Israel Hamas War: इजरायल-हमास जंग में अस्थाई विराम को लेकर चर्चा दुनिया भर में हो रही है. अमेरिका, इजरायल, हमास, कतर ने इस युद्ध विराम समझौते को लेकर हामी भर दी है. हालांकि अभी बहुत साफ नहीं है कि दोनों पक्षों के बीच युद्ध-विराम कब से लागू होगा. अल-जजीरा ने कतर के अधिकारियों के हवाले से जानकारी दी थी कि गुरुवार स्थानीय समयानुसार सुबह दस बजे समझौते की पहली कड़ी के तहत सीजफायर लागू किया जाएगा और इसके बाद हमास की ओर से इजरायल को बंधक सौपे जाएंगे.


हालांकि फिलहाल के लिए समझौता टल गया है. इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद प्रमुख ने बताया है कि सीजफायर में अभी समय लग सकता है, शायद ये शुक्रवार से पहले संभव नहीं हो पाएगा. इजरायली सेना के मुख्य प्रवक्ता डेनियल हगारी ने सीजफायर डील को लेकर कहा कि उन्होंने नहीं पता कि सीजफायर कब होगा. 


युद्ध-विराम से इजरायल को कैसे फायदा?


इजरायल-हमास के बीच जंग में ये तो जाहिर है कि अगर जंग कुछ दिन के लिए भी थमती है तो इससे हमास को फायदा होगा और उसे खुद को संभालने का मौका मिलेगा, लेकिन इजरायल के लिए भी सीजफायर फायदेमंद हो सकता है. 


इजरायल के सैनिक पिछले 48 दिनों से लगातार लड़ रहे हैं, सीजफायर के दौरान इन सैनिकों को कुछ दिनों का समय मिल सकेगा. वहीं अल-शिफा अस्पताल में मौजूद सैनिक अपना काम करते रहेंगे, लेकिन समझौते की तय शर्तों के मुताबिक इस बीच इजरायली सैनिक किसी को निशाना नहीं बना सकते हैं और न ही किसी को गिरफ्तार कर सकते हैं. इसके अलावा समझौते की वजह से इजरायल के उन परिवारों की तकलीफ छटेगी जिनके करीबी हमास की कैद से रिहा होंगे.


नेतन्याहू को क्या है नुकसान?


इजरायल और हमास के बीच बंधकों की रिहाई और पांच दिनों तक जंग रोकने की डील को लेकर इजरायल ने सबसे अंत में प्रतिक्रिया दी. हालांकि समझौते को लेकर इजरायल ने बहुत सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया है. कुछ दिन पहले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने समझौते को लेकर किसी भी संभावना से इनकार कर दिया था. 


उन्होंने कहा था, "इजरायल-हमास के बीच समझौते को लेकर गलत रिपोर्ट्स चल रही हैं, अगर ऐसा कुछ होगा तो हम अपने नागरिकों को बताएंगे." लेकिन सवाल ये है कि बंधकों की रिहाई समझौते को लेकर इजरायल और नेतन्याहू ज्यादा बात क्यों नहीं कर रहे हैं?


दरअसल नेतन्याहू ने हमास की ओर से इजरायल पर किए गए हमले के बाद कसम खाई थी कि वह जब तक हमास को नेस्तनाबूत नहीं कर देंगे तब तक जंग नहीं रोकेंगे. इसके अलावा उन्होंने बंधकों की रिहाई को लेकर भी नागरिकों से वादा किया था कि वे किसी भी हालत में जल्द से जल्द उनकी रिहाई कराएंगे, लेकिन अब तक नेतन्याहू दोनों ही वादे को पूरा नहीं कर पाए थे, उनके ऊपर बंधकों की रिहाई को लेकर दबाव था. बीते हफ्ते हजारों लोगों ने उनके दफ्तर को सामने बंधकों की रिहाई को लेकर प्रदर्शन किए थे.


माना जा रहा है कि नेतन्याहू ऐसे राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गए हैं जहां से वे निकल नहीं पा रहे हैं. समझौते को मानने पर उन्हें हमास के सामने कमजोर पड़ने के तौर पर देखा जा सकता है. 


क्या हैं समझौते कि शर्तें?


इजरायल और हमास के बीच हुए संभावित सीजफायर डील के मुताबिक, इजरायल सबसे पहले जंग रोकेगा, जिसके बदले में 50 बंधकों को छोड़ा जाएगा. हालांकि ये साफ नहीं है कि हमास एक साथ 50 बंधकों की रिहा करेगा या उन्हें कई खेप में रिहा करेगा. इसके अलावा हमास ने इजरायल से मांग की है कि वह अपने जेल में कैद 300 फिलिस्तीनियों को रिहा करे. बता दें इजरायल जिन फिलिस्तीनियों को जेल में बंद कर रखा है उसमें 287 कैदियों की उम्र 18 साल से कम है. इजरायल का आरोप है कि उसने कैदियों को दंगा और पथराव के जुर्म में जेल में बंद किया है. 


ये भी पढ़ें:


पहले सस्ता तेल, फिर डायरेक्ट फ्लाइट और अब ब्रिक्स सम्मेलन की सदस्यता... भारत के दुश्मन पाकिस्तान के साथ रूस की बढ़ रहीं नजदीकियां