Israel Hamas War: इजरायल-हमास जंग के बीच गाजा में मानवीय संकट से जुझते लोग रोटी-पानी के लिए तरस रहे हैं. हमास की ओर से संचालित फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरने वालों का आंकड़ा 9000 के पार बताया है. इस बीच हमास के मीडिया संचालन को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि कैसे एक ऐसा संगठन जिसे दुनिया के कई देशों ने बैन कर रखा है वो अपने संदेशों को दुनिया के सामने रखता है.
2007 में गाजा पर हमास के कब्जे के बाद वहां के मीडिया पर हमास ने अपनी अच्छी साख बनाने की कोशिश की और सफल भी रहे. शुरुआती सालों में हमास ने पारंपरिक मीडिया पर अपना विश्वास दिखाया, लेकिन बदलतों सालों के साथ हमास ने दुनिया की देखादेखी की और संचार और प्रचार-प्रसार को लेकर कई प्रयोग भी किए.
2007 के बाद हमास अपने संदेशों और प्रोपैगैंडा को अल-अक्सा चैनल के जरिए प्रसारित करता था. इस चैनल पर इस्लाम और मनोरंजन के कार्यक्रम किए जाते थे. हमास के मिलिट्री विंग अल-कासिम ब्रिगेड के संदेशों को भी अल-अक्सा के जरिए प्रसारित किया जाता रहा है. हालांकि गाजा इलाके में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला चैनल अल-जजीरा है,इसे कतर की सरकार की ओर से चलाया जाता है.
हमास अब ऑनलाइन न्यूज़ आउटलेट के जरिए भी अपने संदेशों को गाजा में भेजता है. गाजा में सफा और शेहब नाम की एजेंसियां भी हमास के बयानों को प्रमुखता से छापती रही हैं.
सोशल मीडिया पर हमास
लेकिन युद्ध के बाद हमास की मीडिया रणनीतियों में बदलाव देखा जा रहा है, अब हमास के कई ऐसे चैनल है जो टेलीग्राम के जरिए अपने बयान को प्रसारित करते हैं. सोशल मीडिया पर और भी कई माध्यमों के जरिए हमास अपने बयानों को दुनिया के सामने रखता है. इसके अलावा हमास और अल-कासिम ब्रिगेड की आधिकारिक वेबसाइटों पर भी बयान को छापा जाता है. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन वेबसाइटों को गाजा से बाहर नहीं देखा जा सकता है.
आमतौर पर गाजा और हमास के लोग अरबी भाषा जानते हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर हमास के लड़ाकों की ट्रेनिंग की वीडियो में हिब्रू में कैप्शन देकर लिखा जाता है, इसे इजरायल को दिए संदेश के तौर पर देखा जाता है. हालिया संघर्ष के बाद हमास के टेलिग्राम चैनल पर सबस्क्राइबर की संख्या 41 हजार से 1 लाख बीस हजार हो गई. वहीं अल-कासिम ब्रिगेड की दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है.
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