Japan Bullet Train: भारत में बुलेट ट्रेन (Bullet train) पर पिछले कई सालों से काम चल रहा है. इस प्रोजेक्ट के लिए जापान (Japan) की रेलवे टेक्निकल सर्विसेज (JARTS) मदद कर रही है. जापान रेलवे टेक्निकल सर्विसेज (JARTS) के 20 स्पेशलिस्टों की एक टीम मुंबई-अहमदाबाद HSR कॉरिडोर के T-2 237 किमी वापी-वडोदरा पैकेज के लिए 1000 भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों को हाई-स्पीड रेल (HSR) ट्रैक बिछाने का ट्रेनिंग दे रही है.
जापान की कंपनी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के तहत लंबे समय तक ट्रैक को काम करने लायक बनाने के लिए बिना गिट्टी के स्लैब ट्रैक बनाने के टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है. ट्रैक को बनाने के लिए जापानी अधिकारियों ने कहा कि केवल ट्रेंड और सर्टिफाइड इंजीनियर/तकनीशियन ही ट्रैक बनाने की जगह पर काम करेंगे.
HSR टेक्नोलॉजी रेलवे ट्रैक के लिए जरूरी
जापान रेलवे टेक्निकल सर्विसेज (JARTS) शिंकानसेन HSR टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने में भी मदद करेंगे. रेलवे ट्रैक HSR टेक्नोलॉजी सिस्टम से ही बनाई जा सकती है. इसको बनाने के लिए हाई लेवल के साथ-साथ सटीकता भी जरूरी है, जो शिंकानसेन ही देने में मदद करेगी. जापानी कंपनी 15 अलग-अलग ट्रैको पर काम कर रही है.
इसके लिए साइट पर मैनेंजमेंट करने के तरीकों को लेकर लोगों को ट्रेनिंग देगी. इन साइटों पर ट्रैक स्लैब बनाने के काम कंक्रीट ट्रैक-बिस्तर बनाने के तरीके शामिल है. इन सब चीजों के लिए जरूरी ट्रेनिंग और आइडिया देना का काम जापानी कंपनी करेगी. इसके लिए सूरत डिपो में विशेष रूप से तीन ट्रेल लाइन के साथ एक ट्रेनिंग फैसिलिटी की भी शुरुआत कि गयी है.
NHSRCL के डायरेक्टर ने ट्रेनिंग पर कहा
National High-Speed Rail Corporation Limited (NHSRCL) के प्रबंध निदेशक राजेंद्र प्रसाद ने जापानी कंपनी के तरफ से ट्रेनिंग देने के बात पर कहा कि ये भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए जापानी हाई स्पीड रेल ट्रैक स्लैब सिस्टम तकनीक सीखने का एक सुनहरा अवसर है. इस परियोजना में 1000 से अधिक भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों को 20 जापानी विशेषज्ञों के तरफ से ट्रेनिंग दी जाएगी.
ये भी पढ़ें:Japan Hakuto-R: जापान का सपना टूटा, चांद पर दुनिया का पहला निजी लैंडर उतरने में हुआ फेल