Attack On Hindu Temple In Brampton Canada: ब्रैम्प्टन में हिंदू सभा मंदिर पर हुए हमले ने एक बार फिर कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के खिलास्तानी प्रेम को उजागर कर दिया है. खालिस्तानी कट्टरपंथियों के पहले से विरोध प्रदर्शन की जानकारी के बाद भी ट्रूडो सरकार आंख मूंदे रही और सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती.


हालांकि हर तरफ से फजीहल और विरोध झेलने के बाद कनाडा की सरकार हरकत में आई है. पुलिस ने हमले के आरोप में 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हमले में शामिल एक पुलिस को भी सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि खालिस्तानियों को आखिरकार शह किसने दिया.


घटना की निंदा की, लेकिन हमला करने वालों को कुछ नहीं कहा


इस हमले के बाद कनाडा के भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ये हमला दिखाता है कि कनाडा में खालिस्तानी उग्रवाद हिंसक हो गया है. खालिस्तानी चरमपंथियों ने 'रेड लाइन क्रॉस कर ली है. दूसरी तरफ पीएम ट्रूडो का डबल फेस दिखा, जिन्होंने मामला गरमाने के बाद इस घटना की निंदा तो की, लेकिन जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया उनके लिए एक शब्द भी नहीं कहे. इससे साफ है कि खालिस्तानी कट्टरपंथी उनके बेहद करीब हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ट्रूडो ने जिस आतंक को अपने देश में शरण दे रखी है वो अब उन्हीं के लिए भस्मासुर साबित हो रहा है. 


अगस्त 2024 तक 217 खालिस्तानी आतंकियों को पनाह दे चुका है कनाडा


ABP न्यूज़ के सवाल के जवाब में कनाडा सरकार ने जानकारी दी है कि इस साल अगस्त तक कनाडा कुल 217 खालिस्तानी आतंकियों को अपने देश में शरण दे चुका है. इन आतंकियों ने कनाडा सरकार को बताया था कि उन्हें भारत में खतरा है क्योंकि यहां पर उनके खिलाफ आतंकवाद को लेकर मामले दर्ज हैं. साफ है कि सब कुछ जानते हुए भी कनाडा की ट्रूडो सरकार ने उन्हें अपने देश में शरण दी. ये सिलसिला पिछले 4 साल से चल रहा है. यही नहीं, कनाडा की सरकार ने एबीपी न्यूज को जो दस्तावेज मुहैया कराए हैं उसके मुताबिक पिछले चार साल में खालिस्तानी आतंकियों के अलावा भारत के दूसरे हिस्सों में आतंकवाद फैलाने वाले 618 लोगों को भी उसने अपने देश में शरण दी है.


टेरर फंडिंग करने वालों को लिस्ट मिलने के बाद भी नहीं सौंपा


यही नहीं, प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा के कई आतंकी कनाडा में सक्रिय हैं और वहां से टेरर फंडिंग करते हैं. ऐसा ही एक नाम है पर्वकर सिंह दुलाई का. भारत सरकार ने पिछले साल कनाडा के साथ 21 ऐसे लोगों की लिस्ट साझा की थी जो कनाडा में बैठकर भारत में खालिस्तान के नाम पर टेरर फंडिंग कर रहे हैं. इस लिस्ट में पर्वकर सिंह दुलाई का नाम होने के बाद भी अभी तक दुलाई के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ है.


टेरर फंडिंग करने वालों को ट्रूडो सरकार दे रही सरकारी नौकरी 


कनाडा ने दुलाई को नो फ्लाई लिस्ट में डाल रखा है. कनाडा की सरकार ने खुद दावा किया था कि ये शख्स विमान में आतंक की वारदात को अंजाम दे सकता है इसके बावजूद दुलाई न सिर्फ कनाडा में खुला घूम रहा है बल्कि कनाडा की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के साथ बैठकों में शामिल होता है और उनके करीबियों में शुमार होता है. इसके अलावा कनाडा ने कई खालिस्तानी आतंकियों को सरकारी नौकरी भी दे रखी है.


वोट बैंक सबसे बड़ी वजह, जगमीत सिंह फैक्टर भी ट्रूडो पर हावी


दरअसल, ट्रूडो के खालिस्तानियों से इतने प्रेम की सबसे बड़ी वजह वोट बैंक है. सरकार जिन खालिस्तानियों को शरण देती है वे कनाडा में वोट बैंक और राजनीतिक चंदे का एक पूरा इकोसिस्टम तैयार करते हैं. इसके अलावा कनाडा में बैठकर खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा देने वालों में सबसे बड़ा नाम जगमीत सिंह का है. जगमीत के समर्थन से ही ट्रूडो सरकार चल रही है. 338 सीटों वाले हाउस ऑफ कॉमन में टूडो की पार्टी के पास 153 सीटें है. बहुत के आंकड़े से दूर दूडो को जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी का बाहर से समर्थन है. एनडीपी के पास 25 सीट हैं. एनडीपी का समर्थन खत्म होते ही ट्रूडो की सरकार अल्पमत में आ जाएगी.


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