Israel-Hamas War: मिडिल ईस्ट दुनिया की एक ऐसी जगह रही है, जहां कभी शांति स्थापित नहीं हो पाई है. किसी न किसी मुल्क का किसी दूसरे साथ झगड़ा चलता रहा है. ऐसा ही कुछ इस बार भी देखने को मिल रहा है, जहां इजरायल और फिलिस्तीन समर्थक चरमपंथी संगठन हमास एक दूसरे से भिड़े हुए हैं. इजरायल-हमास युद्ध ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. इसकी वजह है गाजा पट्टी में हो रही इजरायली बमबारी में हजारों लोगों की मौत. 


कुछ लोगों ने इस युद्ध की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुई बमबारी से की है. हालांकि, ऐसा करने वाले लोग गलत भी नहीं हैं, क्योंकि आंकड़ें इस बात की तस्दीक करते हुए नजर आ रहे हैं कि इजरायल-हमास जंग द्वितीय विश्व युद्ध से भी ज्यादा भयानक है. द्वितीय विश्व युद्ध में सबसे बड़ी त्रासदी के गवाह जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासकी बने थे, जहां परमाणु बम गिराए गए. ऐसा ही कुछ गाजा में भी हो रहा है, बस फर्क सिर्फ इतना है कि यहां परमाणु बम नहीं गिर रहा. 


इन बातों को ध्यान में रखते हुए आइए आपको द्वितीय विश्व युद्ध से इस युद्ध की तुलना करते हुए बताते हैं कि आखिर अभी तक इजरायल की तरफ से गाजा पर कितने बम बरसाए गए हैं. गाजा में हर एक व्यक्ति के सिर पर कितने किलोग्राम बम गिराया गया है. इस युद्ध की वजह से आर्थिक नुकसान कितना ज्यादा हुआ है.


गाजा पट्टी पर कितने टन बम बरसाए गए? 


हमास के जरिए इजरायल पर 7 अक्टूबर को किए गए हमले के बाद से ही इजरायली सेना गाजा पट्टी में चरमपंथी संगठन के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर रही है. हमास को जड़ से मिटाने की कसम खाए बैठे इजरायल ने गाजा पट्टी पर जबरदस्त तरीके से बमबारी की है. तास की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास पोलितोब्यूरो के सदस्य ओसामा हमदान ने बताया था कि 7 अक्टूबर से लेकर 6 नवंबर तक गाजा पर 35 हजार टन विस्फोटकों से भरे बम गिराए गए हैं. 


ओसामा हमदान ने कहा था कि इजरायल की तरफ से गिराए गए बम परमाणु बमों से होने वाले नुकसान से भी ज्यादा हैं. यूरो मेड मॉनिटर की रिपोर्ट के मुताबिक, हमदान की बात सच भी साबित होती हुई नजर आती है, क्योंकि हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से हुआ नुकसान 15000 टन विस्फोटकों के बराबर होने वाली तबाही के समान था. ऐसे में गाजा पट्टी पर गिराए गए विस्फोटक परमाणु बम से भी दो गुना ज्यादा शक्तिशाली हैं. 


हर गाजा वासी के ऊपर कितने KG विस्फोटकों से भरे बम बरसाए गए? 


गाजा पट्टी की आबादी 23 लाख है, जिसमें से 10 लाख के करीब अकेले इसकी राजधानी गाजा सिटी में रहते हैं. गाजा सिटी पट्टी के उत्तरी हिस्से में मौजूद है, जहां इजरायल ने सबसे ज्यादा बमबारी की है. अभी तक मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 35000 टन विस्फोटकों से भरे बम गिराए जा चुके हैं. इसका मतलब हुआ कि गाजा के हर एक शख्स पर लगभग 65 किलोग्राम विस्फोटक से भरा बम गिराया गया है. 


गाजा पट्टी पर कितने बम गिराए गए? 


यूरो मेड मॉनिटर की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर की शुरुआत में इजरायल के युद्ध मंत्री योआव गैलेंट ने कहा था कि गाजा सिटी पर अकेले 10 हजार से ज्यादा बम गिराए गए हैं. इनमें से कुछ बमों का वजन 150 किलोग्राम से लेकर 1000 किलोग्राम तक है. इजरायल बमबारी के लिए जिन बमों का इस्तेमाल कर रहा है, वो अमेरिका में डिजाइन किए गए एमके80 बॉम्ब फैमिली का हिस्सा हैं. इन्हें स्मार्ट बम भी कहा जाता है. बमबारी के लिए एफ-16 फाइटर जेट का इस्तेमाल हो रहा है.


क्यों द्वितीय विश्व युद्ध से भी ज्यादा भयानक है गाजा का युद्ध?


दरअसल, गाजा पट्टी में चल रही बमबारी को द्वितीय विश्व युद्ध से तुलना करने की कई वजहें हैं. बमबारी के अलावा गाजा में जान-माल का नुकसान भी द्वितीय विश्व युद्ध की तरह ही है. द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर ने झेला. ऐसे में अगर इन दो शहरों से गाजा पट्टी पर हो रहे हमले की तुलना करें, तो हमें कुछ चौंकाने वाले आंकड़ें नजर आते हैं. ये आंकड़ें ऐसे हैं, जिन्हें जानने के बाद हर कोई युद्ध रोकने की वकालत ही करेगा. 


जापान के जिस हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया गया, उसका क्षेत्रफल 900 स्क्वायर किलोमीटर था, जबकि गाजा पट्टी महज 360 स्क्वायर किलोमीटर की है. ऐसे में हिरोशिमा से तीन गुना छोटे गाजा पर दो परमाणु बमों के बराबर का हमला किया जा चुका है. इसे समझने के लिए आपको फिर से बता दें कि हिरोशिमा पर गिराया गया बम 15000 टन विस्फोटकों के बराबर था, जबकि गाजा पर 35000 टन विस्फोटकों से भरे बम से हमला हो चुका है. 


युद्ध में कितना हुआ जानमाल का नुकसान? 


इजरायल-हमास युद्ध के शुरू होने से लेकर अब तक 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 1200 लोग इजरायल में मारे गए हैं, जबकि बाकी के लोगों ने गाजा पट्टी में जान गंवाई है. गाजा पट्टी में घायल होने वाले लोगों की संख्या 36000 से ज्यादा है. अगर द्वितीय विश्व युद्ध से इसकी तुलना करें तो उसमें 7.5 करोड़ लोग मारे गए थे. हिरोशिमा में मारे गए लोगों की संख्या 70,000 से 1,26,000 थी, जबकि नागासाकी में 60,000 से 80,000 लोगों ने जान गंवाई थी.  


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