जापान सरकार के एक फैसले ने विश्व के कई देशों की चिंता बढ़ा दी है. जापान ने अपने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट (fukushima nuclear power plant) से निकलने वाले पानी को समुद्र में छोड़े जाने को मंजूरी दे दी है. हालांकि जापान का दावा है कि समुद्र में छोड़े जाने से पहले इस 10 लाख टन पानी को पूरी तरह से फिल्टर किया जाएगा. ऐसी स्थिति में इससे समुद्रीय पर्यावरण पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा.


चीन ने जापान को गैरजिम्मेदाराना कहा


जापान का कहना है कि न्यूक्लियर प्लांट के पानी को समुद्र में छोड़े जाने की जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है. पूरे विश्व में दूषित पानी के निपटान के लिए यही व्यवस्था अपनाई जाती है. लेकिन, जापान के इस आश्वासन के बावजूद विश्व के कई देशों की चिंता बढ़ गई है. चीन ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है. चीन का साफ तौर पर कहना है कि जापान का ये कदम पूरी तरह से गैरजिम्मेदाराना है. चीन के विदेश मंत्रालय ने अपना विरोध जताते हुए कहा है कि अगर जापान ऐसा करता है तो उसके पास कड़े कदम उठाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं रहेगा. दक्षिण कोरिया ने भी जापान के इस कदम की आलोचना की है और कहा है कि जापान की योजना ठीक नहीं है. ये माना जा रहा है कि प्लांट से निकलने वाले पानी में रेडियोधर्मिता रहेगी. ऐसे में वह जलीय जीवन, खासतौर पर मछली पालन करने वालों के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है.


जापान के समर्थन में अमेरिका आगे आया


हालांकि अमेरिका इस मामले में जापान के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है. अमेरिका का कहना है कि जापान पूरी पारदर्शिता बरतते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों का हर तरह से पालन कर रहा है. जापान सरकार का कहना है कि पानी को फिल्टर करने और उसे समुद्र में छोड़े जाने की इस प्रक्रिया शुरू करने में अभी दो साल का समय लग सकता है.


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