Brazil Congress Stormed: ब्राजील में जिस बात का डर था वही होने लगा है. राष्ट्रपति चुनावों में हार के बाद पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने हिंसा शुरू कर दी है. दक्षिणपंथी बोलसोनारो समर्थकों ने रविवार (8 जनवरी) को पुलिस बैरिकेड तोड़ दिया. इसके बाद हिंसक समर्थक कांग्रेस, प्रेसिडेंशियल पैलेस और सुप्रीम कोर्ट में घुस गए. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और देश के वामपंथी नेता लूला ने इसे फासिस्ट हमला कहा है.
नेशनल कांग्रेस और प्रेसीडेंशियल पैलेस में गोलीबारी की भी खबर है. बोल्सोनारो ने इस घटना की निंदा की है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ब्राजील की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है.
कांग्रेस में तोड़फोड़
हरे और पीले रंग के झंडे पहले प्रदर्शनकारियों का समूह ब्राजील का सत्ता का प्रतीक समझे जाने वाली कांग्रेस में घुस गया. कांग्रेस में तोड़फोड़ की गई है. प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट के मुख्यालय से प्रेसीडेंशियल पैलेस तक नजर आ रहे थे. इस हमले ने 6 जनवरी 2020 को अमेरिकी चुनाव के बाद कैपिटल हिल में हुई हिंसा की याद दिला दी है. तब अमेरिका में चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग पर धावा बोल दिया था. बिल्डिंग में घुसे समर्थकों ने जमकर हिंसा और तोड़फोड़ की है.
बोल्सोनारो को हराकर एक सप्ताह पहले ही सत्ता पर बैठने वाले लूला इस समय देश के दक्षिणी हिस्से में हैं. उन्होंने कहा- फासीवादी कट्टरपंथियों ने ऐसा कुछ किया है जो इस देश ने कभी नहीं देखा है. हम पता करेंगे कि किसने ऐसा किया और हम उन्हें कानून के नीचे लाएंगे."
लोकतंत्र तबाह नहीं करने देंगे- न्याय मंत्री
ब्राजील के न्याय मंत्री ने कहा अभी भी ऐसे लोग हैं जो कह रहे हैं कि आतंकवादी घटनाएं नहीं रुकेंगी. लेकिन हम उन्हें ब्राजील के लोकतंत्र को तबाह नहीं करने देंगे अपराधियों के साथ अपराधियों जैसे व्यवहार किया जाएगा. आइए जानते हैं आखिर क्या वजह है जिसके चलते ब्राजील में अचानक हिंसा शुरू हो गई.
- ब्राजील में पिछले साल 30 अक्टूबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे जिसमें वामपंथी नेता लूला ने तत्कालीन राष्ट्रपति बोल्सोनारो को हरा दिया था. हालांकि बोल्सोनारो की जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था. बोल्सोनारो के समर्थकों ने आरोप लगाया चुनाव में धांधली हुई है और उनके नेता को हराया गया है.
- 30 और 31 अक्टूबर को बोल्सोनारो के समर्थकों ने देश भर में सड़कों पर ट्रक लगाकर रोड जाम किया था. बोल्सोनारो समर्थकों ने रैली भी निकाली थी जिसमें सेना से हस्तक्षेप की मांग की गई थी.
- 22 नवंबर को बोल्सोनारो ने चुनाव के नतीजों को चुनौती दी लेकिन उनका दावा खारिज कर दिया गया. 12 दिसम्बर को ब्राजील की संघीय चुनाव कोर्ट ने लूला की जीत पर मुहर लगा दी.
- इसके बाद बोल्सोनारो समर्थन लंबे समय से ब्राजील में आर्मी बेस के बाहर बैठे हुए थे. समर्थक आर्मी से लूला को सत्ता हस्तांतरण से रोकने की मांग कर रहे थे. रविवार को कांग्रेस में घुसे प्रदर्शनकारियों ने बिल्डिंग पर एक झंडा लहराया था जिसमें सेना से हस्तक्षेप की अपील की गई थी. इस पर लिखा था- "INTERVENTION."
- प्रदर्शनकारी चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए समीक्षा की मांग कर रहे हैं. एक प्रदर्शनकारी सारा लीमा ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया हम धांधली वाले चुनाव की समीक्षा की मांग कर रहे हैं.
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