पाकिस्तान के चिड़ियाघर में लंबा समय गुजारकर रूस के विशेष चार्टर्ड प्लेन से 'कावन' कंबोडिया पहुंच गया. कंबोडिया के एयरपोर्ट पहुंचने पर उसके स्वागत के लिए अमेरिकी सिंगर चेर भी मौजूद रहीं. उन्होंने कावन के साथ आनेवाली टीम से मुलाकात भी की.


आपको बता दें कि पाकिस्तान की सरकार को श्रीलंका ने कावन नामी हाथी को 1985 में श्रीलंका की सरकार ने भेंट किया था. उस वक्त उसकी उम्र 1 साल थी. 2012 में साथी हथिनी की मौत से कावन बिल्कुल अकेला रह गया था. पाकिस्तान से रेस्क्यू की खातिर जानवरों के लिए काम करनेवाली संस्थाओं समेत कई दिग्गज लोगों ने मुहिम चलाई थी.


रूस के विशेष प्लेन से 4.8 टन वजनी हाथी का रेस्क्यू


डॉक्टर आमिर खलील ने बताया कि सफर के दौरान कावन खाने के अलावा सो भी रहा था और परेशान बिल्कुल नहीं था. उसके लिए 200 किलो का खुराक साथ ले जाया गया था. 35 साल बाद 4.8 टन वजनी हाथी को कंबोडिया की उड़ान भरते देखा जा सकता है.





साथी की मौत के बाद पाकिस्तान में रह गया था अकेला


साथी की मौत का उसे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तौर पर आघात पहुंचा. उसके एकांतवास को खत्म करने के लिए लोगों ने सरकार पर दबाव डाला और अदालत में याचिका भी दायर की. कावन को पाकिस्तान से कंबोडिया पहुंचने में 7 घंटे का सफर तय करना पड़ा. उसके इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर खास कंटेनर तैयार किया गया. पाकिस्तान तहरीक इंसाफ पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से हाथी के कंबोडिया सुरक्षित पहुंचने की जानकारी शेयर की गई.





कंबोडिया के चिड़िया घर भेजे जाने से पहले हाथी का चार महीने तक विशेष देखभाल किया गया. उसे बेहतर खुराक में फल और सब्जियां खिलाया गया. जिससे उसका वजन कई किलो तक कम करने में वन्यजीव अधिकारियों को मदद मिली.


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