Israel Hamas War: लेबर पेन में भी 5 किलोमीटर चलकर पहुंची अस्पताल, चार बच्चों को दिया जन्म
Israel Hamas Row: इजरायल और हमास के बीच युद्ध को करीब तीन महीने होने को हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. इस युद्ध में सबसे ज्यादा परेशानी आम लोगों को हो रही है. हजारों बेगुनाह मारे जा चुके हैं.
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Israel Hamas War Latest News: युद्धग्रस्त फिलिस्तीनी क्षेत्र में न इजरायल के हमले रुक रहे हैं और न ही वहां आम लोगों की परेशानी खत्म होती दिख रही है. हाल ही में एक महिला को ऐसी तकलीफ से गुजरना पड़ा जिसकी चर्चा दुनियाभर की मीडिया में हो रही है. यहां फिलिस्तीन के उत्तर में एक गर्भवती महिला पिछले दिनों लेबर पेन होने के बाद कई मील तक खुद पैदल चलकर अस्पताल पहुंची और वहां उसने चार बच्चों को जन्म दिया.
उसके संघर्ष की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. उसे अब भी कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है. वह अब थक गई है. इस महिला का नाम इमान अल-मसरी है. अल-मसरी अब खुद को बहुत थका हुआ महसूस कर रही हैं. वह कहती हैं कि 7 अक्टूबर को जब इजरायल ने हमास पर हमला किया तो उसके कुछ दिन बाद सुरक्षा की तलाश में वह पैदल ही बेत हानून स्थित अपने घर से निकल गई थीं.
पैदल चलने की वजह से बिगड़ी हालत
28 साल की इमान अल-मसरी ने बताया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तलाश में वह पहले जबालिया शरणार्थी कैंप तक करीब पांच किलोमीटर पैदल चलीं. वह दीर अल-बलाह तक जाना चाहती थीं. वह छह महीने की गर्भवती थीं. वह पैदल चलते-चलते थक गईं थीं. उन्हें अभी काफी दूर तक जाना था. ज्यादा पैदल चलने की वजह से मेरी हालत खराब हो रही थी और मेरी गर्भावस्था भी प्रभावित हुई. बाद में वह अस्पताल पहुंचीं. वहां 18 दिसंबर को डॉक्टरों ने सी-सेक्शन के जरिये डिलिवरी कराने की बात कही. इसके बाद उन्होंने टिया व लिन (बेटी) और यासर और मोहम्मद (बेटे) को जन्म दिया.
बच्चों के जन्म के बाद अस्पताल खाली करना पड़ा
इमान अल-मसरी के मुताबिक, इतनी गंभीर हातल में चार बच्चों के जन्म देना इतना आसान नहीं था, लेकिन उनकी मुसीबत यहीं खत्म होती नहीं दिख रही थी. उनसे बच्चों के जन्म के बाद तुरंत शिशुओं के साथ अस्पताल छोड़ने को कहा गया. बच्चों को लेकर इस हालत में वहां से कहीं जाना उनके लिए मुश्किल था. उनके एक बच्चे मोहम्मद की हालत गंभीर थी.
एक बच्चे को छोड़ना पड़ा अस्पताल में
इमान अल-मसरी कहती का कहना है कि मजबूरी में उन्हें टिया, लिन और यासर के साथ वहां से निकल गईं. अब वह दीर अल-बलाह में एक तंग स्कूल कैंपस में बने आश्रय स्थल में रह रहीं हैं. उन्होंने बताया कि अपने एक बेटे मोहम्मद को अस्पताल में छोड़ना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उसका वजन केवल एक किलोग्राम (2.2 पाउंड) था. ऐसे में उसका मेरे पास जिंदा रहना संभव नहीं था. इमान अल-मसरी कहती का कहना है कि, "जब मैं घर से निकली तो मेरे पास गर्मी के कुछ कपड़े थे. मैंने सोचा कि युद्ध एक या दो सप्ताह तक चलेगा और उसके बाद हम घर वापस चले जाएंगे. अब 11 सप्ताह से अधिक समय के बाद उनकी वापस लौटने की उम्मीदें टूट गई हैं.
बच्चों के लिए नहीं मिल पा रहा दूध
इमान अल-मसरी ने बताया कि, अन्य मां की तरह उन्हें भी परंपरा का पालन करने और अपने बच्चों के जन्म पर गुलाब जल छिड़क कर जश्न मनाने की उम्मीद थी, लेकिन 10 दिनों से मैं इन्हें नहला भी नहीं पाई हूं. तबाह हुए इलाके में साफ पानी ढूंढना मुश्किल हो रहा है. यहां दूध, दवा और स्वास्थ्य संबंधी आपूर्ति सहित अन्य बुनियादी खाद्य सामग्री की भारी कमी है. इमान अल-मसरी के 33 वर्षीय पति अम्मार अल-मसरी का कहना है कि वह तबाह हो गए हैं और वह अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि वह भोजन की तलाश में भटकते रहते हैं. मेरी बेटी टिया को पीलिया है. उसके लिए स्तनपान जरूरी है, लेकिन मेरी पत्नी को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है. बच्चों को दूध और डायपर की जरूरत होती है, लेकिन मुझे उसमें से कुछ भी नहीं मिल पा रहा है.
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