Israel Hamas War: इजराइल-हमास के बीच चल रहे युद्ध के क्या मायने हैं? आखिर क्यों कहा जा रहा इसे 'धर्मयुद्ध', यहां समझिए
Israel Palestine: इजराइल पर हमले तो हमास ने फिलिस्तीन के लिए किए लेकिन मजहब, जमीन और जंग के बीच इजरायल-फिलिस्तीन के बीच ऐसा कांटा है, जिससे हमेशा पश्चिम और मिडिल ईस्ट एशिया की राजनीति प्रभावित होती रही.
Israel Hamas War: इस वक्त इजराइल और हमास के बीच विनाशकारी युद्ध चल रहा है. इस दौरान दोनों खेमों को मिलाकर लगभग 1400 लोगों की मौत हो गई है, वहीं करीब 2000 के आस-पास घायल है. इसी दौरान हमास के Political Bureau के चीफ इस्माइल हानियान ने एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि इजराइल और हमास के बीच चल रहा ये युद्ध केवल फिलिस्तीन की लड़ाई नहीं है. ये अरब के सभी मुस्लिम देशों की लड़ाई है. ये फिलिस्तीन के लिए जंग है. ये यरुशलम की जंग है. ये अल-अक्सा के लिए लड़ाई है. इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बड़ी जंग छिड़ी हुई है. उन्होंने इस युद्ध को सभी मुस्लिम देशों की लड़ाई बता दिया है और इसे धर्मयुद्ध का नाम दे दिया है.
इजरायल पर शनिवार सुबह फिलिस्तीनी संगठन हमास ने ताबड़तोड़ अटैक किए. ये हाल के सालों में इजराइल पर सबसे बड़ा हमला है. हमास ने इस अटैक को ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड नाम दिया, जिसमें 5000 से ज्यादा रॉकेट दागे गए, जिसमें 700 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हो गए.
दो खेमो में बंटी दुनिया
आपको बता दें कि हमास वाले इजराइल पर हमला करने के बाद खुशीयां मना रहे हैं. इजराइल के दिल पर ये हमले तो हमास ने फिलिस्तीन के लिए किया है, लेकिन मजहब, जमीन और जंग के बीच इजरायल-फिलिस्तीन विवाद एक ऐसा कांटा है, जिससे हमेशा पश्चिम और मिडिल ईस्ट एशिया की राजनीति प्रभावित होती रही है. वहीं इस बार भी खुल कर गुटबाजी देखने को मिल रही है.
इजरायल में जंग का दूसरा मोर्चा खुलने के बाद दुनिया लगभग दो खेमे में बंट गई है. इसमें एक तरफ अमेरिका, UK और फ्रांस जैसे veto power वाले देश हैं, जो इजराइल का साथ दे रही हैं. वहीं दूसरी तरफ ईरान ने फिलिस्तीन को खुला समर्थन दिया है. उन्होंने हमास को इस हमले के लिए बधाई दी है. कतर ने इजराइली सेना को फिलिस्तानी लोगों के साथ हिंसा करने का जिम्मेदार ठहराया है तो पाकिस्तान ने भी इस हमले का खुलकर समर्थन किया है.
अरब मुल्कों की मुश्किलें बढ़ीं
फिलिस्तीनी हमास के इजराइल पर हमले से अरब मुल्कों की मुश्किलें बढ़ गई है. खासतौर पर सऊदी अरब की, जो दुश्मन देश के साथ संबंध सुधारने में जुटा है. हमास के अटैक के बाद बिना देरी किए सऊदी किंगडम ने शांति बनाए रखने की अपील की. वहीं 57 देशों के मुस्लिम संगठन ओआईसी ने भी इस हमले पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, जहां सऊदी का दबदबा है.
इसके उलट ईरान ने फिलिस्तीन को सीधा समर्थन दिया. लड़ाकों के इजराइल में घुसने के लिए हमास को बधाई दी. ऐसे में सवाल लाजमी है कि ईरान फिलीस्तीन का खुलकर साथ क्यों दे रहा है?
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