Israel Hamas War: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के साथ युद्ध की निगरानी के लिए विपक्षी नेता बेनी गैंट्ज़ के समर्थन से गुरुवार (12 अक्टूबर) को एक आपातकालीन एकता सरकार का गठन किया. तेल अवीव में सेना के मुख्यालय से दिए गए भाषण में नेतन्याहू ने कहा, "इजरायल राष्ट्र एकजुट है और अब नेतृत्व भी एकजुट है."


इस खबर के सामने आने के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर यह किस तरह की सरकार है जिसमें विपक्ष भी शामिल है. लोग जानना चाहते हैं कि ‘यूनिटी गवर्नमेंट’ क्या है. यहां हम विस्तार से बताने जा रहे हैं कि आखिर इजरायल का यूनिटी गवर्नमेंट क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी है.


'यूनिटी गवर्नमेंट' क्या है?


हमास के हमले के बाद इजरायल की संसद ने गुरुवार को एकता समझौते को पारित किया, इसमें नेतन्याहू के एक अन्य विरोधी बेनी गैंट्ज़ और उनकी ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के पांच सदस्य भी सरकार के साथ आए हैं. इस समझौते के तहत एक इमरजेंसी वॉर कैबिनेट का गठन किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री की लिकुड पार्टी से खुद नेतन्याहू हैं, जबकि अन्य में गैंट्ज़ और योव गैलेंट शामिल हैं. गैंट्ज़ पूर्व सेना प्रमुख हैं.


यूनिटी गवर्नमेंट कैसे काम करेगी?


समझौते के अनुसार, यूनिटी गवर्नमेंट युद्ध की अवधि के लिए काम करेगी. इमरजेंसी वॉर कैबिनेट से युद्ध के संचालन के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेने की उम्मीद की जा रही है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जब तक इजरायल का हमास के साथ युद्ध चलेगा तब तक युद्ध से संबंधित कानून के अलावा कोई और दूसरा कानून पास नहीं होगा. इसका मतलब यह है कि नेतन्याहू सरकार की ओर से आगे बढ़ाया गया विवादास्पद न्यायिक सुधार कानून भी फिलहाल रोक दिया गया है. इस कानून ने इजरायल में लोगों को दो खेमों में बांट दिया था और इसका खूब विरोध हो रहा था.


यूनिटी गवर्नमेंट में अधिक दल क्यों नहीं?


इज़राइल की संसद में कई अन्य विपक्षी दल यूनिटी गवर्नमेंट में शामिल नहीं हुए हैं. इसमें विपक्ष के नेता येर लैपिड के येश एटिड और छोटे वामपंथी दल भी हैं. ये लोग नेतन्याहू से किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते हैं.


बहुत विभाजित है इजरायल की राजनीति


इजरायल की राजनीति को अगर करीब से देखे जाए तो यह काफी गहराई तक विभाजित नजर आती है. मौजूदा पीएम नेतन्याहू  पिछले साल से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, लेकिन वह ध्रुवीकरण करने में माहिर हैं. 2021-22 में हुए चनाव में नेतन्याहू सरकार को सत्ता से बाहर रखने के उद्देश्य से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों नफ्ताली बेनेट और यायर लापिड एक साथ आ गए थे. इनकी सरकार कुछ दिन चली, लेकिन बाद में गिर गई.


इसके बाद नेतन्याहू फिर से पीएम बने. अभी नेतन्याहू के सत्तारूढ़ गठबंधन में उनकी अपनी लिकुड पार्टी के अलावा, अति-रूढ़िवादी सहयोगी और एक दूर-दराज़ गुट शामिल है, जिसने पिछले साल के चुनावों में भारी पांच लाख वोट जीते थे.


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