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फ्रीडम ऑफ स्पीच पर नॉर्थ कोरिया, बांग्लादेश, नेपाल के लेखकों ने बयां किया अपना दर्द
जयपुर: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल के एक सेशन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (फ्रीडम ऑफ स्पीच) पर प्रतिबंध चर्चा का मुख्य बिंदु रहा. उत्तर कोरिया, बांग्लादेश और नेपाल के लोगों ने अपने संघर्ष की दास्तां बयां की.
नेपाल आधारित ‘हिमाल साउथ-एशियन’ के संपादक कनक मणि दीक्षित, उत्तर कोरिया से निर्वासित हायोनसीयू ली और बांग्लादेशी कवि और एक्टिविस्ट सदफ साज ने सेशन में भागीदारी की. इनके अलावा इतिहासकार टिमोथी गार्टन ऐश भी थे.
ली ने अपनी गोपनीयता के लिए कुख्यात उत्तर कोरिया का उदाहरण दिया. उन्होंने उत्तर कोरिया के लोगों को उनके देश के दुनिया में सर्वश्रेष्ठ देश होने के बारे में सिखाये पढ़ाये जाने का भी जिक्र किया.
साज ने बांग्लादेश की अशांत स्थिति का जिक्र किया जहां ब्लॉगरों और अल्पसंख्यकों की सिलसिलेवार हत्या हुई हैं. साल 2015-16 में सेक्यूलर ब्लॉगर्स की लगातार हत्याओं की वजह से बांग्लादेश की दुनियाभर में किरकिरी हुई थी.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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