Istanbul Bomb Blast: तुर्की में इस्तांबुल के बेहद चर्चित इस्तिकलाल एवेन्यू पर बम धमाका (Bomb Blast) मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया जा चुका है. तुर्की के आंतरिक मामलों के मंत्री सुलेमान सोयलू ने इस हमले के लिए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि इसके पीछे पीकेके आतंकवादी संगठन का हाथ है. हालांकि, जिस शख्स को गिरफ्तार किया गया है उसको लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की गई है. सूत्रों की मानें तो पुलिस ने इस मामले में अब तक कुल 22 लोगों को हिरास्त में लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है. इस्तांबुल में रविवार (13 नवंबर) की शाम को हुए इस हमले में 6 लोगों की मौत हो गई और 53 घायल हो गए थे. 


तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन (Rajab Tayyab Erdogan) ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया है. उन्होंने कहा कि इसमें शामिल सभी अपराधियों को पकड़कर उन्हें सजा दी जाएगी.  एर्दोआन ने कहा कि चार लोगों की घटनास्थल पर और 2 की अस्पताल में मौत हो गई. कई लोग बम धमाके में घायल हो गए हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस हमले के पीछे कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी का हाथ होने की बात कही जा रही है. 


8 देशों से लगी तुर्की की सीमा 


तुर्की की सीमा आठ देशों से मिलती है और इसकी कुल आबादी साढ़े आठ करोड़, जिसमें से 74 फीसदी आबादी सुन्नी मुसलमानों की है. गौरतलब है कि तुर्की की स्थापना उस्मानिया सल्तनत के बाद हुई थी. तुर्की ने 1928 के बाद से धर्मनिरपेक्षता की नीति अपनाई हुई थी. बावजूद इसके इस्लाम का प्रभाव यहां के समाज और राजनीति में फिर भी देखने को मिला. तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने शुरुआत में इस्लाम और धर्मनिरेक्षता के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश की थी. 2014 से 2016 के बीच तुर्की ने पड़ोसी देशों के साथ "किसी भी तरह का कोई संघर्ष नहीं" की नीति को बढ़ावा दिया. 


कुर्द की आजादी का विरोध


कुर्द के कारण तुर्की का पश्चिमी देशों के साथ टकराव बना हुआ है. कुर्दों की आबादी दो करोड़ है. वे चार देशों ( इराक, सीरिया, तुर्की और ईरान) में फैले हुए हैं. वहीं, तुर्की में कुर्द पूर्वीं एंतोलिया के इलाके में अच्छी संख्या में हैं. वहां, कुर्दों की 55 फीसदी आबादी है, जो तुर्की की कुल आबादी का 20 फीसदी है. तुर्की काफी समय से कुर्दों की आजादी की लड़ाई को दबाने में लगा हुआ है. यही नहीं, 2015 के बाद से तुर्की ने कुर्द नेताओं और सिविल सोसायटी के अहम सदस्यों के खिलाफ दमन बढ़ा दिया है. वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन को लगता है कि सीरिया में कुर्दों के बढ़ते प्रभाव के कारण तुर्की में भी कुर्दों का अलगाववाद को लेकर मनोबल बढ़ सकता है. 


2016 में तख्तापलट की कोशिश 


तुर्की में साल 2016 में तख्तापलट की नाकाम कोशिश की गई थी. तुर्की की राजधानी अंकारा में सड़कों पर टैंक और आसमान में हेलिकॉप्टर नजर आने लगे थे. इससे पहले भी तुर्की तख्तापलट का गवाह रह चुका है. इससे पहले सेना ने अपनी कोशिशों में सफलता हासिल करते हुए 4 बार तख्तापलट किया था, लेकिन इस बार उसे यह कामयाबी नहीं मिल सकी थी. दावा किया गया कि तख्तापलट की इस कोशिश में सेना के किसी भी उच्च अधिकारी का समर्थन हासिल नहीं था. 


वहीं, तुर्की की मुख्य विपक्षी पार्टी ने भी सरकार को उखाड़ फेंकने की इस कोशिश की निंदा की. लिहाजा सेना की तख्तापलट की ये कोशिश कामयाब नहीं हो पाई. वहीं, इस साजिश में शामिल करीब 3000 सैनिकों को गिरफ्तार किया गया. 


2017 में प्रधानमंत्री का पद हुआ खत्म  


तुर्की में सेना का विद्रोह दबाने के बाद वहां जून में चुनाव कराए गए. इसमें अर्दोआन 52 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करके दोबारा राष्ट्रपति चुने गए. अर्दोआन 2014 में तुर्की के राष्ट्रपति बनने से पहले 11 साल तक तुर्की के प्रधानमंत्री थे, लेकिन अब 2017 में हुए एक जनमत संग्रह के आधार पर तुर्की में प्रधानमंत्री का पद खत्म कर दिया गया और उसकी सभी कार्यकारी शक्तियां राष्ट्रपति को स्थानानांतरित कर दी गईं. इसके बाद अर्दोआन तुर्की के सबसे शक्तिशाली शासक बन गए. 


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