नई दिल्ली: कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्यस्थता वाले बयान की भारत ने जमकर मुखालफत की है. इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर कहा है कि मैं भारत की प्रतिक्रिया से हैरान हूं. इमरान खान ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की पेशकश की.


इमरान खान ने कहा, ''कश्मीर विवाद को हल करने के लिए पाकिस्तान और भारत को बातचीत की मेज पर लाने के लिए ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश करने के बाद भारत की प्रतिक्रिया से हैरान हूं, कश्मीर विवाद 70 सालों से उपमहाद्वीप में बाधक बना हुआ है. कश्मीर के लोगों को रोज नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके समाधान की जरूरत है.''





दरअसल, सोमवार रात डोनाल्ड ट्रंप ने इमरान खान के साथ प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि वे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं. यही नहीं ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मदद मांगी थी.


डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी. और उन्होंने वास्तव में कहा, 'क्या आप मध्यस्थता करना या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?' मैंने कहा, 'कहाँ?' (मोदी ने कहा) 'कश्मीर.’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि यह कई वर्ष से चल रहा है. मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है.’’


ट्रंप ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वे (भारतीय) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे. मुझे लगता है कि आप (खान) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे. और अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो मैं मध्यस्थ बनना पसंद करूंगा. यह होना चाहिए .... हमारे पास दो अद्भुत देश हैं जो बहुत होशियार हैं और जिनका नेतृत्व बहुत होशियार हैं, (और वे) इस तरह की समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं. लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं, तो मैं ऐसा करने को तैयार हूं.’’


ट्रंप ने कहा, “इसलिए इन सभी मुद्दों का हल होना चाहिए. इसलिए, उन्होंने (मोदी) यही करने को कहा. इसलिए हो सकता है हम उनसे बात करें. या मैं उनसे बात करुंगा और हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं.’’ इमरान खान ने ट्रंप के बयान का स्वागत किया.


विवाद क्यों है?
कश्मीर मुद्दे पर भारत किसी भी हालत में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं चाहता हैं. लेकिन ट्रंप के ताजा बयान के बाद भारत में राजनीतिक भूचाल आ गया. विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सफाई मांग रही है. आज लोकसभा और राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बयान दिया. लेकिन विपक्षी पार्टियां उनके बयान से असंतुष्ट दिखी.


सोमवार को ही ट्रंप के बयान के ठीक बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘हमने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा प्रेस को दिये उस बयान को देखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि भारत और पाकिस्तान अनुरोध करते हैं तो वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया है.’’


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उन्होंने कहा, ‘‘भारत का लगातार यही रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी. पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए सीमापार आतंकवाद पर रोक अनिवार्य होगा. भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों के समाधान के लिए शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र का अनुपालन आधार होगा.’’


संसद में हंगामा
विपक्षी दलों के हमलावर रुख के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद हो पायेगी और यह लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के अंतर्गत ही होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया गया है.


ट्रंप के दावे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि इस विषय पर देश को बताया जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री और ट्रंप के बीच क्या बातचीत हुई थी. उन्होंने यह दावा भी किया कि अगर ट्रम्प की बात सही है तो फिर प्रधानमंत्री ने देश के हितों के साथ विश्वासघात किया है.


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राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के लिए कहा. अगर यह सच है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के हितों और 1972 के शिमला समझौते के साथ विश्वासघात किया है. एक कमजोर विदेश मंत्रालय के इनकार करने से काम नहीं चलेगा. प्रधानमंत्री देश को बताएं कि उनके और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच मुलाकात में क्या बात हुई थी.’’