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Coronavirus: तो क्या चीन से करीबी और पर्यटकों की आवभगत इटली, ईरान को पड़ गई महंगी?

चीन से नजदीकी रखने वाले जिन देशों ने सतर्कता बरतने में देरी की, उन्हें इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है. इटली और ईरान में बिगड़े हालात इसी का नतीजा है.

चीन के साथ करीबी और कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनज़र अपने दरवाज़े बन्द करने में देरी इटली और ईरान जैसे कई मुल्कों को अब काफी भारी पड़ रही है. चीन की तरफ से युद्धस्तर पर इस बीमारी के खिलाफ प्रयास शुरू करने से पहले इटली और ईरान में भी इसको लेकर आकलन में हुई गफलत ने बीमारी को फैलने के रास्ते भी दे दिए.

चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस संक्रमण ने हज़ारों कोस दूर इटली को जिस तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसने कई लोगों को चौंकाया. महज़ कुछ दिनों के भीतर इटली में जहां 3858 लोग कोविड19 के मरीज बने है और 148 लोगों ने जान गंवाई है उसने कई देशों में खतरे की घण्टी बजाई है. हालांकि कई मुल्कों में कोविड19 के तेज प्रसार की बड़ी वजह चीन से आवाजाही पर नियंत्रण लगाने में देरी होने नज़र आ रहा है.

इटली में भारत के राजदूत रहे पूर्व राजनयिक अनिल वाधवा बताते हैं कि बीते कुछ सालों में इटली और चीन के बीच आर्थिक सम्बन्ध काफी मजबूत हुए. इटली के मिलान जैसे शहर में करीब 7 वर्गमील में फैला चाइना टाऊन है जहां बड़ी संख्या में चीनी लोग रहते हैं. साथ ही चीन के पर्यटक बड़ी संख्या में मिलान, तुरीन जैसे उत्तरी इटली के शहरों में घूमने जाते हैं. ऐसे में इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि चीनी पर्यटकों और चीन से लौटे इतालवी नागरिकों की आवाजाही के कारण कोविड19 वायरस इटली में अधिक तेजी से फैला हो.

इसके अलावा इटली के टेक्सटाइल उद्योग का भी चीन के साथ गहरा कारोबारी नाता है. वहीं बहुत से इतालवी विशेषज्ञ अनेक संयुक्त परियोजनाओं पर चीन में काम कर रहे हैं. ऐसे में उनकी आवाजाही के माध्यम से ही यह संक्रमण इटली में दाखिल हुआ हो सकता है. चूंकि इस बीमारी का इन्क्यूबेशन पीरियड यानी लक्षण नज़र आने में लगने वाला समय करीब दो हफ्ते का है. ऐसे में यह खतरा बना रहता है कि संक्रमित व्यक्ति में लक्षण नजर आने से पहले ही वो कई लोगों तक बीमारी फैला चुका हो.

इतालवी सरकार की अपनी रिपोर्ट बताती है कि कोविड 19 का सर्वाधिक कहर उत्तर इटली के वेनेटो और लोम्बारडी जैसे इलाकों में हुआ है. वहीं चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ की जनवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी पर्यटकों के लिए इटली एक पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है. इटली के नेशनल टूरिस्ट बोर्ड के आंकड़ों का हवाला देते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 2018 के दौरान इटली में रात बिताने वाले चीन पर्यटकों की संख्या 53 लाख थी जो इससे पहले के साल के मुकाबले 5 फीसद ज़्यादा थी.

जनवरी 2020 में ही दोनों देशों ने चाइना-इटली ईयर ऑफ कल्चर और टूरिज़्म की भी शुरुआत की थी. ध्यान रहे कि चीन में जब कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ तो उस वक्त चीनी नववर्ष यानी स्प्रिंग फेस्टिवल की छुट्टियां शुरू हो चुकी थीं. वहीं चीन सरकार की तरफ से शुरुआत में इसकी गम्भीरता आंकने में हुई देरी के कारण काफी लोग छुट्टियों पर बाहर घूमते भी रहे.

कुछ ऐसी ही कहानी ईरान की भी है. अमेरिकी पाबंदियों के कारण बीते कुछ दशकों में चीन पर ईरान की आर्थिक निर्भरता बहुत बढ़ी है. अब ईरान में भी कई लोग इस बाबत सवाल उठा रहे हैं कि जब दुनिया के अधिकतर मुल्क वुहान को लेकर अपनी उड़ान सेवाएं बन्द कर चुके थे तो फिर ईरान की महान एयर की फ्लाइट क्यों वुहान आती जाती रहीं. गौरतलब है कि ईरान में कोविड 19 से मरने वाले मरीजों का आंकड़ा 124 हो चुका है जबकि इससे पीड़ित लोगों की संख्या 4500 को पार कर गई है.

विदेश मंत्रालय में सचिव रहे वाधवा भारत सरकार की तरफ से उठाए गए शुरुआती कदमों की तारीफ करते हैं. उनका कहना है कि चीन, जापान की तरफ से वीज़ा पाबंदियां हटाने की मांग भले ही की जा रही हो. लेकिन भारत में बीते कुछ दिनों के दौरान कोविड 19 मामलों में हुए इजाफे के मद्देनजर फिलहाल कोई ढिलाई देना मुनासिब नहीं है. आर्थिक नुकसान व परेशानियों के बावजूद लोगों का स्वास्थ्य सबसे बड़ी चिंता है जिसपर अभी प्राथमिकता से ध्यान देना ज़रूरी है.

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