Israel-Hamas War: जंग में अस्पतालों को क्यों निशाना नहीं बना सकते दुश्मन देश? जानें क्या है अंतरराष्ट्रीय कानून, इजरायल क्यों नहीं कर रहा अमल
Israel-Hamas Conflict: गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया कि इजरायल गाजा पट्टी में घरों के अलावा अस्पतालों पर हमला कर रहा है. इजरायली सेना ने दावा किया कि हमास के लोग अस्पतालों में छिपे हुए हैं.
Israel-Hamas War: इजरायल और हमास के बीच बीते 40 दिनों से घमासान युद्ध जारी है. इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से लगभग 13 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. हमास के खिलाफ युद्ध की घोषणा के बाद से इजरायल ने ताबड़तोड़ तरीके से गाजा पट्टी पर हवाई हमले किए है. इस भीषण हमले का सबसे ज्यादा नुकसान गाजा पट्टी में रहने वाले मासूम लोगों को उठाना पड़ रहा है.
इजरायल ने हमास के ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान गाजा पट्टी के आसपास की स्थिति भी बहुत दयनीय है. इजरायल के लगातार हमले की वजह से गाजा की स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से धराशायी हो चुकी है. जरूरी चीजों की कमी के वजह से गाजा में स्थित लगभग सभी अस्पताल बंद होने की कगार पर है. इससे पहले ही यूनाइटेड नेशन ने गाजा में मौजूद 36 अस्पतालों में से 20 से ज्यादा अस्पतालों में काम रुकने की जानकारी दी थी.
जिनेवा कन्वेंशन की दलील
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया कि इजरायल गाजा पट्टी में घरों के अलावा अस्पतालों पर हमला कर रहा है. इसके अलावा इजरायली सेना ने दावा किया कि हमास के लोग अस्पतालों में छिपे हुए हैं. इसके बाद उन्होंने अस्पतालों को खाली करने का आदेश दे दिया था. गाजा स्वास्थ मंत्रालय ने कहा था कि इजरायली सेना लगातार हम पर अस्पतालों को खाली करने का दबाव बना रही है. हमारे लिए ऐसा करना मुश्किल है क्योंकि अस्पताल में कई गंभीर मरीज है, जिनका इलाज किया जा रहा है. हमास और इजरायल युद्ध में अस्पताल एक बहुत बड़ा विषय बन चुका है.
इस पर कई देशों के लोगों ने सुरक्षा के नजरिए से प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अस्पताल को सुरक्षा देने पर जोर दिया. हालांकि, इजरायल का मानना है कि हमास के लोग अस्पतालों का इस्तेमाल ढाल की तरह कर रहे हैं, इसलिए वो अस्पतालों को खाली करने की कोशिश कर रहे हैं. आपको बता दें कि 1949 के जिनेवा कन्वेंशन के तहत स्कूल, अस्पताल और धर्मस्थल जैसे कुछ स्थान को युद्ध क्षेत्र के लिहाज से सुरक्षित घोषित किए गए हैं.
इसके मुताबिक अस्पताल जैसी जगह पर कोई भी दुश्मन पक्ष हमला नहीं कर सकता है और न ही दबाव देकर खाली करने को कह सकता है. हालांकि, जिनेवा कन्वेंशन में उल्लेख है कि अगर कोई दुश्मन समूह गलत तरीके से अस्पताल का इस्तेमाल कर रहा है तो उस स्थिति में अस्पताल संरक्षण खो सकता है.
जिनेवा कन्वेंशन के मुताबिक वॉर क्राइम
जिनेवा कन्वेंशन के मुताबिक युद्ध क्षेत्र में कुछ ऐसे काम है, जिसे वॉर क्राइम भी कहते है, जैसे युद्धबंदियों के इलाज में बाधा डालना, नागरिकों को निशाना बनाना, घायलों को इलाज करवाने से वंचित रखना. इसमें से कुछ वॉर क्राइम हमास ने किए जैसे उन्होंने इजरायल में घुसकर बेगुनाह नागरिकों को मार डाला. इसके अलावा इजरायल का गाजा में दबाव डालकर अस्पतालों को खाली करने पर मजबूर करना शामिल है.
हालांकि, इजरायली सेना के प्रवक्ता डैनियल हगारी का कहना है कि हमास मानव ढाल का इस्तेमाल कर रहा है. हमें सिर्फ हमास के लोगों का खात्मा करना है. हम फिलिस्तीनियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए आग्रह भी कर रहे हैं, लेकिन हमास के लोग उन्हें जोर-जबरदस्ती से जाने नहीं दे रहे हैं. जिनेवा कन्वेंशन के प्रोटोकॉल (I) की मानें तो मानव ढाल का इस्तेमाल गलत है और इसे युद्ध अपराध के साथ-साथ मानवीय कानून का उल्लंघन भी माना जाता है.
विशेषज्ञों का दावा, हो सकता है हमला
गाजा शहर में अल-शिफा अस्पताल के मामले में इजरायल ने कहा कि उसने हाल के हफ्तों में सबूत पेश किया है कि हमास का मुख्य कमांड सेंटर इमारत के नीचे स्थित है, जहां कम से कम 5,000 मरीज और हजारों शरणार्थी रहते हैं. इजरायल ने बुधवार को जिस अल शिफ़ा अस्पताल पर छापा मारा, वह गाजा पट्टी में सबसे बड़ा है. वहीं इस पर इजरायल और अमेरिका दोनों ने कहा है कि हमास के आतंकवादी भूमिगत सुरंगों का उपयोग करके कमांड पोस्ट और बंधकों को छिपाने के लिए गाजा के अस्पतालों का उपयोग कर रहे थे.
हमास के एक अधिकारी इज़्ज़त अल-रेशिक ने इन आरोपों से इनकार किया कि समूह इस सुविधा का इस्तेमाल अपनी भूमिगत सेना के लिए ढाल के रूप में कर रहा था. इस सुविधा में 16 सालों तक काम करने वाले नॉर्वेजियन डॉक्टर मैड्स गिल्बर्ट सहित अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने कहा कि उन्हें कभी भी सुविधा के नीचे किसी सैन्य गतिविधि का कोई संकेत नहीं मिला. कैंब्रिज के प्रोफेसर वेलर ने कहा कि भले ही सैन्य गतिविधि साबित हो जाए और साइट पर हमला हो सकता है, मरीजों और कर्मचारियों को वहां से निकलने का मौका दिया जाना चाहिए.