Sunshade in Space: मौजूदा समय में पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग का दंश झेल रही है. ऐसे समय में इजरायल के वैज्ञानिक प्रो योरम रोजेन ने क्रांतिकारी प्लान बनाया है. योरम रोजेन अंतरिक्ष में सनशेड का प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 1.5 करोड़ डॉलर जुटा रहे हैं. इस 'अंतरिक्ष छतरी' के जरिए बड़े स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है. दरअसल, इजरायल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता रोजेन ने पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में 25 लाख टन का सनशेड लगाने की कल्पना की है.


इस सनशेड को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा, जिससे सिर्उ 2 फीसदी सूर्य के रेडिएशन को रोका जा सके. बनाए गए प्लान के मुताबिक, आने वाले 12 से 18 महीनों में यह अंतरिक्ष छतरी वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकता है. मानव इतिहास में सूर्य से जरूरी मात्रा में गर्मी धरती पर आती रही है, इससे किसी भी तरह की समस्या नहीं आई. आज भी सूर्य से धरती को गर्मी मिल रही है, लेकिन औद्योगिक क्रांति की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती जा रही है. ग्रीन हाउस गैसों के भारी मात्रा में उत्सर्जन की वजह से पृथ्वी खुद को ठंडा नहीं कर पा रही है. 


शुरुआत में ट्रायल करना चाहते हैं वैज्ञानिक
अब इजरायल के वैज्ञानिक ने ऐसी छतरी बनाने की कल्पना की है जो सूर्य की गर्मी को हद तक रोक सके, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सके. इस अवधारणा के तहत परावर्तक, अपारदर्शी छतरी को एक स्थिर कक्षा में लॉन्च करना है. यह छतरी सूर्य की परिक्रमा के साथ लॉक रहेगा, यानी जैसे-जैसे सूर्य घूमेगा उसी हिसाब से छतरी भी घूमती रहेगी. यह छतरी सनशेल पतली, परावर्तक सामग्री से बनी होगी, इसका उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण और सौर हवा के प्रभावों को कम करना है. इस महत्वाकांक्षी योजना से पहले प्रो रोजेन ने इस बात पर जोर दिया है कि शुरुआत में ब्लैक बोर्ड के आकार की छतरी को बनाकर पहले इसका परीक्षण करना है. 


अंतरिक्ष में छतरी लगाने के लिए 30 ट्रिलियन डॉलर का खर्च
शुरुआती प्रोटोटाइप पूर्ण पैमाने पर कार्य से पहले टेक्नोलॉजी को मान्यता दिलाने में मदद करेगा. इस पूरे प्रोजेक्ट में 30 ट्रिलियन डॉलर तक का खर्च आ सकता है. यह बजट इतना बड़ा है कि अमेरिका की कुल जीडीपी से ज्यादा है,  लेकिन सदी के मध्य तक ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले अनुमानित आर्थिक नुकसान से कम है. रोजेन ने बताया कि यह इस तरह नहीं होगा जैसे पृथ्वी और सूर्य के बीच में बादल आते हैं, बल्कि इससे सिर्फ दोपहर के 12 बजे और 2 बजे का अंतर होगा. यानी यह छतरी बहुत थोड़ा ही सूर्य की रौशनी को कम करेगी.


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