरान समर्थित हिजबुल्लाह आतंकवादी समूह हमास का बदला लेने के लिए इजरायल पर हमला करता है तो युद्ध का दायरा काफी आगे निकल जाएगा. अभी तक हिजबुल्लाह मौखिक रूप से हमास के साथ खड़ा है. यदि हिजबुल्लाह उत्तरी इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोलता है तो उसका मुख्य समर्थक ईरान भी इस संघर्ष में शामिल हो जाएगा.
ईरान यहूदियों और इजरायल का घोषित दुश्मन है. ईरान 3 जनवरी, 2020 को बगदाद में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के प्रमुख कासिम सोलेमानी की हत्या के लिए मोसाद और सीआईए को दोषी मानता है. इसके अलावा ईरान अपने प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की हत्या का बदला लेने की भी कोशिश कर रहा है. हिजबुल्लाह की मौजूदगी कतर के साथ-साथ कुवैत में भी है. ऐसे में हिजबुल्लाह के युद्ध में कूदते ही सीरिया, कतर और कुवैत भी इसमें शामिल हो सकते हैं.
जो मुस्लिम देश चुप, वहां जनता खोल रही मोर्चा
वहीं, दूसरी तरफ सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र जैसे राज्य पूरी तरह से ईरान और तुर्किए के खिलाफ हैं, लेकिन इन देशों में बड़ी संख्या में लोग हमास और फिलिस्तीन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. इस स्थिति में यहां की सरकारें जनता की राय को कितनी परिपक्वता से संभालते हैं, ये वक्त बताएगा. अब तक संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने हमास का समर्थन नहीं किया है. इस बीच यह भी चर्चा है कि हमास पर चल रही इजरायल की कार्रवाई का असल विरोध मध्य पूर्व और अन्य मुस्लिम देशों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों में नजर आएगा.
भारत को भी है सतर्क रहने की जरूरत
जिस तरह से आतंकवाद और ईरान, कतर और तुर्किये जैसे मुस्लिम देशों के गठबंधन ने इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, उससे लगता है कि कभी भी युद्ध का एक नया चक्र शुरू हो सकता है. ऐसी स्थिति में लोकतांत्रिक दुनिया को भी सतर्क रहने की जरूरत होगी, खासकर भारत को जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे आतंकवाद पोषित देशों से घिरा हुआ है.
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