Israel Hamas War: इजरायल और हमास के बीच युद्ध 11वें दिन में प्रवेश कर चुका है. फिलहाल इजरायल न हमले रोकने के मूड में है और न ही गाजा-पट्टी से हटने के मूड में. इजरायल ने फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवीय सहायता पहुंचाने और गाजा-पट्टी से लोगों को मिस्र जाने देने के लिए युद्धविराम की खबरों का भी खंडन किया है. इससे साफ होता है कि गाजा पट्टी से सुरक्षित बाहर निकलना आम लोगों के लिए इतना आसान नहीं है.


संकट के इस मौके पर रफा बॉर्डर क्रॉसिंग फिलिस्तीन के लोगों के लिए लाइफलाइन बन चुकी है. यहां बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं और सीमा पार कर मिश्र में घुसने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वह सुरक्षित रह सकें. हम बता रहे हैं आखिर क्यों इसे फिलिस्तीन के लोगों के लिए इजरायल की बमबारी के बीच लाइफलाइन कहा जा रहा है.


क्या है रफा बॉर्डर क्रॉसिंग और इसका महत्व?


रफ़ाह क्रॉसिंग गाजा पट्टी के दक्षिण में स्थित एक बॉर्डर क्रॉसिंग है. यह बॉर्डर गाजा पट्टी को मिस्र के सिनाई रेगिस्तान एरिया से जोड़ती है. अगर गाजा पट्टी क्षेत्र में इसके दूसरे बॉर्डर पॉइंट की बात करें तो वे इरेज और केरेम शलोम हैं. पर ये दोनों बॉर्डर क्रॉसिंग इजरायल से जुड़े हैं और इन पर इजरायल का नियंत्रण है. इजरायल इसे सिर्फ व्यापारिक गतिविधियों के लिए खोलता है, लेकिन 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले के बाद से यह पूरी तरह से बंद है.


क्योंकि ये दोनों बॉर्डर बंद हैं और इमके खुलने की उम्मीद नहीं है. ऐसे में लोगों के लिए रफा क्रॉसिंग ही लाइफलाइन रह गई है, जिसके जरिये वह गाजा पट्टी से अंदर और बाहर आ-जा सकते हैं. इस बीच सोमवार (16 अक्टूबर) को खबर आई कि ये क्रॉसिंग दोहरी नागरिकता वाले लोगों को ग़ज़ा से बाहर निकालने के साथ-साथ ग़ज़ा में मदद सामग्री पहुंचाने के लिए खोली जा सकती है. हालांकि इन ख़बरों में क्रॉसिंग के खुलने का संभावित समय नहीं बताया गया है.


वहीं, दूसरी ओर गाजा पट्टी में मानवीय मदद पहुंचाने में लगी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के पास भी अपने ट्रकों को इसी बॉर्डर से गाजा पट्टी में ले जाने का विकल्प है. रफाह बॉर्डर क्रॉसिंग पर मदद सामग्री, पेट्रोल और डीजल से लदे दर्जनों ट्रक खड़े हैं और बॉर्डर के खुलने का इंतजार कर रहे हैं.


मिश्र ने क्यों बंद कर रखी है रफाह क्रॉसिंग?


इजरायल चाहता है कि हमास के आतंकियों को किसी भी तरह से गाजा से भागने का कोई विकल्प न मिले. वहीं दूसरी तरफ मिश्र जिसका इस पर नियंत्रण है, वो भी इसे नहीं खोलना चाहता. दरअसल, मिस्र सरकार इस बात से चिंतित है कि कहीं फिलस्तीनी नागरिक गाजा पट्टी से सिनाई रेगिस्तान में आकर न बस जाएं. इसके साथ ही मिस्र सरकार इस्लामिक चरमपंथियों के आने की आशंकाओं को लेकर भी चिंतित है.


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