Bangladesh Crisis: बांग्लादेश की पूर्व PM खालिदा जिया ने समर्थकों से कर दी बड़ी अपील, कहा- 'प्रतिशोध और नफरत...'
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया ने जेल से निकलने बाद वहां के लोगों से लोकतंत्र कायम करने की अपील की. उन्होंने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर भी बयान दिया.
Bangladesh Crisis Protest: बांग्लादेश में जारी राजनीकि संकट के बीच जेल से रही हुईं पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने अपने देशवासियों से एक लोकतंत्र कायम करने की अपील की, जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाए.
बांग्ला भाषा में जारी एक वीडियो संदेश में खालिदा जिया ने कहा, "आप सभी लोग मेरे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. अल्लाह के आशीर्वाद से मैं आपसे बात कर पा रही हूं. हम बांग्लादेश से अराजकतावादी सरकार से आजादी पाने में सफल हुए हैं. मैं उन बहादुरों को नमन करती हूं जिन्होंने अपनी जान कुर्बान कर दी."
अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर दी चेतावनी
खालिदा जिया ने कहा कि हमें इस जीत से एक नया बांग्लादेश बनाना है जहां युवा और छात्र हमारी उम्मीद होंगे. उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों के खिलाफ भी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा, "हमें एक लोकतांत्रिक बांग्लादेश बनाना है जहां सभी धर्मों का सम्मान हो, जिसे युवा और छात्र पूरा करेंगे. हमें ऐसा बांग्लादेश चाहिए जहां शांति और समृद्धि हो न कि प्रतिशोध और नफरत."
खालिदा जिया (79 वर्ष) को शेख हसीना की सरकार में 2018 में भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के पतन के बाद मंगलवार (6 अगस्त 2024) को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के कार्यकारी आदेश पर उन्हें रिहा कर दिया गया.
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार पर जल्द होगा फैसला
बांग्लादेश के प्रदर्शनकारी नेताओं ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सदस्यों के नाम पर बुधवार को ही फैसला हो जाएगा. नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के ऑफिस की तरफ से कह गया वे अभी यूरोप में हैं और गुरुवार (8 अगस्त 2024) को ढाका पहुंचेंगे.
शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान जल्द ही लंदन से बांग्लादेश लौट रहे हैं. वह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष भी हैं.
ये भी पढ़ें : बांग्लादेश की दो बेगम: दोस्ती ने लोकतंत्र कायम किया, फिर दुश्मनी ने देश को अराजकता की आग में झोंका