जापान समंदर में छोड़ रहा हजारों टन 'गंदा' पानी, पड़ोसी देशों की नाराजगी के बावजूद क्या है ऐसी मजबूरी?
2011 में पिघले हुए रिएक्टर को ठंडा करने के लिए अब तक कुल 13 लाख टन पानी का इस्तेमाल हुआ है. पानी के इस्तेमाल के बाद खुले में नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि ये इंसानी स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक है.
Japan Radio Active Water: जापान के फुकुशिमा न्यूक्लिर प्लांट से अगले सप्ताह से रेडियो एक्टिव पानी की दूसरी खेप को समुद्र में छोड़ना शुरू किया जाएगा. पहली बार 7800 टन पानी को 24 अगस्त को छोड़ा गया था, जिसकी वजह से जापान के पड़ोसी देश नाराज हो गए थे. नाराज हुए देशों में चीन भी शामिल था. टोक्यो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी के मुताबिक अब 5 अक्टूबर से जापान समुद्र में रिएक्टर का पानी छोड़ेगा.
चीन ने पहली रिलीज के बाद सभी जापानी समुद्री खाद्य सामाग्रियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, हालांकि 11 सितंबर पाबंदी हटा ली गई. रूस भी जापान समुद्री खाद्य सामाग्रियों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है.
परमाणु रिएक्टर फटने से बढ़ी चिंता
गौरतलब हो कि 2011 में सुनामी की वजह से जापान के फुकुशिमा पावर प्लांट के परमाणु रिएक्टर में भारी तबाही हुई थी. सुनामी की वजह से परमाणु रिएक्टर का कूलिंग सिस्टम बर्बाद हो गया था, इस वजह से तीन रिएक्टर पिघल गए थे. इसलिए 2011 में पिघले हुए रिएक्टर को ठंडा करने के लिए अब तक कुल 13 लाख 40 हजार टन पानी का इस्तेमाल हुआ है.
इस पानी को इस्तेमाल के बाद खुले में नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि रिएक्टर के संपर्क में आने की वजह से इस पानी में रेडियोएक्टिव तत्व घुल जाते हैं जो कि इंसानी स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक है.
लेकिन जापान का तर्क है कि समुद्र में छोड़ा जाने वाला पानी सभी लिहाज से सुरक्षित है क्योंकि पानी से रेडियोएक्टिव तत्वों को छांट लिया जाएगा जिसके बाद इंसानी स्वास्थ्य के साथ-साथ मरीन लाइफ को भी कोई खतरा नहीं है. हालांकि जापान के दावों पर ये भी सवाल उठे कि पानी को कितना भी साफ कर लेने के बाद भी उसमें से ट्रिटियम तत्व को छांटना नामुमकिन है. इस वजह से कई देश चिंता जाहिर कर चुके हैं. जापान ने इसका तर्क देते हुए कहा कि पानी में ट्रिटियम को कम मात्रा से कोई नुकसान नहीं होगा.
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