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मेटा से हो गई बड़ी गलती, अब इजरायल-हमास जंग के बीच फलस्तीनियों से कहना पड़ा 'सॉरी'
Meta On Palestinian Bio: मेटा के कई प्लेटफॉर्म्स पर एक बग की वजह से अरबी में फलस्तीनी बायो के ट्रांसलेशन के साथ आतंकवादी शब्द जुड़ रहा था. इसके लिए कम्पनी ने माफी मांगी है.
![मेटा से हो गई बड़ी गलती, अब इजरायल-हमास जंग के बीच फलस्तीनियों से कहना पड़ा 'सॉरी' Israel Hamas war tech company Meta Said sorry to Palestinian for showing terrorist in translation tool of Palestinian Arabian bio मेटा से हो गई बड़ी गलती, अब इजरायल-हमास जंग के बीच फलस्तीनियों से कहना पड़ा 'सॉरी'](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/10/21/3751a7b8db72f6ad09cceafed68490261697879090352860_original.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Meta On Palestinian Bio Wrong Translation: इजरायल-हमास जंग के बीच दिग्गज टेक कंपनी मेटा से एक बड़ी गलती हो गई, जिसके लिए माफी मांगनी पड़ी है. फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की मालिकाना हक वाली कंपनी मेटा पर एक "बग" की वजह से फलस्तीनियों के बायो का गलत अनुवाद हो गया और उसमें "आतंकवादी" शब्द जुड़ गया था, जिसके लिए कंपनी ने माफी मांगी है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मेटा ने बताया कि उसने ईमानदारी से इस गलती के लिए माफी मांगी है. कंपनी ने यह भी कहा है कि इस गलती को कई प्लेटफार्म पर दुरुस्त कर लिया गया है.
क्या है मामला?
दरअसल, एक इंस्टाग्राम यूजर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) और टिकटोक पर स्क्रीन रिकॉर्ड कर एक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने अपने बायो में लिखा था कि वह फलस्तीनी हैं. इसके बाद उन्होंने फलस्तीनी झंडा लगाया और अरबी में "अल्हम्दुलिल्लाह" शब्द लिखा जिसका मतलब होता है -ईश्वर से प्रार्थना करो. हालांकि इंस्टाग्राम के "सी ट्रांसलेशन" पर क्लिक करते ही इसका जो अंग्रेजी अनुवाद सामने आया इसका मतलब था - 'ईश्वर से प्रार्थना करो, फलस्तीन "आतंकवादी" अपनी आजादी के लिए लड़ रहे हैं.' हालांकि यूजर्स के बायो में आतंकवादी जैसा कोई शब्द नहीं था.
उसने बताया कि वह खुद फलस्तीनी नहीं हैं, लेकिन एक गुमनाम फलस्तीन मित्र की ओर से इस बारे में उन्हें बताया गया था, जिसके बाद उन्होंने इस टेक्निकल एरर का परीक्षण किया है.
मेटा ने मानी गलती
मेटा ने तुरंत इसका संज्ञान लिया और गड़बड़ी को ठीक किया, जिसके बाद यूजर ने एक और वीडियो पोस्ट कर बताया कि यह गड़बड़ी कम से कम तीन घंटे तक थी. कई यूजर्स में दावा किया कि इजरायल गाजा संघर्ष पर पोस्ट की जाने वाली कहानियां 24 घंटे के दौरान दूसरों के मुकाबले कम फीड पर आईं. उन्हें आसानी से सर्च भी नहीं किया जा सका.
इस वजह से दिग्गज टेक कंपनी मेटा पर फलस्तीन के समर्थन में आवाज उठाने वाली पोस्ट को दबाने के भी आरोप लगे. बाद में कंपनी ने स्वीकार किया कि एक बग की वजह से ये कहानियां प्रभावित हुईं. कंपनी ने यह भी कहा कि इसका पोस्ट के सब्जेक्ट से कोई लेना देना नहीं था.
आपको बता दें कि मेटा के कई प्लेटफार्म पर दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर शैडो बैनिंग की जाती है. इसके तहत संदिग्ध अकाउंट की पहुंच या उसे देखे जाने को सीमित कर दिया जाता है . 2022 में इंस्टाग्राम ने एक ट्रांसपेरेंसी टूल जारी किया था, जिसमें यूजर्स देख सकते हैं कि उनके खाते पर कोई प्रतिबंध लगाया गया है या नहीं.
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