Israel-Syria War: गोलान हाइट्स में 95 करोड़ रुपये खर्च कर क्या करने जा रहा है इजरायल? जानें बेंजामिन का पूरा प्लान
Israel-Syria: गोलान हाइट्स, जिसे सीरियाई क्षेत्र माना जाता है. उस पर इजरायल के इस फैसले ने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया है. इस पर सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इजरायल के इस फैसले की निंदा की है.
Israel-Syria War:इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने गोलान हाइट्स में बस्तियों को दोगुना करने की योजना को मंजूरी दी है. इस योजना के तहत इजरायली आबादी बढ़ाने के लिए 4 करोड़ शेकेल (करीब 95 करोड़ रुपये) का बजट पास किया गया है. इजरायल के इस कदम पर मुस्लिम देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
गोलान हाइट्स, जिसे सीरियाई क्षेत्र माना जाता है. उस पर इजरायल के इस फैसले ने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया है. इस पर सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इजरायल के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि यह कदम सीरिया की सुरक्षा और स्थिरता को कमजोर करता है. सऊदी अरब ने गोलान हाइट्स को सीरियाई क्षेत्र बताया और इजरायली बस्तियों के विस्तार को अवैध ठहराया.
🚨🇮🇱🇸🇾 BREAKING: NETANYAHU plans to build "Jewish settlement" in Syria's occupied Golan Heights. pic.twitter.com/VUsjTadrSc
— Legitimate Targets (@LegitTargets) December 16, 2024
यूएई: क्षेत्रीय तनाव बढ़ने का खतरा
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भी गोलान हाइट्स में इजरायली बस्तियों के विस्तार की योजना को खारिज किया. यूएई ने इसे क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाने वाला कदम बताया और सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया.
कतर: अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन
कतर ने इस योजना को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन करार दिया. कतर के विदेश मंत्रालय ने इसे इजरायली आक्रामकता का एक और उदाहरण बताया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह सीरियाई क्षेत्रों में इजरायल के कदमों को रोकने के लिए कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी निभाए.
इराक: इजरायल के फैसले को अमान्य करार दिया
इराक ने भी इजरायल की योजना की कड़ी आलोचना की. इराक के विदेश मंत्रालय ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया और कहा कि गोलान हाइट्स पर कब्जे को वैध बनाने का कोई भी प्रयास अमान्य और निरर्थक है.
मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव
इजरायल के इस कदम ने सीरिया और मध्य पूर्व के देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है. मुस्लिम देशों का कहना है कि इजरायल का यह विस्तारवादी रुख न केवल सीरिया बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल रहा है.