North Korea Supreme Leader Kim Jong Un: इजरायल हमास युद्ध के बीच कई देश अपने-अपने सहयोगी पक्षों के समर्थन के लिए आगे आते रहे हैं. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली हैं, जिसने इजरायल का समर्थन किया है. वहीं दूसरी ओर ईरान, तुर्किए, रूस , चीन और पाकिस्तानी जैसे मुल्क फिलिस्तीन के समर्थन में नजर आ रहे हैं. इसी बीच द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने साउथ कोरिया की खुफिया एजेंसी का हवाला देते हुए बताया कि नॉर्थ कोरियाई नेता किम जोंग उन ने अपने अधिकारियों को इजरायल-हमास युद्ध के बीच फिलिस्तीनियों का समर्थन करने का आदेश दिया है.


नॉर्थ कोरियाई  नेता किम जोंग उन ने फिलिस्तीनियों को समर्थन देने के अलावा मिडिल ईस्ट देशों में मौजूद आतंकवादी समूहों को हथियार बेचने का संकेत दिया है. आपको बता दें कि नॉर्थ कोरिया अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम की वजह से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. उसने हाल ही में हमास को एंटी-टैंक रॉकेट लॉन्चर बेचे हैं. इस बात की जानकारी साउथ कोरियाई सांसदों ने एक ब्रीफिंग में दी.


हमास हमले में नॉर्थ कोरियाई हथियारों का इस्तेमाल
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि गाजा में युद्ध के बीच नॉर्थ कोरिया अधिक हथियार इम्पोर्ट करने की कोशिश कर सकता है. कोरिया हेराल्ड के अनुसार साउथ कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के निदेशक किम क्यू-ह्यून ने सांसदों को बताया कि माना जाता है कि किम जोंग उन ने युद्ध से लाभ उठाने के लिए फिलिस्तीन के लिए व्यापक समर्थन का आह्वान किया था. ये घटनाक्रम हमास की तरफ से पोस्ट की गई वीडियो के सबूतों के बाद आया है जिसमें दिखाया गया है कि उसके लड़ाकों ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला करते समय संदिग्ध नॉर्थ कोरियाई हथियारों का इस्तेमाल किया था.


नॉर्थ कोरिया ने फर्जी अफवाह करार दिया
AP की रिपोर्ट के मुताबिक दो साउथ कोरिया रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार हमास ने संभवतः नॉर्थ कोरियाई F-7 रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड का इस्तेमाल किया था, जो कंधे से दागा जाने वाला एक हथियार है, जिसे लड़ाकू आमतौर पर बख्तरबंद वाहनों के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं. एक दूसरे वीडियो में हमास के आतंकवादियों को संदिग्ध नॉर्थ कोरियाई बुल्से-निर्देशित एंटी-टैंक मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया था. पिछले हफ्ते नॉर्थ कोरिया ने हमास की तरफ से अपने हथियारों का इस्तेमाल करने के दावों को खारिज कर दिया और दावा किया कि यह अमेरिका की तरफ से रचित एक फर्जी अफवाह थी.


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