काठमांडू. केपी शर्मा ओली को एक बार फिर नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त हो गए हैं. नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भण्डारी ने नेपाल की संविधान के तहत सबसे बड़े दल के नेता होने के कारण ओली को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया है. नेपाल की संसद में विश्वास का मत हारने के बाद राष्ट्रपति ने गठबन्धन की सरकार बनाने के लिए तीन दिन का समय दिया था. लेकिन नेपाल की विपक्षी पार्टियों की तमाम कोशिश के बावजूद बहुमत जुटाने में नाकाम रहे.


गठबन्धन की सरकार के लिए तय समय सीमा आज रात 9 बजे समाप्त होने के साथ ही राष्ट्रपति भण्डारी ने संविधान की धारा 76(3) के तहत सबसे बडे दल के रूप में नियुक्त किया है. केपी ओली कल यानि कि शुक्रवार की दोपहर को 2:30 बजे शपथग्रहण लेंगे. ओली को सदन में विश्वास का मत हासिल करने के लिए 30 दिनों का समय मिलने वाला है.


मोर्चाबन्दी करने में विपक्षी दल असफल


नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के खिलाफ मोर्चाबन्दी कर गठबन्धन बनाने में यहां के विपक्षी दलों को असफलता हाथ लगी. तीन दिन पहले ही संसद में ओली के खिलाफ 93 के मुकाबले 124 वोट प्राप्त करने वाले विपक्षियों को बहुमत जुटाने के लिए सिर्फ 12 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता थी. लेकिन तीन दिन की मशक्कत के बावजूद उनको इसमें सफलता नहीं मिली.


नेपाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस, माओवादी और जनता समाजवादी पार्टी अगर एकजुट रहती तो ओली के खिलाफ बहुमत आसानी से जुट सकता था. लेकिन ओली के बिछाए जाल में विपक्षी पार्टियां इस कदर उलझ गई कि वो ना तो विपक्षी एकता ही बचाने में कामयाब हो पाई और ना ओली को सत्ता से बेदखल ही कर पाई.


सरकार बनाने में निर्णयाक भूमिका में रही जनता समाजवादी पार्टी में आए विभाजन के कारण विपक्षी गठबन्धन नहीं बन पाया. इस पार्टी का एक खेमा ओली को ही दुबारा प्रधानमंत्री में नियुक्ति चाहता था क्योंकि पिछले दिनों ओली ने मधेश मुद्दे के समाधान के लिए कई ठोस कदम उठाए और विश्वास का वातावरण बनाया था.