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Israel Hamas War: हमास और इजरायल पर लगे युद्ध नियम तोड़ने के आरोप! जानें कैसे वॉर के दौरान लागू होते हैं इंटरनेशनल लॉ?

Israel Hamas: गाजा-इजरायल के बीच जारी जंग में पूरी दुनिया को सकते में ला दिया है. इसका असर न सिर्फ युद्धग्रस्त इलाकों में देखने को मिल रहा, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

Israel Hamas International Rule of War: इस वक्त हमास और इजरायल के बीच घमासान युद्ध चल रहा है. दोनों पक्षों के हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं. 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले के बाद इजरायल ने युद्ध के घोषणा कर दी. आपको बता दें कि युद्ध के भी कुछ नियम हैं. युद्ध के नियम यूनाइटेड नेशन चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कानूनों और प्रस्तावों के एक समूहों की ओर से बनाए गए है. इसके मुताबिक आक्रामक युद्धों को बैन करने का प्रावधान है. हालांकि, ये देशों को आत्मरक्षा का भी अधिकार देता है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वॉर जोन के तरीके में जिनेवा कन्वेंशन सहित अंतरराष्ट्रीय कानून शामिल हैं, जिसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद तैयार किया गया और लगभग हर देशों ने इस पर सहमति जताई. दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के 4 सालों बाद यानी  साल 1949 में जिन चार बातों पर सहमति बनी, उनमें यह तय किया गया कि वॉर टाइम में नागरिकों, घायलों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए. कोई भी पक्ष एक दूसरे के साथ अपमानजनक व्यवहार नहीं कर सकते हैं. आपको बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर न्यूक्लियर बम गिराए थे, जिसमें लाखों मासूमों की जान चली गई थी.

युद्ध के कानून से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
युद्ध के कानून के मुताबिक नागरिकों, बस्तियों, मानवीय कार्यकर्ताओं पर जानबूझकर हमला, सैन्य रूप से जरूरी न होने पर संपत्ति को नष्ट करना एक वॉर क्राइम कहलाता है. इसके अलावा अन्य समझौते है, जिस पर सभी देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, वो है युद्ध के वक्त रासायनिक या जैविक युद्ध सामग्री के इस्तेमाल पर प्रतिबंध.

इस तरह के नियम राष्ट्रों के बीच युद्ध और संघर्ष दोनों पर लागू होते हैं, जैसा कि इजरायल और हमास के युद्ध में होना चाहिए. हालांकि, इस मामले में एक पक्ष राज्य या देश नहीं है. वो है हमास, जो एक चरमपंथी समूह है और गाजा पट्टी में रहता है.

क्या हमास ने किए युद्ध अपराध

हमास ने इजरायली कस्बों और शहरों पर 7 अक्टूबर को हजारों रॉकेट दागे हैं. हमास ने गाजा से सीमा पार सैकड़ों बंदूकधारी भेजे हैं. उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों सहित नागरिकों पर उनके घरों में हमला किया और हत्या कर दी. इस दौरान कई अन्य लोगों का अपहरण कर लिया. इजरायल का कहना है कि अब तक हमास के हमले में कम से कम 1,400 लोग मारे गए और 199 अन्य लोगों का अपहरण कर लिया गया.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून के व्याख्याता हैम अब्राहम ने कहा कि हमास की तरफ से किए गए अपराधों के सबूत स्पष्ट हैं. हैम अब्राहम ने कहा कि उन्होंने (हमास) ने नागरिकों का अपहरण कर लिया, उन्हें बंधक बना लिया. ये सभी चीजें साफ तौर पर वॉर क्राइम के तरफ इशारा करते हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल फ्रांस के अंतर्राष्ट्रीय न्याय आयोग के वकील जीन सुल्जर ने कहा कि जिनेवा कन्वेंशन के नियमों के मुताबिक युद्ध क्षेत्र से जुड़े किसी भी नागरिकों को कभी भी बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए. अगर ऐसा किया जाता है तो इसे वॉर क्राइम कहते हैं.

इजरायल पर सामूहिक रूप से दंडित करने का आरोप
इजरायली सेना ने हमास शासित गाजा पट्टी पर हवाई हमले किए हैं, भोजन, पानी, ईंधन और बिजली की आपूर्ति रोक दी है और संभावित जमीनी हमले से पहले लोगों को गाजा पट्टी के उत्तरी हिस्से के आधे इलाके को छोड़ने का आदेश दिया है. गाजा में फलसतीनी अधिकारियों का कहना है कि बमबारी के दौरान 2,800 लोग मारे गए हैं और 11,000 घायल हुए हैं. वहीं आलोचक इजरायल पर गाजा के 20 लाख निवासियों को सामूहिक रूप से दंडित करने का आरोप लगाया हैं.

जिनेवा स्थित रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति ने कहा है कि सैकड़ों हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने के निर्देश, पूर्ण घेराबंदी के साथ स्पष्ट रूप से उन्हें भोजन, पानी और बिजली से वंचित करना अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुकूल नहीं है. हालांकि, इजरायली सेना का कहना है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करती है और केवल वैध सैन्य ठिकानों पर हमला करती है क्योंकि वह नागरिक आबादी के बीच छुपे आतंकवादियों को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहती है.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने लगाए आरोप
ह्यूमन राइट्स वॉच ने इजरायल पर सफेद फास्फोरस युक्त युद्ध सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. घनी आबादी वाले इलाकों में  सफेद फास्फोरस के इस्तेमाल की व्यापक रूप से निंदा की गई है. हालांकि, इजरायली रक्षा बल ने गाजा में सफेद फास्फोरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से इनकार किया है.

वहीं इस दौरान संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग का कहना है कि वह मौजूदा संघर्ष में सभी पक्षों के तरफ से किए गए युद्ध अपराधों के सबूत को इकट्ठा किए जाने और शामिल करने का काम किया जा रहा है, जिसके बाद ऐसे सबूतों को फलस्तीनी क्षेत्रों की स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की तरफ से चलाए जा रहे जांच में शामिल किया जाएगा.

ICC के पास अधिकार
नीदरलैंड स्थित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के पास वॉर से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने के लिए राष्ट्रों के अधिकारियों पर मुकदमा चलाने और पीड़ितों के लिए मुआवजे का आदेश देने की शक्ति है. लेकिन कुछ देश, जिनमें अमेरिका, रूस और इजरायल शामिल हैं. वो अदालत के क्षेत्राधिकार को मान्यता नहीं देते हैं. इस तरह से ICC के पास गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए पुलिस बल नहीं है.

ये भी पढ़ें:Israel Hamas War Live Updates: अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से बोले इजरायली PM नेतन्याहू-'दुनिया को हमास को हराने के लिए एकजुट होना चाहिए'

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