Fukushima Fish: जापान की ओर से फुकुशिमा न्‍यूक्लियर प्‍लांट के रेडियोएक्टिव पानी को प्रशांत महासागर में छोड़ने पर चीन भड़का हुआ है. ऐसे में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है. इसी बीच जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मछली खाकर चीन समेत पूरी दुनिया को यह बताने का प्रयास किया है कि अपशिष्ट रेडियोएक्टिव पानी के समुद्र में जाने के बाद भी मछलियां खाने के लिए सुरक्षित हैं. बता दें कि जापान फुकुशिमा के न्यूक्लियर पावर प्लांट में 12 साल से जमा रेडियोएक्टिव पानी छोड़ना शुरू कर चुका है, इस पर चीन और हांगकांग ने फुकुशिमा के सी फूड को असुरक्षित बताते हुए उस पर पाबंदियां लगा दी हैं. 


दरअसल, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और उनकी सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियों ने लंच में फुकुशिमा तट से लाई गईं मछलियों से बनी साशिमी (एक जापानी व्यंजन) का सेवन किया है. पीएम की मछली खाते हुए वीडियो जापान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने साझा किया है. जिसके बाद से यह क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.  मछली खाने के बाद जापानी प्रधानमंत्री ने कहा है कि ये मछली काफी स्वादिष्ट और सुरक्षित है. वीडियो में उनके साथ कई मंत्री भी फुकुशिमा की मछली खाते हुए दिखाई दे रहे हैं. क्लिप में नेताओं को फुकुशिमा क्षेत्र के फल, चावल और सब्जियों का आनंद लेते हुए भी दिखाया गया है. 


चीन लगातार जता रहा है विरोध 


वहीं, चीन का दावा है कि रेडियोएक्टिव पानी के असर के कारण जापान से आने वाले सीफूड को खाना सुरक्षित नहीं है. इससे चीनी नागरिकों को कई तरह की बीमारियां हो सकतीं हैं. जापान के इस कदम का कुछ अन्‍य पड़ोसी देशों के साथ ही मछुआरों ने भी विरोध किया है. हालांकि जापान लगातार इस बात का दावा कर रहा है कि वो रेडियो एक्टिव पानी को प्रशांत महासागर में छोड़ रहा है उससे दुनिया को कोई खतरा नहीं है. 


जानें कैसे जमा हुआ इतना पानी 


बता दें कि जापान में साल 2011 में आई सुनामी के कारण फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के तीन रिएक्टर बंद हो गए थे. तब सुनामी ने रिएक्टर्स के कूलिंग सिस्टम को जमकर प्रभावित किया था. ऐसे में रिएक्टर्स को ठंडा रखने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाने लगा. अब तक इस काम के लिए दस लाख टन से भी अधिक पानी का इस्तेमाल हो चुका है. और अब जापान के पास इस पानी को रख पाने की क्षमता नहीं है, ऐसे में इस पानी को समुद्र में बहाने का फैसला लिया गया है. 






जापान ने पहले ही किया था ऐलान 


गौरतलब है कि इससे पहले साल 2019 में जापान के पर्यावरण मंत्री ने कहा था कि उनके पास रिएक्टर्स को ठंडा रखने के लिए प्रयोग किये गए पानी को रखने का विकल्प नहीं बचा है, ऐसे में इस पानी को मजबूरन समुद्र में छोड़ा जाएगा . इसके साथ ही जापान हमेशा से यह दावा कर रह है कि वो जिस रेडियो एक्टिव पानी को प्रशांत महासागर में छोड़ रहा है उससे दुनिया को कोई खतरा नहीं है हालांकि चाइना समेत दुनिया भर के वैज्ञानिक जापान के इस दलील से सहमत नहीं हैं. 


जानें क्या कहना है वैज्ञानिकों का 


अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, जापान ने समुद्र में धीरे धीरे पानी छोड़ने की योजना बनाई है. इसके साथ ही जिस इलाके में पानी छोड़ा जाएगा वहां से 3 किलोमीटर तक के इलाके में मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई है. हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र में तीन किमी तक पाबंदी लगाने से कोई विशेष लाभ नहीं होगा . यह पानी समुद्र के जीवों को प्रभावित करेगा, साथ ही समुद्र की मछली का सेवन करना भी सुरक्षित नहीं होगा . 


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