जस्टिस आयशा मलिक (Justice Ayesha Malik) पाकिस्तानी (Pakistani) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पहली महिला जस्टिस (Justice) नियुक्त हुई हैं. जिसके बाद पाकिस्तान के प्रधनमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने उन्हें बधाई दी है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैं सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनने पर जस्टिस आयशा मलिक को बधाई देता हूं. मेरी ओर से उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं.'' इससे पहले जस्टिस आयशा मलिक लाहौर हाई कोर्ट (Lahore High Court) में जस्टिस थीं. ऐसे में पाकिस्तान जैसे रूढ़िवादी देश के न्यायिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है.


कानून मंत्रालय की ओर से इस संबंध में शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी गई थी. अधिसूचना के मुताबिक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने जस्टिस मलिक की पदोन्नति को मंजूरी दे दी थी. आदेश में यह भी कहा गया था कि पद की शपथ लेते ही उनकी नियुक्ति प्रभावी हो जाएगी.


पाकिस्तान के न्यायिक आयोग (जेसीपी) ने इस महीने की शुरुआत में उनके नाम की अनुशंसा की थी. वहीं इससे पहले पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति से संबंधित द्विदलीय संसदीय समिति की ओर से जस्टिस आयशा मलिक को प्रमोशन में मंजूरी दिया गया था.


पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद फारूक एच नाइक की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने उनके नाम को मंजूरी देते हुए वरिष्ठता के सिद्धांत को खारिज कर दिया. जस्टिस मलिक लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर थे.


उन्होंने कहा, ''हमने राष्ट्रहित में न्यायमूर्ति आयशा के नाम को मंजूरी दी है.'' जस्टिस मलिक को मार्च 2012 में लाहौर हाई कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था. वह अब अपनी रिटायरमेंट तक सुप्रीम कोर्ट में सेवा देंगी. वरिष्ठता के आधार पर जनवरी 2030 में पाकिस्तान की चीफ जस्टिस भी बन सकती हैं.


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