Italy Leaves BRI Project: इटली ने चीन को झटका देते हुए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से अलग होने का ऐलान किया है. साथ ही इतावली सरकार ने इस कदम से दोनों देशों के संबंधों में खटास आने और देश की अर्थव्यवस्था को किसी प्रकार का नुकसान होने की संभावनाओं को भी नकार दिया है.
सूत्रों ने बुधवार (6 दिसंबर) को कहा कि इटली ने इस बारे में आधिकारिक तौर पर चीन को सूचित कर दिया है कि वह बीआरआई को छोड़ रहा है. इटली 2019 में इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बना था.
चीन ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
इस निर्णय को लेकर फिलहाल चीन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई हैं. हालांकि, प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने पिछले साल पदभार संभालने के बाद इस समझौते से हटने की घोषणा की थी. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी उनके फैसले का समर्थन किया था और कहा कि इससे इटली को कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं हुआ.
चीन को किया सूचित
दोनों देशों के बीच यह समझौता साल 2019 में हुआ था. अब इस समझौते को मार्च, 2024 में रिन्यु होना था. इटली सरकार के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि इटली ने हाल के दिनों में एक पत्र भेजकर चीन को इस बारे में सूचित कर दिया कि वह समझौते को रिन्यु नहीं करेगा.
चीन के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है इटली
एक अन्य सरकारी सूत्र ने कहा, "हमारा इरादा चीन के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने का है, भले ही हम अब 'बेल्ट एंड रोड पहल' का हिस्सा नहीं हैं." उन्होंने कहा कि जी7 के अन्य देशों के चीन के साथ हमसे अधिक घनिष्ठ संबंध हैं, इसके बावजूद कि वे कभी भी बीआरआई का हिस्सा नहीं बने.
बीआरआई प्रोजेक्ट में 2019 में शामिल हुआ था इटली
बीआरआई परियोजना के 2013 में शुरू होने के बाद से 100 से अधिक देशों ने चीन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. 2019 में तत्कालीन इतालवी प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. उन्हे उम्मीद थी कि इससे उनके देश को व्यापारिक लाभ मिलेगा लेकिन चीनी कंपनियां ऐसा करती नजर नहीं आईं.
इतालवी आंकड़ों के मुताबिक इटली ने पिछले साल चीन को 16.4 बिलियन यूरो का सामान निर्यात किया था जो 2019 में 13 बिलियन यूरो था. इसके विपरीत इसी अवधि में इटली में चीन का निर्यात 31.7 बिलियन से बढ़कर 57.5 बिलियन हो गया.
क्या है चीन का बीआरआई प्रोजेक्ट?
चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट कई देशों के लिए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है. इसके तहत रेल, सड़क और समुद्री मार्ग से एशिया, यूरोप, अफ्रीका के 70 देशों को जोड़ा जाएगा. इसके लिए चीन कई देशों को भारी-भरकम कर्ज भी दे रहा है.