वॉशिंगटन: अमेरिका में डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडन ने देश के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है. 78 साल के जो बाइडन को अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कैपिटल बिल्डिंग के ‘वेस्ट फ्रंट’ में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. जनता के नेता, सुधारक और दूसरों का दर्द समझने वाले व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध जो बाइडन किसी जमाने में देश के सबसे युवा सीनेटरों में से एक थे और आज अपने लंबे अनुभव के साथ अमेरिकी इतिहास के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति बनने तक का उनका सफर बेहद दिलचस्प रहा है. उनके पास लगभग पांच दशक का राजनीतिक अनुभव है.


बचपन से ही राष्ट्रपति बनने का सपना


डेलावेयर से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता बाइडन का बचपन से ही राष्ट्रपति बनने का सपना था, लेकिन तीसरे प्रयास में उनका सपना तब पूरा होता दिखा जब उन्होंने पिछले साल 29 फरवरी को साउथ कैरोलाइना से डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी में जीत दर्ज कर कई दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया और अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में उनकी सबसे नाटकीय वापसी हुई.छह बार सीनेटर रहे डेमोक्रेटिक नेता बाइडन ने 78 साल की उम्र में राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप को परास्त कर दिया. इससे पहले वह साल 1988 और 2008 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में दो बार असफल भी रह चुके हैं.


बराक ओबामा के अधीन उपराष्ट्रपति रह चुके हैं बाइडन


वाशिंगटन में पांच दशक गुजार चुके बाइडन व्हाइट हाउस में दो बार पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अधीन उपराष्ट्रपति रह चुके हैं. उन्होंने इस बार खुद को अमेरिका की जनता के सामने ट्रंप के विकल्प के रूप में मजबूती से रखा. इस बार अत्यधिक कड़वाहट भरे राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को पराजित कर बाइडन व्हाइट हाउस में सत्तासीन होने वाले अब तक के सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पद का इस्तेमाल अमेरिका की आत्मा को बहाल करने, इस राष्ट्र के आधार का पुनर्निर्माण करने, मध्यम वर्ग के लिए काम करने और अमेरिका को फिर से विश्व में सम्माननीय बनाने और यहां देश में हम सभी को एकजुट करने के लिए करना चाहता हूं.’’




  • बाइडन पहली बार 1972 में निर्वाचित हुए और डेलावेयर राज्य से छह बार सीनेटर रहे.

  • वह पहली बार 29 साल की उम्र में निर्वाचित होकर अमेरिकी सीनेट के लिए चुने जाने वाले सबसे युवा प्रतिनिधियों में से एक थे.

  • बाइडन ने 1988 और 2008 में भी अपनी पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारी की थी, लेकिन असफल रहे थे.

  • बाइडन पर यौन उत्पीड़न के आरोप भी लगे जिन्हें उन्होंने खारिज किया.

  • बाइडन को पिछले साल राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी तब मिली थी जब प्रतिद्वंद्वी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने अप्रैल 2020 में उम्मीदवारी की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया.


पहली पत्नी और 13 साल की बेटी की हुई थी एक्सिडेंट में मौत

स्पष्ट वक्ता के रूप में जाने जाने वाले बाइडन 1972 की कार दुर्घटना सहित अपने परिवार के साथ हुईं दुखद घटनाओं के बारे में खुलकर बात करते हैं. कार दुर्घटना में उनकी पहली पत्नी नीलिया और उनकी 13 महीने की बेटी नाओमी की मौत हो गई थी और उनके बेटे ब्यू और हंटर गंभीर रूप से घायल हो गए थे.


46 साल के बेटे की ब्रेन ट्यूमर से हुई थी मौत


बाइडन की अपनी दूसरी पत्नी जिल जैकब से 1975 में मुलाकात हुई थी और फिर जून 1977 में उन्होंने शादी कर ली. 1981 में उनकी बेटी एश्ले पैदा हुई. साल 2015 में बाइडन के बेटे 46 साल के ब्यू की ब्रेन ट्यूमर से मौत हो गई, जिन्होंने इराक युद्ध में भाग लिया था और डेलावयेर के अटॉर्नी जनरल के रूप में सेवाएं दी थीं. 1988 में बाइडन को भी दिमाग से जुड़ी एक समस्या हुई थी.


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