Japan Moon Mission: सौर पैनल पर लगी धूप तो जीवित हो गया जापान का मून लैंडर, वैज्ञानिकों के कमांड का दिया जबाव
Japan Moon Mission: जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने कहा कि जैसे ही सूर्य का कोण बदला, मून लैंडर SLIM दो दिनों के लिए फिर से जीवित हो गया.
Japan Moon Mission: चंद्रमा पर पहुंचा जापान का मून लैंडर दो सप्ताह बाद एक बार फिर जीवित हो गया. धरती पर बैठे वैज्ञानिकों ने मून लैंडर से संपर्क करने में कामयाब हुए हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले महीने चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान उनका लैंडर गलत दिशा में गिर गया था, जिसकी वजह से संपर्क नहीं हो पा रहा था.
देश की अंतरिक्ष एजेंसी (JAXA)ने सोमवार को बताया कि जापान के चंद्रमा लैंडर ने दो सप्ताह की चंद्र रात्रि के बाद जागकर आश्चर्य पैदा किया है. मानव रहित स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) पिछले महीने एक गलत दिशा में गिर गया था, जिससे इसके सौर पैनल उल्टी दिशा में चले गए थे. जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने कहा कि जैसे ही सूर्य का कोण बदला, यह दो दिनों के लिए फिर से जीवित हो गया.
स्पेस एजेंसी ने साझा किया लैंडर का चित्र
वैज्ञानिकों ने बताया कि दो दिन बाद जैसे फिर से अंधेरा हुआ यह फिर से सो गया, क्योंकि इस मून लैंडर को चंद्रमा की कठोर रातों के लिए नहीं बनाया गया है. JAXA ने कहा कि उनको उम्मीद नहीं थी उनका लैंडर से दोबारा संपर्क हो पाएगा. जापान की स्पेस एजेंसी ने बताया कि 'SLIM को एक कमांड भेजा गया था, जिसका उसने जवाब दिया.' एजेंसी ने अपने मून लैंडर का एक चित्र भी एक्स पर साझा किया है.
जापान चंद्रमा पर पहुंचने वाला पांचवां देश
पिछले महीने मिली असफलताओं के बाद यह उपलब्धि जापान के स्पेस कार्यक्रम की जीत थी, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, चीन और भारत के बाद चंद्रमा पर "सॉफ्ट लैंडिंग" हासिल करने वाला अब जापान पांचवां देश बन गया है. जापानी स्पेस एजेंसी ने बताया कि मून लैंडर संपर्क के दौरान उसका तापमान अधिक था, इसलिए संचार रोक दिया गया था. अब जब सबकुछ सामान्य हो जाएगा फिर मून लैंडर से संपर्क किया जाएगा.
रूस, दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात भी चंद्रमा पर पहुंचने के प्रयास मे हैं. वहीं पिछले दिनों अपोलो युग के बाद एक बार फिर से अमेरिका ने चंद्रमा पर अपना मून लैंडर भेजा है. अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट को एक निजी कंपनी द्वारा निर्मित और नासा द्वारा वित्त पोषित किया गया था. यह लैंडर भी भारत की तरह चंद्रमा के साउथ पोल में उतरा है.
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