Israel Palestine Conflict: हमास और इजरायल की जंग को एक महीना पूरा हो गया है. 7 अक्टूबर को हमास ने जमीन, हवा और समुद्र के जरिये दक्षिण इजरायल में अचानक घातक हमला किया था. गाजा से हजारों की संख्या में रॉकेट भी दागे गए थे. हमास के लड़ाके इजरायल के सैन्य प्रतिष्ठानों और बस्तियों में घुस गए थे.
उस दौरान हमास के हमले में सैकड़ों लोग मारे गए और कई लोगों को वह बंधक बनाकर ले गया था. हमला सुबह हुआ था. इस हमले के कारण इजरायल की मजबूत कही जाने वाली खुफिया सेवा और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे. हमले के बाद उसी दिन इजरायल ने हमास के सफाए के लिए युद्ध की घोषणा करते हुए ऑपरेशन स्वॉर्ड ऑफ आयरन लॉन्च कर दिया था. तब से इजरायली फाइटर जेट गाजा में एयरस्ट्राइक कर रहे हैं.
इजराइल डिफेंस फोर्सेज ने व्यापक जमीनी हमले की योजना भी बनाई है और उसके टैंक, बख्तरबंद वाहन और पैदल सैनिक गाजा में जमीनी छापे मार रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया के कई देश और कई एजेंसियां संघर्ष विराम का आह्वान कर रहे हैं. बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि सभी बंधकों को छोड़े जाने के बिना सीजफायर नहीं होगा. वहीं, हमास ने इजरायल की जेलों में बंद फिलिस्तीनी कैदियों से बंधकों की अदला-बदली की शर्त रखी है.
हमास-इजरायल जंग में अब तक 11 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
जंग के एक महीने में गाजा के कई इलाके मलबे के ढेर में तब्दील हो गए हैं. क्षत-विक्षत शव, भूख, चीख और आंसू, ये दृश्य आम हो गए हैं. इस जंग में मरने वालों का आंकड़ा 11 हजार पार कर गया है. गाजा में हमास की ओर से संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इजरायली हमलों में अब तक 10,022 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, वेस्ट बैंक में 152 लोगों की मौत हुई है. वहीं, हमास के हमलों में इजरायल के 1,400 से ज्यादा लोगों ने जानें गंवाई हैं.
हमास ने इजरायल पर हमला क्यों किया था?
मुख्य रूप से संघर्ष फिलिस्तीन और इजरायल का है जो वर्षों से चला आ रहा है. हमास फिलिस्तीनियों की लड़ाई लड़ने का दावा करने वाला और गाजा से चलने वाला एक चरमपंथी संगठन है जो 2007 से पट्टी में अपना शासन चला रहा. हमास को ईरान का समर्थन है. कई जानकार मानते हैं कि इजरायल पर इस स्तर के हमला करने में ईरान ने हमास को सक्षम बनाया.
सीबीएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमास ने दो वजहों से इजरायल पर हमला किया था. सीबीएस ने अपनी रिपोर्ट में हमास के हवाले से बताया कि हमास ने कहा कि यह हमला मुख्य रूप से इजरायली नीति के कारण लंबे समय से चले आ रहे उसके गुस्से की परिणति के रूप में प्रेरित था, जिसमें यरूशलेम में अल-अक्सा मस्जिद में हाल ही में हुई हिंसा शामिल थी लेकिन इसकी आम वजह फिलिस्तीनियों के साथ व्यवहार और इजरायली बस्तियों का विस्तार थी.
हमास के हमले की ये तीन वजहें भी
अलजजीरा की एक रिपोर्ट में इजरायल पर हमास के हमले के तीन कारण बताए गए. पहला कि धुर दक्षिणपंथी इजरायली सरकार की नीतियां कब्जे वाले पश्चिमी किनारे (वेस्ट बैंक) और यरूशलम में बसने वालों की हिंसा का कारण हैं जो फिलिस्तीनियों के बीच हताशा की भावना पैदा करता है और प्रतिक्रिया की मांग पैदा होती है. वहीं इजरायली नीतियों के चलते वेस्ट बैंक में तनाव के कारण बस्तियों की रक्षा के लिए इजरायली सेना को दक्षिण से दूर उत्तर की ओर शिफ्ट करना जरूरी हो गया जिस वजह से हमास ने हमला किया.
दूसरा, अरब-इजरायल सामान्यीकरण में तेजी के कारण हमास को हमले को कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. हाल के वर्षों में इस प्रक्रिया ने अरब नेताओं के लिए फिलिस्तीनी मुद्दे के महत्व को और कम कर दिया है, वे मामले पर इजराइल पर दबाव बनाने के लिए कम उत्सुक हो गए हैं. अगर सऊदी-इजरायल सामान्यीकरण समझौता संपन्न हो गया होता तो यह अरब-इजरायल संघर्ष में एक टर्निंग प्वाइंट होता, जो दो-राज्य समाधान की पहले से ही कमजोर संभावनाओं को समाप्त कर देता. हमास ने यह सोचा था. तीसरा, ईरान के साथ रिश्ते सुधारने में कामयाब होने के बाद हमास का हौसला बढ़ गया था.
इजरायल को लेकर क्या कहता है हमास का चार्टर?
एक वजह हमास की ओर से इजरायल को मिटा देने के लिए खाई गई कसम भी है. दरअसल, हमास ने 18 अगस्त 1988 को अपना एक चार्टर जारी किया था, जिसे कन्वेनेंट ऑफ द इस्लामिक रिजिस्टेंस मूवमेंट यानी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन की वाचा नाम दिया गया था. 1 मई 2017 को दोहा में हमास नेता खालिद मशाल की ओर से नया चार्टर जारी किया गया था.
चार्टर में कहा गया है कि यहूदियों के खिलाफ हमारा संघर्ष बहुत महान और बहुत गंभीर है और आखिरकार इजरायल और फिलिस्तीनी क्षेत्रों के स्थान पर फिलिस्तीन में एक इस्लामी राज्य के निर्माण और इजरायल के विनाश का या विलय का आह्वान करता है. हालांकि, 7 अक्टूबर के हमास के हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी हमास को नेस्तनाबूत करने की कसम खाई है.
हमास के हमले से उठे इजरायली एजेंसियों पर सवाल
इजरायली इंटेलिजेंस कम्युनिटी मुख्य रूप से तीन एजेंसियों से मिलकर बना है, जिनमें अमन, मोसाद और शबाक एजेंसियां शामिल हैं. अमन का काम मिलिट्री इंटेलिजेंस का है, मोसाद विदेशी खुफिया मामले संभालती है और शबाक यानी शिन बेट आंतरिक सुरक्षा से संबंधित एजेंसी है.
इन तीनों में मोसाद की काफी चर्चा रहती है क्योंकि यह एजेंसी इस रूप में जानी जाती है कि इसके जवान विदेशों में दुश्मन को उसी के ठिकाने पर मार सकते हैं. दुनिया की टॉप 10 में यह एजेंसी रहती है और सूची बनाने वाले कई संस्थान इसे टॉप 5 में रखते हैं.
माना जाता है कि मोसाद के एजेंट दुनियाभर में फैले हैं जो हर खुफिया जानकारी से इजरायल डिफेंस फोर्सेज को अपडेट रखते हैं. हमास के 7 अक्टूबर के हमले की भनक आखिर मोसाद और शिन बेट जैसी एजेंसियों को क्यों नहीं लगी, क्या इन एजेंसियों से कोई चूक हो गई या इनकी कार्य प्रणाली में कुछ गड़बड़ है, ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं.
इजरायल दे चुका है लोगों को उत्तरी गाजा खाली करने की चेतावनी
7 अक्टूबर को हमासे के हमले के जवाब में कार्रवाई करते हुए इजरायल ने 10 अक्टूबर को गाजा सीमा क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया था. इससे एक दिन पहले उसने गाजा की पूरी तरह से घेराबंदी की घोषणा करते हुए भोजन, पानी और बिजली की सप्लाई रोक दी थी. इससे गाजा के करीब 24 लाख लोगों के लिए संकट खड़ा हो गया.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 12 अक्टूबर की रात इजरायल ने घोषणा कि उत्तरी गाजा के लोग 24 घंटे के भीतर दक्षिण की ओर चले जाएं. इसके बाद कई फिलिस्तीनियों ने वहां से पलायन किया.
अल-अहली अस्पतास में हमले ने खींचा दुनिया का ध्यान
17 अक्टूबर को गाजा के अल-अहली अस्पताल में धमाका हुआ, जिसमें 471 लोग मारे गए. हमास ने कहा कि इजरायल ने हमला किया है जबकि इजरायल ने हमले से इनकार किया और कहा कि इस्लामिक जिहाद आतंकियों की ओर दागे गए रॉकेट से अस्पताल में धमाका हुआ. कुछ दिन बाद अमेरिका के एक अधिकारी ने दावा किया कि अस्पताल पर फिलिस्तीनी रॉकेट गिरा था. इस हमले की दुनियाभर में निंदा हुई थी.
गाजा में तटीय इलाके को दो भागों में विभाजित- आईडीएफ
अलजजीरा के मुताबिक, रविवार (5 नवंबर) को आईडीएफ के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने दावा किया कि इजरायली सेना ने गाजा सिटी को घेर लिया है और घिरे हुए तटीय इलाके को दो भागों में विभाजित कर दिया है, उत्तरी गाजा और दक्षिणी गाजा. वहीं, गाजा में यह जंग शुरू होने के बाद से तीसरी बाद संचार पूरी तरह से बाधित हो गया है.
जबालिया शरणार्थी शिविर पर हुआ तीन बार हमला
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस हफ्ते इजरायली हमलों ने उत्तरी गाजा में जबालिया शरणार्थी शिविर के कुछ हिस्सों को मलबे के ढेर में बदल दिया, घनी आबादी वाले इस इलाके में इमारतें ध्वस्त हो गईं. फिलिस्तीनी अधिकारियों का दावा कि कम से कम 195 नागरिक मारे गए और कई लोग अभी भी लापता हैं.
1.4 वर्ग किलोमीटर में फैला जबालिया गाजा में आठ शरणार्थी शिविरों में से सबसे बड़ा है और करीब 116,000 पंजीकृत शरणार्थियों का घर है. संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी यहां कई शरणार्थियों को भोजन, दवा और अन्य सहायता उपलब्ध कराती है. जबालिया शरणार्थी शिविर पर 31 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच तीन बार हवाई हमला हुआ.
हमले की चपेट में स्कूल, अस्पताल और मस्जिदें भी
इजरायली बमबारी की चपेट में शरणार्थी शिविरों के अलावा गाजा के स्कूल, अस्पताल और मस्जिदें भी आई हैं. अल-शिफा अस्पताल से रफाह सीमा क्रासिंग की तरफ जा रहे एंबुलेंस के काफिले पर भी इजरायली हमले का खबर आई है, जिसमें गंभीर रूप से घायल मरीजों को ले जाया जा रहा था.
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 4 नवंबर की सुबह इजरायली मिसाइल ने जबालिया शरणार्थी शिविर में फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) की ओर से संचालित अल-फखूरा स्कूल पर हमला किया, जिसमें कम से कम 15 लोग मारे गए और 54 घायल हो गए.
इससे कुछ घंटे पहले गाजा सिटी के उत्तर में अल-सफतावी क्षेत्र में विस्थापितों को शरण देने वाले ओसामा बिन जैद स्कूल पर हमला हुआ था, जिसमें कम से कम 20 लोग मारे गए. 4 नवंबर की सुबह पश्चिमी गाजा सिटी में अल-नासिर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के प्रवेश द्वार पर भी हमला हुआ और कई स्थानीय मीडिया ने नागरिक हताहतों की सूचना दी.
हमास की ओर से संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 1200 से ज्यादा बच्चों समेत अनुमानित 2200 लोग वर्तमान में गाजा में इमारतों के मलबे के नीचे दबे हुए हैं.
जनरेटर, सोलर पैनल और पानी की टंकी पर भी हमला
इजरायली सेना ने गाजा सिटी के अल-वफा अस्पताल में बिजली जनरेटर और सौर पैनलों पर हमला किया. अस्पताल पर यह हमला इजरायली सेना की ओर से अल-शिफा अस्पताल के प्रवेश द्वार और अल-कुद्स अस्पताल और इंडोनेशियाई अस्पताल के आसपास के इलाकों पर हमले के बाद हुआ.
खान यूनिस में सौर पैनल वाले आवासीय घरों पर हमले की बात कही जा रही है. वहीं, पूर्वी रफाह में सार्वजनिक पानी की एक टंकी नष्ट हो गई है. माना जा रहा है कि ऐसे हमले इसलिए हो रहे हैं ताकि लोग किसी भी तरह जगह छोड़कर चले जाएं.
न्यूज एजेंसी अनादोलु के मुताबिक, इजरायली सेना ने अल-सबरा पड़ोस में दो मस्जिदों अली बिन अबी तालिब और अल-इस्तिजबाह मस्जिदों पर बमबारी की, दक्षिणी गाजा में भी ऐसा ही हमला हुआ.
रॉयटर्स के मुताबिक मासाए एनालिटिक्स की ओर से विश्लेषण की गई सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार इजरायल के जारी हमलों के दौरान तटीय क्षेत्र में कम से कम पांच अन्य शरणार्थी शिविरों को निशाना बनाया गया है.
UN की एजेंसी के 70 से ज्यादा कर्मचारियों की मौत
फिलिस्तीनियों के लिए काम करने वाली यूएन की शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि जबालिया, बीच और अल ब्यूरिज शिविरों में हजारों लोगों की ओर से आश्रय के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 360 वर्ग किलोमीटर की गाजा पट्टी में इसकी लगभग 50 इमारतें और संपत्ति प्रभावित हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि उसके 70 से ज्यादा कर्मचारी मारे गए हैं.
हमास ने कितने लोगों को बनाया बंधक, कितने छोड़े?
इजरायल के मुताबिक, 7 अक्टूबर के हमले में हमास ने दो सौ से ज्यादा (करीब 240) इजरालियों को बंधक बनाया था. हमास ने 20 और 23 अक्टूबर को दो-दो बंधकों को छोड़ने की बात कही. चारों महिलाएं हैं. 20 अक्टूबर को हमास ने अमेरिकी मां जुडिथ रानन और उनकी बेटी नताली को छोड़ा था और 23 अक्टूबर को उसने नुरिट यित्जाक और योचेवेद लिफशिट्ज नाम की दो महिलाओं को छोड़ने की बात कही थी.
वहीं, जमीनी अभियान के दौरान इजरायल ने उसकी एक महिला सैनिक ओरी मेगिडिश को हमास के चंगुल से छुड़ा लिया था. 30 अक्टूबर को इजरायली सेना ने महिला सैनिक छुड़ा लेने की जानकारी दी थी.
फिलिस्तीनी कैदियों के बदले बंधकों को छोड़ने के लिए तैयार- हमास
इससे पहले हमास ने 28 अक्टूबर को हमास की सैन्य शाखा अल-कासिम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू उबैदा ने कहा था कि इजरायली जेलों से फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले बंधकों को छोड़ने के लिए तैयार है. अबू उबैदा ने हाल में दावा किया कि इजरायली हमलों के दौरान हमास के कब्जे से 60 बंधक लापता हो गए हैं, जिनमें से 23 के शव मलबे में मिले हैं. इससे पहले हमास ने इजरायली हमलों में 50 बंधकों के मारे जाने का दावा किया था.
21 अक्टूबर को ट्रकों से गाजा में पहुंची पहली मानवीय सहायता
जंग शुरु होने के बाद से 21 अक्टूबर को पहली बार रफाह क्रॉसिंग के जरिये मानवीय सहायता के लिए सामग्री से भरे 20 ट्रक गाजा में पहुंचे, जिनमें खाने-पीने के सामान के अलावा दवाएं थीं. यूएन के मुताबिक, अब तक सहायता ले जाने वाले 329 ट्रक मिस्र से लगने वाली रफाह क्रॉसिंग के माध्यम से गाजा में प्रवेश कर चुके हैं, जिनमें से 100 ने अकेले गुरुवार (2 नवंबर) को यात्रा की थी.
इजरायल-हमास जंग में अब तक कितने लोग हुए विस्थापित?
news.un.org ने 3 नवंबर को प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि 1.5 मिलियन (15 लाख) से ज्यादा लोग अब तक विस्थापित हुए हैं और करीब 600,000 लोग फिलिस्तीनी शरणार्थियों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी 'यूएनआरडब्ल्यूए' की ओर से संचालित आश्रयों में रह रहे हैं. एजेंसी ने अपने 72 कर्मचारी सदस्यों को इस जंग में खो दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2 नवंबर को यूएनआरडब्ल्यूए के चार आश्रयों पर हमला हुआ, जिसमें कम से कम 23 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए. इन आश्रयों में 200000 विस्थापित रह रहे हैं. सप्लाई, पानी, बिजली और कर्मियों की भारी कमी के बीच स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है. 35 अस्पतालों में से 14 और 72 प्राथमिक स्वास्थ्य क्लीनिकों में से 51 बंद हो गए हैं. वहीं, इजरायल से तीन जल आपूर्ति लाइनों में से केवल एक ही चालू है.
अब तक इतनी नौकरियों को नुकसान
संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने सोमवार (6 नवंबर) को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि इजरायल और हमास के बीच इस संघर्ष की शुरुआत के बाद से गाजा पट्टी में कम से कम 61 फीसदी लोगों ने रोजगार खो दिया है जो 1,82,000 नौकरियों के बराबर है. वहीं, वेस्ट बैंक में 24 फीसदी लोगों के रोजगार का नुकसान हुआ है जो 2,08,000 नौकरियों के बराबर है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रकार दोनों क्षेत्रों में कुल अनुमानित 3,90,000 नौकरियों का नुकसान हुआ है. संघर्ष जारी रहने पर इन आंकड़ों के बढ़ने की आशंका बनी हुई है.
गाजा में इजरायली जमीनी सैनिकों और टैंकों की रेड
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजरायल ने कहा कि उसके जमीनी सैनिक और टैंकों ने 13 अक्टूबर को गाजा पट्टी के भीतर छापे मारे. आईडीएफ प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी ने कहा था कि टैंकों से लैस जवानों ने फिलस्तीनी रॉकेट क्रू पर हमला करने और बंधकों की जगह के बारे में जानकारी जुटाने के लिए छापेमारी की.
बेंजामिन नेतन्याहू ने की युद्ध के दूसरे चरण की घोषणा
28 अक्टूबर की रात इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तेल अवीव में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''यह युद्ध का दूसरा चरण है जिसके लक्ष्य स्पष्ट हैं- हमास की शासन और सैन्य क्षमताओं को नष्ट करना और बंधकों को घर लाना.'' उन्होंने कहा था, ''हम अभी शुरुआत में हैं. हम जमीन के ऊपर और जमीन के नीचे दुश्मन को तबाह कर देंगे.''
लोगों को निकालने के लिए फिर से खोली गई रफाह क्रॉसिंग
हमास ने सोमवार (7 नवंबर) को कहा कि इजरायली हमलों के दौरान गाजा पट्टी और मिस्र के बीच रफाह क्रॉसिंग को विदेशियों, दोहरी नागरिकता वालों और घायल फिलिस्तीनियों को निकालने के लिए फिर से खोल दिया गया. दर्जनों घायल फिलिस्तीनियों और सैकड़ों विदेशी पासपोर्ट धारकों को जाने देने के लिए पिछले हफ्ते बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को तीन दिनों के लिए टर्मिनल को खोला गया था लेकिन एम्बुलेंस के रास्ते पर विवाद के चलते इसे शनिवार और रविवार को बंद कर दिया गया था.
फिलिस्तीनी अधिकारियों ने कहा कि इजरायल ने शुक्रवार (3 नवंबर) को गाजा पट्टी से हजारों फिलिस्तीनी श्रमिकों को वापस घिरे क्षेत्र में भेज दिया.
जॉर्डन से तुर्की तक, किन देशों ने इजरायल से बुलाए अपने राजदूत
हमास और इजरायल की जंग के विरोध में कई देश इजरायल से अपने राजदूतों को वापस बुला चुके हैं. तुर्किए ने 4 नवंबर को अपना राजदूत इजरायल से बुला लिया था. ऐसा करने वाला बोलिविया पहला देश था. बोलविया ने 1 नवंबर को इसकी जानकारी दी थी. होंडुरास ने इजरायल से अपने राजदूत को बुलाया है.
वहीं, कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने पिछले हफ्ते X पर पोस्ट किया था, ''मैंने परामर्श के लिए इजरायल में अपने राजदूत (मार्गारीटा मांजरेज) को वापस बुलाने का फैसला किया है. अगर इजरायल फिलिस्तीनियों का नरसंहार नहीं रोकता है तो हम वहां नहीं रह सकते.''
चिली ने 31 अक्टूबर को कहा था कि वह अपने राजदूत को बुला रहा है. जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफादी ने कहा कि उसके राजदूत तभी तेल अवीव लौटेंगे जब इजरायल गाजा पर अपना युद्ध रोक देगा और पैदा हुए मानवीय संकट को समाप्त कर देगा.
वहीं, बहरीन की संसद के निचले सदन ने 2 नवंबर को इजरायल के साथ आर्थिक संबंधों को रोकने और दोनों पक्षों के राजदूतों की वापसी की घोषणा की. हालांकि इस घोषणा पर विरोधाभासी प्रतिक्रियाएं आईं और इजरायल ने जोर देकर कहा कि इसे अधिसूचित नहीं किया गया है. उसने कहा कि बहरीन के साथ संबंध स्थिर बने हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र में संघर्ष विराम के प्रस्ताव पर भारत ने इसलिए नहीं लिया मतदान में हिस्सा
इजरायल-हमास जंग में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम की मांग करने वाले प्रस्ताव पर 27 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र में मतदान हुआ. प्रस्ताव जॉर्डन लाया था. यूएन के सदस्य देशों की ओर से इस प्रस्ताव को बहुमत से अपनाया गया. प्रस्ताव के पक्ष में 120 और विरोध में 14 वोट पड़े. वहीं, 45 देश ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. भारत ने भी इस प्रस्ताव पर वोट करने से दूरी बनाई. भारत का कहना था कि प्रस्ताव में सभी बातों को शामिल नहीं किया गया, जैसे कि हमास के आतंकी हमले को लेकर प्रस्ताव में कोई स्पष्ट निंदा शामिल नहीं की गई थी, इसलिए देश ने इस पर वोट करने से परहेज किया.
अस्पताल को आतंकी मुख्यालय के तौर पर इस्तेमाल कर रहा हमास- इजरायल
28 अक्टूबर को आईडीएफ ने दावा किया कि गाजा में अस्पताल के नीचे (अंडर ग्राउंड) हमास के आतंकी मुख्यालय से चल रहे हैं. वह लोगों की जरूरत की चीजें अपने लिए और आतंकी मंसूबों को अंजान देने के लिए इस्तेमाल कर रहा है. वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्यागू ने भी X पर अपनी एक पोस्ट में ऐसा ही दावा किया. उन्होंने लिखा, ''हमास-आईएसआईएस बीमार हैं. उन्होंने आतंकवाद के लिए अस्पतालों को अपने मुख्यालय में बदल दिया है.''
इजरायल के साथ कौन-कौन से देश
दक्षिणी इजरायल पर हमास के 7 अक्टूबर के हमले को कई देशों ने आतंकी हमला करार दिया था. भारत ने भी इसे आतंकी हमला बताया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर एक पोस्ट में कहा था, ''इजरायल में आतंकी हमलों की खबर से बेहद स्तब्ध हूं. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं. हम इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं.''
भारत अपना रुख साफ कर चुका है. भारत ने कहा है कि वह दो राष्ट्र समाधान का समर्थन करता है. पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा था कि भारत ने हमेशा इस मुद्दे पर संवाद के जरिये इस दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है, ताकि इजरायल के साथ मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहने वाले फिलिस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राज्य की स्थापना हो सके.
वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने भी इजरायल का समर्थन किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जंग शुरू होने के बाद इजरायल का दौरा भी कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इस बीच इजरायल का दौरा कर चुके हैं. मैक्रों उन्होंने हमास को आतंकी संगठन बताया था.
चीन ने यूएन में फिलिस्तीनियों के पक्ष में मत दिया था. चीन ने दो राष्ट्र समाधान की बात कही है. वहीं, ईरान ने हमास का समर्थन किया है. पाकिस्तान ने अब तक हमास के हमले की निंदा नहीं की है और कहा है कि वह फिलिस्तीन का समर्थन करता है.
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इस्तांबुल में 28 अक्टूबर को फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा हमास को लिबरेशन ग्रुप करार दिया था. इसी के साथ उन्होंने इजरायल को युद्ध अपराधी कहा था. उन्होंने कहा था कि हमास आतंकी नहीं, बल्कि लिबरेशन ग्रुप है, जो अपनी जमीन और लोगों के लिए लड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र समेत कई एजेंसी तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान कर रही हैं. वहीं कई देश भी शांति कायम कर हल निकालने की बात कर रहे हैं.
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