कैनबरा: ऑस्ट्रेलियाई महिलाएं कुछ ऐसा कर रही हैं जिसकी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ है. वो सोशल मीडिया पर बिना बांह के कपड़ों वाली अपनी तस्वीरें पोस्ट कर रही हैं. उनके ऐसा करने के बाद ये सावल उठ रहे हैं कि आख़िर वो ऐसा क्यों कर रही हैं. दरअसल, ऑस्ट्रेलिया की संसद की प्रेस गैलरी से एक महिला पत्रकार को बाहर कर दिया गया. प्रश्न काल के दौरान ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कथित तौर पर वो महिला पत्रकार अपनी बांहों का 'भड़काऊ' अंदाज़ में प्रदर्शन कर रही थी.


एबीसी रेडियो की नेशनल प्रेज़ेंटर पैट्रिशिया को 3 दिसंबर को संसद में प्रश्न काल के दौरान वहां से जाने को कहा गया. उन्हें ऐसा करने को इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने आधी बांह का पैंटसूट पहना था जिसे लेकर ये आपत्ति जताई गई कि इसकी वजह से उनका कंधा कुछ ज़्यादा ही दिखाई दे रहा है और अंग प्रदर्शन हो रहा है. इसे भड़काऊ करार दिया गया. पैट्रिशिया ने बताया कि उनसे पहले उनके कंधों को और ज़्यादा ढकने के लिए कहा गया और इसके बाद उन्हें जबरदस्ती वहां से बाहर निकाल दिया गया.





इसके बाद ग़ुस्से से खौल उठी पैट्रिशिया ने ट्वीटर पर अपनी एक ऐसी ही तस्वीर पोस्ट की. इसमें उन्होंने लिखा, "मुझे प्रश्न काल के दौरान बाहर कर दिया गया और ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कथित तौर पर मेरा बदन ज़्यादा झलक रहा था." इसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की राजनीति को विक्षिप्त करार दिया जिसके लिए उन्होंने #Auspol का इस्तेमाल किया. उन्होंने जो तस्वीर पोस्ट की उसमें क्रीम और ब्लैक रंग का वो पैंटसूट भी नज़र आ रहा था जिसे पहन को संसद गई थीं. एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, "ये रही मेरी विवादित ड्रेस."


ऑस्ट्रेलियाई संसद की वेबसाइट के मुताबिक संसद में महिला और पुरुष सिर्फ फॉर्मल कपड़े पहनकर ही जा सकते हैं. इसमें पुरुषों को फॉर्मल जैकेट और टाई पहनने को कहा गया है, वहीं महिलाओं को भी ऐसे ही कपड़े पहनने को कहा गया है. हालांकि, इसे लेकर अंतिम मत स्पीकर का होता है. इस पर अलग-अलग तरह की राजनीतिक प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर महिलाओं ने एक अनोखी मुहिम के तहत पैट्रिशिया को अपना समर्थन दिया. उनका समर्थन कर रही महिलाएं बिना बांह वाली ड्रेस के साथ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगीं.


ऐसे ही समर्थन वाले एक ट्वीट में एलिज़ाबेथ सैंडर्स लिखती हैं, "राहत की बात है कि मैं और मेरी खुली बांहें सिर्फ युवाओं को पढ़ा रही थीं और ये संसद की प्रेस गैलरी में नहीं थीं." एलिज़ाबेथ ने खुद को शिक्षक और वकील बताने के अलावा अपने ट्विटर बायो में ये भी लिखा है कि वो एक नारीवादी भी हैं.





इसी मामले में पैट्रिशिया के ट्वीट का जवाब देते हुए मेलबॉर्न के सांसद एडम बैंड्ट ने लिखा, "पिछले साल मैंने खुली बाहों को लेकर इस वाहियात नियम को बदलवाने की कोशिश की थी. दुख की बात है कि तब ये सफल नहीं हुआ. मुझे उम्मीद है कि इस बार इसका अलग नतीजा हो."





एक और ट्वीट में इस भयानक प्रताड़ना वाली तस्वीर के साथ लिखा गया, "महिलाओं के लिए मान्य लिबासों से जुड़ी प्रेस गैलरी की नई गाइडलाइन्स को जारी की गई हैं." संसद की कारिस्तानी का माखौल बनाते इस ट्वीट में #auspol #misogyny #discriminatio जैसे हैशटैग का इस्तेमाल किया गया है.






नाइन नेटवर्क की पॉलिटिकल रिपोर्टर एयरली वॉल्श ने तो ऑस्ट्रेलिया की दिग्गज नेता जूलिया बिशप की एक बिना बाहों वाली तस्वीर को पैट्रिशिया की तस्वीर के साथ ट्विट किया और साफ कर दिया कि इस नियम के मामले में पैट्रिशिया के साथ कैसे भेदभाव किया गया.




आपको बता दें कि पैट्रिशिया के समर्थन में ऐसे ट्विट्स की बाढ़ आ गई है. इस मुहिम के तहत मांग की जा रही है कि महिलाओं को ऑस्ट्रेलियाई संसद में ऐसे कपड़े पहनने की इज़ाजत दी जाए. आपको ये भी बता दें कि मामले में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने माफी मांग ली है.

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