Social Mindful की जब भी बात आती है वहां जापानयों का बोलबाला होता है. जापनी इस बात के लिए काफी सजग रहते हैं कि उनके कार्यों का दूसरों पर कैसा असर पड़ेगा. वहीं इस मामले में भारतीयों का स्थान काफी नीचे आता है. भारतीयों को जापानियों के मुकाबले इस बात की फिक्र काफी कम होती है. इसका खुलास 31 देशों मे किए गए अध्ययन से पता चला है.


जापान रहा अव्वल


Social Mindfulness निर्णय लेने में जापानी लोग सबसे अव्वल माने गए उन्होंने 72 प्रतिशत निर्णय लिया, उनके बाद ऑस्ट्रियाई ने 69 प्रतिशत सामाजिक रूप से दिमागी फैसला लिया वहीं तीसरे स्थानप पर मेक्सिकन रहे. वहीं इस लिस्ट में नीचे के देशों को देखें तो इंडोनेशिया 46 प्रतिशत के साथ सबसे नीचे के पायदान पर है, इसके बाद तुर्की 47 प्रतिशत के साथ है और भारत नीचे से तीसरे स्थान पर 50 प्रतिशत निर्णयों के साथ कायम है. यह स्टडी पिछले हफ्ते  प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुई थी.


शोधकर्ताओं ने पाया कि सामाजिक दिमागीपन, दूसरे शब्दों में, सहकारी पारस्परिक व्यवहार जिसमें व्यक्ति दूसरों की जरूरतों और दृष्टिकोणों पर विचार करते हैं, क्रॉस-नेशनल शोध में महत्वपूर्ण रूप से भिन्न होते हैं.


65 शोधकर्ताओं ने की स्टडी


इस शोध के लिए 65 अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने मानव के सोशल  व्यवहार का अध्ययन किया था. मानव सहयोग पर अधिकांश शोध उन कार्यों पर आधारित होते हैं जिनके लिए कुछ वास्तविक प्रयास या निवेश की आवश्यकता होती है जो दूसरों के लिए सम्मान की कीमत पर आते हैं.


वहीं पड़ोसी मुल्क चीन सामाजिक रूप से दिमागी फैसला करने में हमसे आगे है और वहां 62 प्रतिशत लोगों ने निर्णय लिया, चीन के अलावा ब्रिटेन 64 प्रतिशत और अमेरिका 58 प्रतिशत पर है.


इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 8,354 प्रतिभागियों के लिए 12 काल्पनिक ऑप्शन तैयार किए. इसके बाद आए परिणामों ने ही देशों और व्यक्तियों के बीच महत्वपूर्ण अंतर स्पष्ट किया. शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने एक बेहतर तुलना के लिए बनाई गई आर्थिक विकास प्रक्रिया के समान चरण के बाद से औद्योगिक देशों का अध्ययन किया.


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