US Veto on UN Ceasefire Resolution: अमेरिका की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मसौदा प्रस्ताव को वीटो करने के बाद कई देशों ने अमेरिका पर निराशा साधा और खेद जताया. मसौदा प्रस्ताव में गाजा में तत्काल मानवीय युद्धविराम की मांग की गई थी. समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हम बहुत निराशा और खेद व्यक्त करते हैं कि मसौदे को अमेरिका ने वीटो कर दिया है.
फिलिस्तीन ने बताया विनाशकारी
झांग ने आगे कहा कि दो महीने की लड़ाई में पहले ही कई लोगों की मौतों के साथ-साथ भयंकर विनाश हुआ है, तत्काल युद्धविराम सबसे बड़ी शर्त है. संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक रियाद एच मंसूर ने बताया कि यह बेहद अफसोसजनक और विनाशकारी है कि परिषद को अपनी जिम्मेदारी निभाने से रोका गया. संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त अरब अमीरात के उप स्थायी प्रतिनिधि मोहम्मद अबूशाहब ने इसके परिणाम पर गहरी निराशा व्यक्त की.
रूस ने अमेरिका पर निशाना साधा
हालांकि, उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक परिणाम उनके देश को परिषद के सदस्यों से कार्रवाई करने और गाजा में हिंसा को समाप्त करने के लिए आग्रह करने से नहीं रोकेगा. संयुक्त राष्ट्र में रूस के पहले उप स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलांस्की ने कहा कि आज का दिन मध्य पूर्व में सबसे काले दिनों में से एक बन जाएगा, क्योंकि अमेरिका ने एक बार फिर युद्धविराम के आह्वान को रोक दिया है.
फ्रांस युद्धविराम के पक्ष में किया वोट
संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि निकोलस डी रिवियेर ने कहा कि उन्होंने मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. डी रिवियेर ने कहा कि फ्रांस संकट के सभी पहलुओं पर परिषद को पूरी तरह से सक्रिय करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा, चाहे वह सुरक्षा, मानवीय या राजनीतिक हो.
संयुक्त राष्ट्र में जापान के स्थायी प्रतिनिधि इशिकाने किमिहिरो ने कहा कि उनके प्रतिनिधिमंडल ने मसौदे के पक्ष में मतदान किया, क्योंकि सभी नागरिक जीवन की हानि, चाहे फिलिस्तीनी हो या इजरायली, दुखद है.
ब्रिटेन नहीं था मौजूद
उन्होंने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि उसे को अपनाया नहीं जा सका. शुक्रवार (8 दिसंबर) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने संयुक्त अरब अमीरात की ओर से तैयार और लगभग 100 देशों से समर्थित एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान किया, जिसमें गाजा पट्टी में तत्काल मानवीय युद्धविराम का आह्वान किया गया था. इसमें 13 देशों ने पक्ष में मतदान किया. ब्रिटेन गैरहाजिर रहा, जबकि अमेरिका ने इसके खिलाफ मतदान किया.
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