जापान के होन्शू आईलैंड पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें लोग बिना कपड़ों के हिस्सा लेते हैं. इस सालाना त्यौहार को हड़का मत्सुरी कहा जाता है. कड़कड़ाती ठंड में ठंडे पानी से होकर गुजरने वाले लोगों को ही पवित्र माना जाता है. इस साल कोरोना वायरस के कारण काफी सावधानियां बरती गईं लेकिन ना तो लोगों का उत्साह कम हुआ और ना ही भीड़.


हर साल फरवरी के तीसरे शनिवार को साइदाइजी कन्नोनिन मंदिर में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस दौरान पुरुष केवल लंगोटी और सफेद जुराबें पहनते हैं. इसे नग्न उत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं में कृषि को लेकर जागरुकता पैदा करना है.


होन्शू आईलैंड पर होता है कार्यक्रम


जापान के दक्षिणी हिस्से होन्शू आईलैंड पर ये कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. पहले महिलाएं पारंपरिक नृत्य करती हैं, आतिशबाजी होती हैं और पुरुष फुंडोशी यानि लंगोटी पहन कर पहुंचते हैं.


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ये लोग मंदिर के चारों ओर परिक्रमा लगाते हैं और इस दौरान इन्हें ठंडे पानी से होकर गुजरना होता है. इसी के बाद इन लोगों को मंदिर में एंट्री मिलती है.


पुजारी खिड़की से फेंकते हैं छड़ी


रात को 10 बजे पुजारी टहनी के 100 बंडल और दो छड़ें खिड़की से फेंकते हैं और हजारों लोग इसे दबोचने की कोशिश करते हैं. ऐसा माना जाता है कि जिसके हाथ ये छड़ी लग जाती है उसका पूरा साल अच्छा गुजरता है.


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पूरा जापान से लोग इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. इस कार्यक्रम की शुरूआत 500 साल पहले हुई थी. पहले पुजारी कागज फेंका करते थे लेकिन अक्सर वो फट जाता था लिहाजा लड़की फेंकना शुरू किया गया.