Benjamin Netanyahu: इजराइल में पारित हुआ न्यायिक शक्तियों को सीमित करने वाला बिल, विरोध में सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
Israel: इजराइल की संसद में विधेयक को 64-9 के वोट से पारित किया गया, जिसमें सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया.
Israel Prime Minister Benjamin Netanyahu: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश में न्यायिक शक्तियों को सीमित करने वाले विधेयक को पारित कर दिया है, जिसके खिलाफ पिछले छह महीनों से इजराइली प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे थे. देश में अदालती व्यवस्था में बदलाव के खिलाफ छह महीने के विरोध के बाबजूद, यह विधेयक पारित किया गया है.
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने शनिवार (29 जुलाई) को उस न्यायिक सुधार का विरोध किया, जिसे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी दक्षिणपंथी कैबिनेट अपना रही है. प्रदर्शनकारी अब 30वें सप्ताह में उत्तरी गलील से तेल अवीव तक सड़कों पर उत्तर आए हैं.
64-9 के वोट से पारित किया गया बिल
इजराइली संसद नेसेट ने सोमवार (24 जुलाई) को तर्कसगंतता विधेयक पारित कर दिया, जो न्यायपालिका को कमजोर करने की सरकार की योजना का पहला प्रमुख कानून है. इजराइल की संसद में विधेयक को 64-9 के वोट से पारित किया गया, जिसमें सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जब रोल कॉल वोट हो रहा था तब विपक्ष के सभी सदस्य सदन से बाहर चले गए.
संसद के ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अधिक सुधार पहलों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए सरकार पर प्रदर्शनकारियों का लगातार दबाव हैं. जिसमें सिनेट के बीच शक्ति संतुलन को आकार देने वाले कानूनों के बड़े बदलाव शामिल हैं . रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल की भुमिका को विभाजित कर दिया और सरकारी कार्यों के खिलाफ याचिका दायर करने का क्षमता को सामित कर दिया.
आलोचकों ने इजराइल के लोकतंत्र को बताया खतरा
बता दें कि न्यायिक ओवरहाल बिलों का पैकेज है, जिसके लिए नेसेट में तीन वोटों को पारित करने की आवश्यकता होती है. नेतन्याहू और उनके समर्थकों ने कहा है कि न्यायिक बदलाव का मतलब सरकार का शाखाओं के बीच शक्तियों का फिर से संतुलन करना है. इस बीच आलोचकों ने कहा कि यह इजराइल के लोकतंत्र और न्यायपालिका का स्वतंत्रता के लिए खतरा है. ओवरहाल के अन्य तत्व सरकार को न्यायधीशों की नियुक्ति अधिक नियंत्रण देंगें और मंत्रालयों से स्वतंत्र कानूनी सलाहकारों को हटा देंगें. वे बिल अभी तक विधायी प्रक्रिया में तर्कसगंतता बिल के बराबर आगे नहीं बढ़े है.
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