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काबुल: आत्मघाती हमले में जान गंवाने वाले पत्रकार मरई ने साथी से कहा था, ‘चिंता की कोई बात नहीं है’

मरई अफगानिस्तान में बरसों से चल रहे संघर्ष की रिपोर्टिंग कर रहे थे. एएफपी में पिछले 22 सालों से काम करने वाले शाह मरई के छह बच्चे हैं, जिनमें से एक एक महीने की लड़की है.

काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए बम ब्लास्ट में आठ पत्रकारों सहित 25 लोगों की मौत हो गई. इनमें एएफपी के मुख्य फोटोग्राफर शाह मिराई भी शामिल है. हमले से पहले मरई ने साथ काम करने वाले अपने साथी से मैसेज में बात की थी. उन्होंने अपने साथी को मैसेज में कहा था, ‘’चिंता की कोई बात नहीं है, मैं यहां हूं.’’

एएफपी के मशहूर फोटोग्राफर मरई एक करिश्माई और साहसी पत्रकार थे. वह अफगानिस्तान में बरसों से चल रहे संघर्ष की रिपोर्टिंग कर रहे थे. एएफपी में पिछले 22 सालों से काम करने वाले शाह मरई के छह बच्चे हैं, जिनमें से एक एक महीने की लड़की है.

शाह मरई ने दशकों के युद्ध से घिरे देश अफगानिस्तान में बहुत शक्तिशाली तस्वीरें दुनिया के सामने रखीं. मरई ने अफगानिस्तान में अकल्पनीय हिंसा के साथ-साथ सुंदरता और खुशी के नाजुक क्षणों की तस्वीरें भी अपने कैमरे में कैद की थीं. मरई ने एक ड्राइवर के तौर पर 1996 में एएफपी के लिए काम करना शुरू किया था. तब वह तस्वीरें भी खींचते थे.

एएफपी ग्लोबल न्यूज की डायरेक्टर मिशेल लेरीडॉन ने बताया, “शाह मरई ने साल 2001 में अमेरिकी कार्रवाई की खबरों को भी कवर किया था. वह 2002 में एएफपी के पूर्णकालिक फोटो स्ट्रिंगर हो गए थे. यह काबुल ब्यूरो सहित पूरी एजेंसी के लिए एक भयानक खबर है.” इसी साल तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था.

हमले में बीबीसी संवाददाता की भी मौत

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के निदेशक जेम्स आंगस ने एक बयान में कहा, ‘‘ बड़े दुख के साथ बीबीसी आज हुए एक हमले के बाद अपने अफगान संवाददाता अहमद शाह की मृत्यु की पुष्टि करता है.’’ हालांकि बीबीसी ने इस बारे में जानकारी नहीं दी है कि अहमद शाह कैसे मारे गए.

बता दें कि काबुल में आज सुबह हुए आत्मघाती विस्फोटों में एएफपी के अफगानिस्तान के मुख्य फोटोग्राफर शाह मरई और आठ अन्य पत्रकारों समेत कम से कम 25 लोग मारे गए थे.

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